Class 11 Hindi Book Solution - Hindi Grammar
Bihar board class 11 Hindi book solution || Hindi Crammer || हिन्दी व्यकरण
अध्याय – 1 संज्ञा
प्रश्न - 1. संज्ञा किसे कहते हैं ? इसके कितने भेद होते हैं ? सोदाहरण समझाएँ ।
उत्तर - संज्ञा उस विकारी शब्द को कहते हैं जिससे किसी विशेष वस्तु अथवा व्यक्ति के नाम का बोध हो।
हिन्दी व्याकरणों में दिए गए संज्ञा के महत्वपूर्ण लक्षण निम्नलिखित हैं
(1) संज्ञा पदार्थ के नाम को कहते हैं
(2) संज्ञा वस्तु के नाम को कहते हैं
(3) पदार्थ मात्र को संज्ञा कहते हैं।
(4) वस्तु के नाम मात्र को संज्ञा कहते हैं।
संज्ञा की परिभाषा के अन्तर्गत 'वस्तु' शब्द को व्यापक अर्थ में ग्रहण किया गया है। 'वस्तु' केवल पदार्थ और वाणी का वाचक नहीं है, अपितु उनके धर्मों का भी सूचक है। अतः वस्तु के अन्तर्गत प्राणी, पदार्थ और धर्म आते हैं, इन्हीं के आधार पर संज्ञा के भेद किए जाते हैं।
संज्ञा के भेद : हिन्दी व्याकरण में संज्ञा के मुख्य: 5 भेद हैं –
(1) व्यक्तिवाचक,
(2) जातिवाचक,
(3) भाववाचक
(4) समूहवाचक और
(5) द्रव्यवाचक ।
( 1 ) व्यक्तिवाचक संज्ञा : जिस शब्द से किसी एक वस्तु या व्यक्ति का बोध हो उसे व्यक्तिवाचक संज्ञा कहते हैं, जैसे- श्याम, गंगा, दिल्ली, जापान, रामचरित मानस, सिपाही- विद्रोह, होली, दिवाली आदि ।
व्यक्तिवाचक संज्ञाएँ निम्नलिखित रूपों में होती हैं।
(i) व्यक्तियों के नाम - श्याम, हरि, सुरेश
(ii) दिशाओं के नाम - उत्तर पश्चिम, दक्षिण पूर्व >
(iii) देशों के नाम - भारत, जापान, अमेरिका, पाकिस्तान, वर्मा।
(iv) राष्ट्रीय जातियों के नाम भारतीय, रूसी, अमेरिकी । -
(v) समुद्रों के नाम- काला सागर, भूमध्य सागर, हिन्द महासागर, प्रशान्त महासागर ।
(vi) नदियों के नाम - गंगा, ब्रह्मपुत्र, बोल्गा, कृष्णा, कावेरी।
(vii) पर्वतों के नाम - हिमालय , विन्ध्याचल, अलकनन्दा, कराकोरम ।
(viii) नगरों, चौकों और सड़कों के नाम-वाराणसी, पटना, चाँदनी चौक, हरिसन रोड, अशोक राजपथ ।
(ix) पुस्तकों तथा समाचार पत्रों के नाम- रामचरित मानस, ऋग्वेद, सरस सलिल, इण्डियन नेशन, हिन्दुस्तान टाइम्स
(x) ऐतिहासिक युद्धों और घटनाओं के नाम: पानीपत की पहली लड़ाई, सिपाही विद्रोह, अगस्त- क्रान्ति ।
(xi) दिनों, महीनों के नाम-मई, जुलाई, अक्टूबर, सोमवार, मंगलवार ।
(xii) त्योहारों, उत्सवों के नाम- होली, दिवाली, रक्षाबंधन, विजयादशमी, गणतंत्र दिवस ।
( 2 ) जातिवाचक संज्ञा – जिस संज्ञा से किसी जाति के सम्पूर्ण पदार्थों व उनके समूहों का बोध होता है उसे जातिवाचक संज्ञा कहते हैं । जैसे - घर, पर्वत, मनुष्य, नदी, मोर, सभा आदि ।
जातिवाचक संज्ञाएँ निम्नलिखित रूपों में होती हैं
(i) सम्बन्धियों, व्यवसायों, पदों और कार्यों के नाम-बहन, भाई, मन्त्री, जुलाहा, हलवाई, प्रोफेसर, अध्यापक, माली, चोर।
(ii) पशु-पक्षियों के नाम घोड़ा, गाय, कौआ, तोता, मैना।
(iii) वस्तुओं के नाम-मकान, कुर्सी, घड़ी, पुस्तक, कलम, टेबिल
(iv) प्राकृतिक तत्वों के नाम-तूफान, बिजली, वर्षा, भूकम्प, ज्वालामुखी ।
(3) भाववाचक संज्ञा : जिस संज्ञा से व्यक्ति या वस्तु के गुण या धर्म, दशा अथवा व्यापार का बोध होता है, उसे भाववाचक संज्ञा कहते हैं, जैसे- लम्बाई, जवानी, चतुराई, मिठास, नम्रता, नारीत्व, सुन्दरता, समझ इत्यादि । व्यक्तिवाचक संज्ञा की तरह भाववाचक सज्ञा से भी किसी एक हो भाव का बोध होता है। धर्म, गुण, अर्थ और भाव प्रायः पर्यायवाची शब्द हैं। इससे संज्ञा का अनुभव होता है तथा इसका बहुवचन प्रायः नहीं होता है। उसे
(4) समूहवाचक संज्ञा : जिस संज्ञा से वस्तु अथवा व्यक्ति के समूह का बोध हो, समूहवाचक संज्ञा कहते हैं, जैसे- सभा, दल, गिरोह, कुंज, मण्डल, गुच्छा आदि।
( 5 ) द्रव्यवाचक संज्ञा : जिस संज्ञा से नाप-तौल वाली वस्तु का बोध हो, उसे द्रव्यवाचक संज्ञा कहते हैं, जैसे-सोना, चाँदी, पीतल, दूध, पानी, तेल, तेजाब आदि।
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