Class 12th History ( कक्षा-12 इतिहास लघु उत्तरीय प्रश्न ) PART- 6
Q.1. घटोत्कच कौन था ?
Ans ⇒ घटोत्कच दूसरे पांडव भीम और एक राक्षसी महिला हिंडिंबा की संतान थी। हिडिंबा एक मानव भक्षी राक्षस की बहन थी। वह भीम के प्रति आसक्त हो गई। उसने युधिष्ठिर से प्रार्थना का वह भी उस विवाह करना चाहती है और उसने वायदा किया कि वह स्वेच्छा से पांडवों को छोड़कर चली जायेगी। घटोत्कच की माँ बनने के बाद उसने पुत्र सहित अपने वायदे के अनुसार पांडवों को छोड़ दिया। घटोत्कच ने अपने पिता भीम तथा अन्य पांडवों को यह बताया कि वे जब कभी भी उसे बुलाएँगे वह उनके पास आ जायेगी।
Q.02. अश्वमेघ का क्या अर्थ है ?
Ans ⇒ अश्वमेघ’ का शाब्दिक अर्थ है – अश्व = घोड़ा, व मेघ = बादल अर्थात् बादल रूपी घोड़ा। जिस प्रकार बादल वायुमंडल में स्वेच्छा से विचरण करता रहता है, उसी प्रकार ‘अश्वमेघ’ यज्ञ का घोड़ा अपनी इच्छा से कहीं भी घूमता (दौड़ता) रहता है।
‘अश्वमेघ’ प्राचीन काल में एक यज्ञ विशेष का नाम था, जिसमें घोड़े के माथे पर एक जयपत्र बाँधा जाता था और उसे स्वच्छन्द रूप से छोड़ दिया जाता था (शक्तिशाली व प्रतापी राजाओं द्वारा यह कार्य किया जाता था) घोड़े का अपने यहाँ दौड़कर वापस आने का अर्थ था-राजा का निर्विरोध शासक स्थापित होना। यदि कोई घोड़े को पकड़ लेता था तो उसे घोड़े के स्वामी (राजा) से युद्ध करना पड़ता था।
Q.03. प्राचीन शहर राजगीर के बारे में कुछ तथ्यों का उल्लेख कीजिए।
Ans ⇒ राजगीर, मगध राज्य का एक महत्वपूर्ण राजधानी नगर था। इसे पहले राजगृह कहा गया जो एक प्राकृतिक भाषा का शब्द है जिसका शाब्दिक अर्थ होता है राजा का घर। यह वर्तमान बिहार राज्य में था। यह नगर किलाबद्ध था और नदी के किनारे पहाड़ों से घिरा हुआ परिधी में स्थित था। जब तक पाटलिपुत्र मगध की नई राजधानी बनी तब तक राजगीर (अथवा राजगृह) ही पूर्वी भारत में सर्वाधिक महत्वपूर्ण राजनीतिक गतिविधियों का केन्द्र रहा।
Q.04. ‘नालन्दा’ पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
Ans ⇒ नालंदा (Nalanda) –‘नालंदा बौद्ध धर्म का एक प्रसिद्ध विश्वविद्यालय था। चीनी यात्री ह्वेनसांग ने इसके सम्बन्ध में लिखा था कि इसमें दस हजार विद्यार्थी पढ़ते थे, जिनको 1500 अध्यापक पढ़ाते थे। सभी छात्र छात्रावास में रहते थे। उनके खाने-पीने और अन्य खर्च के लिए राज्य ने 200 गाँव दिये हए थे, जिनके भूराजस्व से सारा खर्च चलता था। इस विश्वविद्यालय में अध्ययन के लिए, अपने देश के अलावा विदेशों से भी छात्र आते थे। इसमें प्रवेश पाना सरल न था। इस विश्वविद्यालय में पढ़े हुए छात्र समाज और राजदरबारों में सम्मान के पात्र होते थे।’
Q.05. मौर्यकालीन इतिहास के प्रमुख स्रोतों का संक्षिप्त विवरण दें।
Ans ⇒ मौर्यकालीन इतिहास के प्रमुख स्रोतों का विवरण निम्नलिखित है-
(i) मेगास्थनीज की इंडिका (Indica of Magasthaneze)- मौर्यकालीन भारत के विषय मज्ञान प्राप्त करने के लिये मेगास्थनीज द्वारा रचित ‘इण्डिका’ (Indica) एक महत्वपर्ण ग्रंथ है, जिसमें तत्कालीन शासन व्यवस्था, सामाजिक, राजनैतिक व आर्थिक अवस्था पर महत्वपूर्ण विवरण मिलता है।
(ii) कौटिल्य का अर्थशास्त्र (Kautilya’s Arthshastra) – कौटिल्य का अर्थशास्त्री तत्कालीन भारत के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डालता है जिससे मौर्यों के बारे में पता चलता है
(iii) विशाखदत्त मुद्राराक्षस (Vishakhdutta’sMudraraksha) – इस प्रमुख ग्रंथ में नन्द ” का चन्द्रगुप्त द्वारा नाश का वर्णन है।
(iv) जैन और बौद्ध साहित्य (Jains and Buddhists Literature) – जैन और बौद्ध दोनों धर्मों के साहित्य में तत्कालीन समाज, राजनीति आदि की जानकारी प्राप्त होती है।
(v) अशोक के शिलालेख (Inscription of Ashoka) - स्थान-स्थान पर लगे अशोक के शिलालेख से भी मौर्यकालीन प्रशासन, धर्म, समाज अर्थव्यवस्था आदि पर प्रकाश पड़ता है। ।
Q. 6. गांधार कला की विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
Ans ⇒ महायान बौद्ध धर्म के उदय के साथ गांधार कला का भी उदय हुआ। इनका विकास गांधार क्षेत्र (अविभाजित भारत का पश्चिमोत्तर क्षेत्र) में हुआ इसलिए इसे गांधार कला कहा गया। इस पर यूनानी कला-शैली का प्रभाव है। इस कला में पहली बार बुद्ध और बोधिसत्व की मानवाकार मूर्तियाँ विभिन्न मुद्राओं में बनीं। मूर्तियों में बालों के अलंकरण पर विशेष ध्यान दिया गया।
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