Class 12th History ( कक्षा-12 इतिहास लघु उत्तरीय प्रश्न ) PART- 1
Q.1. हड़प्पा संस्कृति के बारे में जानकारी के क्या स्रोत है ?
Ans ⇒ हड़प्पा संस्कृति के बारे में जानकारी कराने वाले अनेक स्रोत उपलब्ध हैं। सर्वप्रथम हड़प्पा एवं मोहनजोदड़ो जैसे विभिन्न नगरों की खुदाई से प्राप्त विभिन्न भवनों, गलियों, बाजारों, स्नानागारों आदि के अवशेष हड़प्पा संस्कृति पर प्रकाश डालते हैं। इन अवशेषों से हड़प्पा संस्कृति के नगर निर्माण एवं नागरिक प्रबंध के विषय में भी पर्याप्त जानकारी प्राप्त होती है।
दूसरे, कला के विभिन्न नमूनों से जैसे मिट्टी के खिलौनों, धातुओं की मूर्तियों (विशेषकर नाचती हुई लड़की की ताँबे की प्रतिमा) आदि से हडप्पा के लोगों की कला एवं कारीगरी पर पर्याप्त प्रकाश पड़ता है।
मोहरों (Seals) से जो अपने में ही हडप्पा संस्कति के विभिन्न पहलओं पर काफी जानकारी प्राप्त होती है। इनसे हड़प्पा संस्कृति से संबंधित लोगों के धर्म, पशु-पक्षियों एवं पेड़-पौधों तथा लिपि के उपस्थिति से यह अनुमान लगाया जाता है कि हडप्पाई लोग पढ़े-लिखे थे। इस लिपि के पढ़े जाने के बाद उनके संबंध में कई महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त होंगी।
Q.2. सिंधुघाटी सभ्यता की धार्मिक जीवन पर प्रकाश डालें। :
Ans ⇒ हड़प्पा (सिंधु) सभ्यता के धार्मिक जीवन की प्रमुख विशेषताएँ निम्न थीं
(i) मातृदेवी की पूजा होती थी।
(ii) पशुपति की पूजा प्रचलित थी। कूबड़ वाला बैल पूजनीय था।
(iii) पीपल वृक्ष की भी पूजा होती थी।
(iv) नागपूजा, स्वास्तिष्क (सूर्यपूजा), अग्निपूजा (वेदी) के भी संकेत मिलते हैं।
(v) एक मूर्ति में एक स्त्री के गर्भ में से एक पौधा निकलता हुआ दिखाई देता है। यह संभवतः धरती देवी की मूर्ति है। संभव है कि हड़प्पावासी धरती को उर्वरता की देवी मानकर उसकी पूजा करते हों। … कुल मिलाकर हड़प्पा सभ्यता का धार्मिक जीवन काफी हद तक आज के हिन्दु धर्म के ही समान था। यद्यपि इस सभ्यता से कहीं भी मन्दिर जैसे अवशेष नहीं प्राप्त हुए हैं।
Q.3. हडप्पा सभ्यता के प्रमुख देवताओं एवं धार्मिक प्रथाओं की विवेचना करें।
Ans ⇒ हडप्पावासी बहुदेववादी और प्रकृति पूजक थे। मातृदेवी इनकी प्रमुख देवी थी। मिट्टी की बनी अनेक स्त्री मूर्तियाँ, जो मातृदेवी की प्रतीक है, बड़ी संख्या में मिली हैं। देवताओं में प्रधान पशपति या आद्य-शिव थे। मोहनजोदड़ो से प्राप्त मुहर पर योगीश्वर की मूर्ति को पशुपति महादेव माना गया है। सिन्धुवासी नाग कूबड़दार सांढ, लिंग योनि पीपल के वृक्ष की भी पूजा करते थे। जलपूजा, अग्निपूजा और बलि प्रथा भी प्रचलित थी। मन्दिरों और पुरोहितों का अस्तित्व नहीं था।
Q.4. हड़प्पा सभ्यता के विस्तार पर प्रकाश डालें।
Ans ⇒ हडप्पा सभ्यता प्राचीन सभी सभ्यताओं में विशालतम थी। यह उत्तर में कश्मीर से लेकर दक्षिण में नर्मदा घाटी तक पश्चिम में ब्लूचिस्तान मकरान तट से लेकर पूर्व में अलमगीरपुर (उत्तर प्रदेश) तक फैली हुई थी। कुल मिलाकर यह सभ्यता पूर्व से पश्चिम तक 1600 कि० मी. तथा उत्तर से दक्षिण लगभग 1200 कि. मी. तक विस्तृत थी।
Q.5. मोहनजोदड़ो के सार्वजनिक स्नानागार के विषय में लिखिए।
Ans ⇒ मोहनजोदडो में बना सार्वजनिक स्नानागार अपना विशेष महत्त्व रखता है। यह सिन्ध घाटी के लोगों को कला का अद्वितीय नमूना है। ऐसा अनुमान है कि यह स्नानागार (तालाब) धार्मिक अवसरों पर आम जनता के नहाने के प्रयोग में लाया जाता था। यह तालाब इतना मजबूत बना हुआ है। इसकी दीवारें काफी चौड़ी बनी हुई हैं जो पक्की ईंटों और विशेष प्रकार के सीमेंट के है ताकि पानी अपने आप बाहर न निकल सके। तालाब (स्नानघर) में नीचे उतरने के लिए
मा बनी हुई हैं। पानी निकलने के लिए नालियों का भी प्रबंध है।
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