Bihar board class 11th Hindi Solution प्रतिपूर्ति – सफेद कबुतर

 

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  Class 11 Hindi Book Solution    

Bihar board class 11 Hindi book solution  Pratiputi (प्रतिपूर्ति) chapter - 3 , Saransh , (सरांश  )


     कक्षा - 12वी प्रतिपूर्ति  अध्याय– 3            

              सफेद कबुतर – न्गूयेन क्वांग थान       

         [ नोटइस खंड से परीक्षा में प्रश्न नहीं पूछे जाएँगे ]

न्यूयेन क्वांग थान वियतनाम के कहानीकारों में सर्वाधिक ख्यात हैं। उनकी कहानियों में स्वस्थ जीवन-मूल्यों का सफलतापूर्वक प्रकाशन हुआ है। उनकी कहानियाँ कहानी-कला की कसौटी पर खरी उतरती दृष्टिगत होती हैं।

'सफेद कबूतर' कहानीकार न्यूयेन क्वांग थान विरचित एक मनोवैज्ञानिक कहानी है। इस कहानी में फौजी जीवन का मनोवैज्ञानिक चित्रण प्रस्तुत हुआ है।

एक फौजी है जो आठ वर्षों बाद अपने घर लौटता है। अपनी पुरानी चीजें उसे अत्यधिक प्रिय लगती हैं। ऐसी ही एक चीज है फौज से मिला उसका वह पुराना झोला, जिसे अपनी पीठ पर कसे अपने गाँव लौटता है। अपने झोले को मजबूती देने के लिए उसने उसमें लोहे के तार का इस्तेमाल किया है। कंधे पर रखे इस झोले के तार कभी-कभी उसके कंधे में गड़ते भी हैं पर बिना उसकी परवाह किये झोला वह अपने कंधे पर रखता है।

फौजी की पत्नी और बच्चे गाँव में ही रहते हैं। फौजी जब अपने गाँव आता है तो अपनी पत्नी औरबच्चे को याद करने की कोशिश करता है। अपनी पत्नी को वर्षों से उसने पत्र भी नहींलिखे थे इसलिए उसे विस्मरण होता है। कहानीकार के शब्दों में 'अचानक उसकी नजर तार पर सूखते, बच्चों के नए-नए पाजामों पर गई तो उसका दिल बल्लियों उछल पड़ा। काँपते हाथों से उसने एक पाजामा उतारा और उससे बच्चे की ऊँचाई का अंदाज लगाने की कोशिश करने लगा। ठीक उसी वक्त हाथ में गुलेल थामे वह लड़का स्वयं कमरे में दाखिल हुआ और एक अजनबी को पाजामा टटोलते देखकर ठिठक गया।"

दोनों एक-दूसरे को अवश्य देख रहे थे पर दोनों के मध्य संवादहीनता की स्थिति थी। इसी बीच लड़का अजनबी को देखकर चिल्लाना चाहा पर उसे चोर न समझकर उस बच्चे ने यह हुए कि 'यह व्यक्ति कहीं उसका पिता तो नहीं।' उसे यह भी ध्यान हुआ कि उसकी अनुमान करते माँ प्रायः उसके पिता की याद किया करती है। लड़के को क्या सूझा कि वह माँ को बुलाने दौड़

गया। बच्चे को दौड़े जाते देखकर अजनबी चकित हुआ।

इधर खेतों में अन्य औरतों के बीच खड़ी उसकी पत्नी ने किसी से यह कहते सुना कि उसके घर की ओर सिपाही को जाते देखा गया है। उलझन में पड़ी उसकी पत्नी यह अनुमान करने लगी कि - "यह सिपाही कौन हो सकता था ? उसका पति या कोई और ? अगर वह सिपाही उसका पति नहीं था, तब भी तो उससे उसका मिलना जरूरी था। हो सकता है वह बुरी खबर या मृत्यु का संदेश लाया हो, क्योंकि पिछले आठ वर्षों में पति का एक भी खत उसे नहीं मिला था।" - को अपने घर किसी सिपाही के आने से काफी घबराहट हुई पर वहाँ से तत्क्षण

उसकी पत्नी उसका घर लौटना मुश्किल था क्योंकि सुबह वहाँ निकट मिट्टी में एक अमरीकी बम निकला था जिसके फटने से पूर्व किसी को मालूम नहीं हो सका था। वहाँ खुदाई का काम काफी तेजी से चल रहा था। उसकी पत्नी मजदूरों की टोली की अगुआ थी और खुदाई कार्य उसी की देखरेख में हो रहा था। 

अंत में वह फौजी अपनी पत्नी के पहुँचने पर पहचान लिया जाता है क्योंकि फौजी की बोली और दक्षिण प्रांतों वाला उसका लहजा उसकी पत्नी की समझ से बाहर नहीं था। इसके पश्चात् फौजी ट्रेनिंग प्राप्त वह फौजी मिट्टी के नीचे गड़े-पड़े एक एम के 52 नामक जानलेवा बम को निष्क्रिय करने के लिए उसके डिटोनेटर को घुमाने लगता है। इस बीच विश्वास और अविश्वास  के द्वन्द्व में उलझे फौजी को पुनः एक सफेद कबूतर उड़ता प्रतीत हुआ।

प्रस्तुत कहानी युद्ध की पृष्ठभूमि में रचित होने के कारण जिजीविषा और आशा की किरण दिखाती हुई विश्वास और अविश्वास के तनाव में उलझाती अवश्य है पर इस कहानी का अंत सकारात्मक सोच में होता है और कहानीकार का अभीष्ट भी यही है। नि:संदेह स्वस्थ जीवन-मूल्य दर्शाती यह कहानी तात्त्विक दृष्टि से कहानीकार न्यूयेन क्वांग थान की एक सशक्त रचना है।




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