Class 12th History ( कक्षा-12 इतिहास लघु उत्तरीय प्रश्न ) PART- 2 ( Board exam 2022)

 

raj singh classes


Class 12th History ( कक्षा-12 इतिहास लघु उत्तरीय प्रश्न ) PART- 2

Q.1. सिंधु घाटी से संबंधित गृह स्थापत्य पर एक टिप्पणी लिखिए।

Ans ⇒ सिंधु घाटी सभ्यता की गृह स्थापत्य (Domesticarchitectureofthe Indus Valmial Civilisation)-मोहनजोदडो का निचला शहर आवासीय भवनों के उदाहरण प्रस्तत करता र से कई एक आँगन पर केन्द्रित थे जिसके चारों ओर कमरे बने थे। संभवतः आँगन, खाना पर
और कताई करने जैसी गतिविधियों का केन्द्र था, खास तौर से गर्म और शुष्क मौसम में। यहाँ एक अन्य रोचक पहलू लोगों द्वारा अपने एकांतता को दिया जाने वाला महत्त्व था। भूमि तल बनी दीवारों में खिडकियाँ नहीं है। इसके अतिरिक्त मुख्य द्वार से आंतरिक भाग अथवा आँगन का सीधा अवलोकन नहीं होता है।
हर घर का ईंटों के फर्श से बना अपना एक स्नानघर होता था, जिसकी नालियाँ दीवार के माध्यम से सड़क की नालियों से जुडी हुई थीं। कुछ घरों में दूसरे तल या छत पर जाने हेतु बनाई गई सीढ़ियों के अवशेष मिले थे। कई आवासों में कुएँ थे जो अधिकांशतः एक ऐसे कक्ष में बनाये गए थे जिसमें बाहर से आया जा सकता था और जिनका प्रयोग संभवतः राहगीरों द्वारा किया जाता था। विद्वानों ने अनुमान लगाया है कि मोहनजोदड़ो में कुओं की कुल संख्या लगभग 700 थी।


Q.2. मोहनजोदड़ो का एक नियोजित शहरी केन्द्र के रूप में प्रमुख विशेषताओं का लगभंग 100 से 150 शब्दों में लिखिए।

Ans ⇒ एक नियोजित शहरी केन्द्र के रूप में मोहनजोदड़ो (A planned urban centre Mohenjodaro)

(i) संभवतः हड़प्पा सभ्यता का सबसे अनूठा पहलू शहरी केन्द्रों का विकास था। आइये ऐसे ही केन्द्र, मोहनजोदड़ो को और सूक्ष्मता से देखते हैं। हालांकि मोहनजोदड़ो सबसे प्रसिद्ध पुरास्थल है, सबसे पहले खोजा गया स्थल हड़प्पा था।

(ii) बस्ती दो भागों में विभाजित है, एक छोटा लेकिन ऊँचाई पर बनाया गया और दूसरा कहीं अधिक खड़ा लेकिन नीचे बनाया गया। पुरातत्वविदों ने इन्हें क्रमश: दुर्ग और निचला शहर का नाम दिया है। दुर्ग को दीवार से घेरा गया था।

(iii) निचला शहर भी दीवार से घेरा गया था। इसके अतिरिक्त कई भवनों को ऊँचे चबूतरों पर बनाया गया था जो नींव का कार्य करते थे। अनुमान लगाया गया है कि यदि एक श्रमिक प्रतिदिन एक घनीय मीटर मिट्टी ढोता होगा, तो मात्र आधारों को बनाने के लिए ही चालीस लाख श्रम-दिवसों, अर्थात् बहुत बड़े पैमाने पर श्रम की आवश्यकता पड़ी होगी।

(iv) शहर का सारा भवन-निर्माण कार्य चबूतरों पर एक निश्चित क्षेत्र तक सीमित था। इसलिए ऐसा प्रतीत होता है कि पहले बस्ती का नियोजन किया गया था और फिर उसके अनुसार कार्यान्वयन। नियोजन के अन्य लक्षणों से ईंटें शामिल हैं, जो भले धूप में सुखाकर अथवा भट्टी में पकाकर बनाई गई हों, एक निश्चित अनुपात की होती थीं, जहाँ लंबाई और चौड़ाई, ऊँचाई की क्रमशः चार गुनी और दगनी होती थी। इस प्रकार की ईंटें सभी हड़प्पा बस्तियों में प्रयोग में लाई गई थीं।


Q.3. कार्बन-14 विधि से आप क्या समझते हैं ?

Ans ⇒ तिथि निर्धारण की वैज्ञानिक विधि को कार्बन-14 विधि के नाम से जाना जाता है। वस्तुतः किसी की जीवित वस्तु में कार्बन-12 और कार्बन-14 समान मात्रा में पाया जाता है। मृत्यु की अवस्था में C-12 तो स्थिर रहता है किन्तु कार्बन-14 का निरंतर बल होने लगता है। कार्बन का अर्द्ध आयु काल 5568 + 90 वर्ष होता है अर्थात् इतने वर्षों में उस पदार्थ में C-14 की मात्रा आधी रह जाती है। इस प्रकार वस्तु के काल की गणना की जाती है। जिस पदार्थ में कार्बन-14 की मात्रा जितनी कम होगी वह उतनी ही पुरानी मानी जाएंगी। इसी के आधार पर प्राचीन सभ्यताओं की तिथि का निर्धारण किया जाता है।


Q.4.पुरातत्व से आप क्या समझते है ?

Ans ⇒ प्राचीन इतिहास के अध्ययन में पुरातात्विक स्रोत का अपना विशेष स्थान रखते हैं। इसके प्रमुख कारण यह है कि भारतीय ग्रंथों की संख्या काल की सही-सही जानकारी नहीं होने के कारणं किसी काल-विशेष की सामाजिक एवं आर्थिक स्थिति का ज्ञान नहीं होता। साहित्यिक साधनों में लेखक का दृष्टिकोण भी सही तथा प्रस्तुत करने में बाधक होता है। ग्रंथों की प्रतिलिपि करने वालों ने अपना इच्छानुसार प्राचीन प्रकरणों को छोड़कर अनेक नए प्रकरण जोड़ देते हैं। लेकिन पुरातात्विक सामग्री में इस प्रकार के हेर-फेर की संभावना बहुत कम होता है। अतः पुरातात्विक स्रोत अधिक विश्वसनीय होते हैं।


Q.5. इतिहास लेखन में अभिलेखों का क्या महत्त्व है ?

Ans ⇒ अभिलेखों से तात्पर्य है पाषाण, धातु या मिट्टी के बर्तनों आदि पर खुदे हुए लेखाभिलेखों से तत्कालीन राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक तथा धार्मिक जीवन की जानकारी मिलती है। अशोक के अभिलेखों द्वारा उसके धम्म, प्रचार-प्रसार के उपाय, प्रशासन, मानवीय पहलुओं आदि क विषय म सहज जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। इतिहास लेखन में अभिलेख की महत्ता इससे भी स्पष्ट हो जाता है कि मात्र अभिलेखों के ही आधार पर भण्डारकर महोदय ने अशोक का इतिहास लिखने का सफल प्रयत्न किया है।


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