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इऐ अब जानते है कि आखिर कक्षा - 12वी के गृह विज्ञान में क्या - क्या पड़ना है 
Class 12th Home Science   Chapter - 1 शिशु की जानकारी (0-3 वर्ष)



Unite - 1  know little Children 
                      
                                      अध्याय -  1 
       शिशु की जानकारी (0 - 3 वर्श ) 


नाम से हि पता चल रहा है इस अध्याय मे हमलोग शिशु के बारे में पढ़ने वाले है जैसे -
  • षिषु में वृद्धि कैसे होती है 
  • विकास क्या होता है 
  • विकास के सिद्धांत कौन - कोन से होते है 
  • बालक के षरिर का विकास कैसे होता है 
  • विष्व स्वास्थ्य संगठन का बाल वृद्धि प्रतिमान क्या है ? 
  • षरिरिक विकास को प्रभावित करने वाले कारक कौन - कौन से है ? 
  • लड़खड़ाकर चलने वाले षिषुओं का विकास 
  • विकास के  मिल के पत्थर 
  • क्रियात्मक विकास को प्रभावित करने वाले कारक 
  • ज्ञानात्मक विकास 
  • भाशा विकास 
  • संवेगात्मक विकास की  मुख्य अवस्थाएँ 
  • सामाजिक विकास 

अगर हम एक शब्दों में कहे तो शिशु के गर्भ से लेकर बाल्य अवस्था तक जो भि प्रक्रियाएँ होती है इस अध्याय में हमलोगोको पड़ना है । 

तो उम्मीद है आपको समझ में आ गया होगा की इस अध्याय में हमलोगोको क्या पढ़ना है । तो आईए एक - एक कर के इन सभी बातों को समझने कि कोषिस करते है  । 
सबसे पहले समझते है 

विकास का अर्थ एवं परिभाशाएँ - 

- विकास एक ऐसी प्रक्रिया है जो जीवन - पर्यन्त चलता है । 
- इस स्थिति में व्यक्ति के अंदर मात्रात्मक ही नहीं बल्कि गुणात्मक परिवर्तन भी आता है । 
- विकास में जो भी परिवर्तन होते है वे एक - दूसरे से सम्बन्धित होते है । 
- विकस के कारण व्यक्ति में दो तरह के परिवर्तन देखने को मिलता है 
    (क) धनात्मक परिवर्तन           (ख) ऋणात्मक परिवर्त 
- विकास का परिभाशा -  परिवर्तन श्रृंखला की वह व्यवस्था है जिसमें बालक भ्रूणावस्था से लेक पौढ़ावस्था से लेकर प्रौढ़ावस्था तक की प्रक्रियासे गुजरता है । यह प्रक्रिया विकास के नाम से जाना जाता है ।  

आगे हमलोगो को समझना है प्रसव एवं गर्भावस्था में माता एवं नवजात षिषुओं की क्या - क्या आवष्यकता होती है। 

- देखिए प्रत्येक शिशु के लिए उसके जिवन के शुरू कि अवस्था बहुत महत्वपूर्ण होता है । 
- जन्म के बाद 28 दनि किसी शिशु  के लिए काफी संकटपूर्ण होता है  । 
- क्योकि येहि समय होता है जब शिशु अपने माता के शरीर से अलग होकर वातावरण के साथ समायोजन करना      होता है आपको बता दे ये समय शिशु मृत्यु दर काफी होता है यानी इस समय कफी शिशु वातावरण के साथ         समायोजन ना कर पाने के कारण उनकी मृत्यु भी हो जाती है । 

☝ अब देखिए जन्म के बाद शिशु  तथा माता का कुछ  अवष्यकताएँ होती है जिसे समझना काफि जरूरि है - तो आईए समझते है 

1. कुषलतापूर्वक देखभाल - देखिए माता एवं शिशु की प्रसव के बाद उचित प्रकार का देखभाल करना आवश्क है एवं प्रसव समान्य रूप से हो इसके लिए जो भि उचित प्रबंध हो करना चाहिए । इसके अलावा अगर माता या शिशु को कोई जटिलता हो तो समय रहते उसको दूर करन का प्रयत्न करना चाहिए । 
2. समर्थन तथा देखभाल - शिशु  तथा माता के लिए स्नेहपूर्वक वातावरण तथा नवजात का षिषु कि आवष्यक देखभाल के लिए पारिवारिक समर्थन होना आवष्यक है । 
3. रोग संक्रमण पर नियन्त्रण -  समान्य तथा सुरक्षित प्रसव के लिए स्वच्छता बहुत आवष्क है । इसके लिए जो भि जरूरि कदम है उसे उठाना चहिए ।
4. जटिलताओं का प्रबन्धन - देखिए गर्भकाल के दौरान कई प्रकार के जटिलताएँ देखि जाती है जैसे - रक्तस्राव हो जाना , उच्च रक्तदाब , प्रसव पीड़ा , विलम्बकारी जन्म आदि । इन सभि जटिलताओं से कैसे बचे इसका ख्याल रखना चाहिए । 

☝  अब इसके अलावा नवजात षिषुओं की जन्म के पशचात की अवाश्कताये कौन - कौन सी हो सकती है आईए इसके बोर में भि अब हमलोग जानते है 

1. वायु - कुछ शिशु पूर्वघात होने के कारण उनका जन्म होने पर साँस नहीं ले रहे होते है , 
जन्म के पष्चात उन्हे सजीव करना  । 
2. गर्माहट - जन्म के समय बालक को सुखा रखना चाहिए , त्वाचा से त्वाचा सम्पर्क द्वारा उसे गर्माहट को बनाये रखना चाहिए , उसमें गर्माहट बनी रहे उसके लिए गर्म पर्यावरण तापमान तथा सिर एवं षरीर का ढँकना चाहिए । 
3. स्तनपान - शिशु को जन्म के पहले चार घण्टों के भीतर स्तनापान काराना चाहिए । कम से कम छः माह तक आवश्क  होने पर दिन तथा रात में एक बार निरन्तर स्तनपान कराना चाहिए । बालक का सबसे उत्तम अहार माँ का दूध को माना जाता है क्योंकि इस दूध के माध्यम से बालक में रोग प्रतिरोधी क्षमता का विकास होता है  । 
4. देखभाल - नवजात शिशु केा माता पिता के अलावे अन्य देखभाल करने वाले वयस्क व्यक्तियों के निकट रखना चाहिए । 
5. रोग संक्रमण पर नियन्त्रण - बालक में रोग पर नियन्त्रण रखने के लिए सफाई व्यस्था पर विषेश ध्यान देना चाहिए । खासकर तब जब शिशु  को गोद में लिया जाए तथा हाथों में पकड़ा जाऐ ।शिशु  में संक्रमण से लड़ने के लिए आवष्यक प्रारम्भिक स्तनपान कराने के लिए माता को प्रोत्साहित करना चाहिए ,क्याकि माता के दूध में रोग प्रतिरोध तत्व पाये जाते है । जो शिशु  के वृद्धि तथा विकास के लिए अति आवष्यक है । 
प्रारम्भिक दूध ममें पीले रंग का गाढ़ा तरल पदार्थ जिसे कोलस्ट्रम कहते है , निकलता है , इस पदार्थ में प्रोटिन , वासा और खनिज - लवण अधिक मात्रा में पाया जाता है , यह पाचन षक्ति बढ़ाता है तथा शिशु  की रोग अवरोधक क्षमता में व्रद्धि करता है । 



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  • At a Glance (एक झलक ) 
  •  वृद्धि का अर्थ होता है , बालक के आकार , कद तथा भार में वृद्धि । 
  • विकास आकार या आकृति रचना तथा क्रियाओं के सुधार में परिवर्तन का सम्बन्ध दिखाता है । 
  • विकास की प्रक्रिया जन्म से मृत्यु तक जारी रहती है । 
  • बालक षैषववावस्था में एक उगते हुए पौधे की तरह होते है । 
  • षरीरिक , समाजिक, संवेगात्मक तथा आध्यात्मिक विकास बाल्यावस्था स्तर पर होता है । 
  • एक भारतीय बालक का जन्म के समय सामान्य भा 2.5 किग्रा होता है 
  • जब बालक एक वर्श का हो जाता है तो उसका भार जन्म के भार का तीन गुना हो जाता है 
  • षरीरिक तथा माँसपेषीय विकास क्रियात्मक विकास के साथ होता है 
  • स्थायी दाँत 25 वर्श की आयु तक निकलने जारी रहते है । 
  • षैषवावस्था  के विभिन्न चरणों पर औसत क्रियात्मक विकास एक प्रतिमान की तरह सम्बन्ध दिखाता है । 
  • समाजीकरण एक प्रक्रिया है जिसके द्वारा बालक , तथा खेलना सीखना है । इसका अर्थ इसका समूह में अच्छा व्यवहार करना भी हेाता है । 
  • संवेग मानव जीवन में सबसे ऊँचा महत्व रखते है । षैषवस्था तथा पूर्व - बाल्यावस्था में रोना , प्रेम , क्रोध तथा ईश्र्या जैसे संवेगों के विकास को चिन्ह्नित करते है 
  • ज्ञनत्मक विकास का अर्थ , ज्ञान , तर्कषक्ति ,समझ तथा निरीक्षण आदि में वृद्धि होना है । 
  • भाशा विकास के उपरान्त छोटे बालक केवल गड़गड़ाने तथा कू की ध्वनि उत्पन्न कर सकते है । 
  • 10 माह की आयु पर , बालक प्रायः अपना पहला षब्द बोलता है और फिर इसे बहुत नियमित रूप से दोहराता है । 
  • बालक धीरे - धीरे बोलना सीखते है । तीन वर्श की आयु में उनके पास 1000 षब्दों - भण्डाार होता है । 

Objective Question  (Multiple Choise Question ) 



1. अस्थाई दाँतों की संख्या होती है - (BSEB 2016,20) 
   (क) 10 
   (ख) 15
   (ग) 20 
   (घ) 25 

Answer - C 

2. जन्म के समय नवजात षिषु का औसत भार होता है ?(BSEB 2009) 
(a) 2 किग्रा 
(b) 2.5 किग्रा - 3.5 किग्रा 
(c) 3 किग्रा 
(d) 4 किग्रा 

Answer - B

3. किस महीने में बच्चा बिना सहारे खड़ा हो सकता है ? 
    (क) 6 महीने में 
   (ख) 7 महीने में 
   (ग) 9-12 महीने में 
   (घ) 12 महीने में 

   Answer - C 

4. कौन - सा तत्व विकास को प्रभावित नहीं करता है ? (BSEB 2017)
   (a)  पोशण 
   (b)  धन 
   (c)  अन्तःस्त्रावी ग्रन्थियाँ 
   (d)  रोग एवं चोट 

Answer - B 

5. विवृद्धि से अभिप्राय है - 
(a) गुणात्मक विकास 
(b) संध्यात्मक विकास 
(c)    सामाजिक विकास 
(d)    ज्ञानत्मक विकास 

Answer - B

 6.  दो वर्श से छः वर्श तक की आयु को कहते है ? 
(a)  षैषवावस्था 
(b)  बाल्यावस्था 
(c)  किषोरावस्था 
(d)   प्रौढ़ावस्था 

Answer - B

7.  निम्न मे से कौन क्रियात्मक विकास नहीं है ? 
(a) सिर सैंभालना 
(b)  बोलना 
(c)  घुटनों के बल चलना 
(d)  पकड़ना 

Answer - B

8.  जन्म से ही षिषु में किस संवेग का प्रदर्षन होता है ? ( BSEB 2012 )
(a) प्यार 
(b) भय 
(c) क्रोध 
(d)  नापसंद

Answer - A

9.  निम्न में से किस आयु पर षिषु घुटनों के बल चलने लगता है ? 
(a)    11 - 12 माह 
(b) 6 - 7 माह 
(c) 2 - 3 माह 
(d)  13 - 14 माह 

Answer - A

10. प्रसवोपरान्त अवधि गम्भीर है - (BSEB 18 )
(a)  माता के लिए 
(b) बच्चे के लिए 
(c) दोनो के लिए 
(d) दोनों के लिए नहीं 

Answer - D

Short Answer Type Question (लघु उत्तरिये प्रश्न ) 


Q1.बालक के षारीरिक विकास को प्रभावित करने वाले तत्वों की व्याख्या कीजिए ।  
 उत्तर - बालक के षारीरिक विकास को मुख्य 5 तत्व प्रभावित करते  वाले है 
i.लम्बाई  ii. भार या वजन iii. षारीरिक अनुपात iv.माँसपेषियों का विकास  v. दाँत 

(i)लम्बाई -जब बच्चा जन्म लेता है उस समय उसकी लम्बाई लगभग 20 इंच होती है  लेकिन लड़कों की लम्बाई लड़कियों की लम्बाई की अपेक्षा आधा इंच अधिक होती है । षिषु की लम्बाई में प्रारम्भ के दो वर्शो में तीव्र वृद्धि होती है लेकिन वृद्धि की यह गति बाद में धीमी पड़ जाती है 
(ii) भार या वजन - जन्म के समय बालक का भार 2.5 से 3.5 किलोग्राम तक होता है । बालिका का भार 7 पौण्ड या 3 किलोग्राम होता है । भार की वृद्धि का समय लगभग सभी बालकों में समान रहता है । जन्म से लेकर पाँच महीने तक बच्चे के भार की वृद्धि तीव्र गति से होती है और उसका भार जन्म के भार से लगभग दोगुना हो जाता है । 
षिषु के भार की गति पाँच माह के पष्चात् धीमी पड़ जाती है ।  बालक का भार उसके षरीर की प्रकृति पर भी निर्भर करता है । 
(iii) षारीरिक अनुपात - बालक क षरीरिक विकास निम्नलिखित प्रकार से होता है । 
क. सिर का आनुपातिक विकास 
ख. चेहरे का आनुपातिक विकास 
ग. धड़ के अनुपातिक विकास 
घ. हाथों व पैरों का आनुपतिक विकास 
(iv) माँसपेषियों का विकास - नवजात षिषु की माँसपेषियों का विकास नहीं हो पाता है इसलिए वह पराधीन तथा दुर्बल होता है तथा उसकी क्रियाओं में से भी काई तालमेल नहीं रहता है । 
(v) दाँत - दाँत - दाँत निकलने की प्रक्रिया एक निरन्तर प्रक्रिया है जो गर्भकालिन अवस्था के तीसरे माह से प्रारम्भ होती है और 25 वर्श तक चलती है । दाँत दो प्रकार के होते है अवस्थायी दाँत एवं स्थाई दाँत 

 Q 2 - क्रियात्मक विकास का महत्व बताए । 
 उत्तर - क्रियात्मक विकास बच्चे के स्वस्थ्य रहने और स्वावलम्बी होने एवं उचित मानसिक विकास में मददत करते है । क्रियात्मक विकास के कारण बच्चे में आत्मविष्वास बढ़ाने मे सहायता मिलता है । अगर बालक को पर्याप्त क्रियात्मक विकास नहीं मिल पाता तो बालक के कौषल के विकास में रोक लग जाती है । 

Q3 - बालक के अस्थाई तथा स्थाई दाँतों की संख्या कितनी होती है  
उत्तर - बालक के अस्थाई दाँतो की संख्या 20 तथा स्थाई दाँतो कि संख्या 32 होती है । 

Q4. शिशो वावस्था से क्या आषय है ? 
उत्तर - बालक के जन्म से लेकर 6 वर्श तक की आयु को षैषवावस्था या शिशोवकाल कहते है । इस अवस्था में बालक पूर्ण रूप से पराश्रित होता है । अर्थात वह पूरी तरह से दूसरे पर निर्भर रहता है । उसके विकास देखभाल के लिए माता - पिता व परिवार के सदस्य को निर्भर रहना पड़ता है । 

प्रष्न 5 - नवजात षिषु के लिए सर्वोत्तम अहार क्या है  ? 
उत्तर -  नवजत षिषु के लिए सर्वोत्तम आहार स्तनपान है । 

प्रष्न 6 - समेकित बाल विकास योजना के मूख्य कार्यक्रम कौन - कौन से है ? 
उत्तर -  समेति बाल विकास योजना के मूख्य कार्यक्रम निम्नलिखित है 
       क. पूरक पोशण 
       ख. टीकाकरण / रोग - प्रतिरक्षा 
       ग. स्वास्थ्य जांच सेवाएं
       घ. रेफरल सेवाएं 
       ग. स्कूल - पूर्व अनौपाचारिक षिक्षा 
      घ. पोशण और स्वास्थ्य षिक्षा 


Class 12th History VVI Short Question -

 कक्षा-12 इतिहास लघु उत्तरीय प्रश्न ) PART- 1

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Class 12th History VVI Long Question -



कक्षा-12 ( इतिहास दीर्घ उत्तरीय प्रश्न ) PART- 2

कक्षा-12 ( इतिहास दीर्घ उत्तरीय प्रश्न ) PART- 3

कक्षा-12 ( इतिहास दीर्घ उत्तरीय प्रश्न ) PART- 4

कक्षा-12 ( इतिहास दीर्घ उत्तरीय प्रश्न ) PART- 5

कक्षा-12 ( इतिहास दीर्घ उत्तरीय प्रश्न ) PART- 1




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