Follow Me - YouTube || Facebook || Instagram || Twitter || Telegram
Class 11 Hindi Book Solution
Bihar board class 11 Hindi book solution Pratiputi (प्रतिपूर्ति) chapter , Saransh , (सरांश )
कक्षा - 12वी प्रतिपूर्ति अध्याय– 2
नया कानून – सआदतहसन मंटो
[ नोटइस खंड से परीक्षा में प्रश्न नहीं पूछे जाएँगे ]
सआदत हसन मंटो (1912-1955) उर्दू साहित्य के अन्तर्गत सर्वाधिक चर्चित कहानीकार के रूप में मान्य हैं। उर्दू साहित्य में यथार्थवाद का नया दौर उन्हीं के कहानी-लेखन से आरंभ होता है। उनकी प्रमुख कहानियाँ हैं - लाइसेंस, खोल दो, हतक, काली सलवार, टोबा टेक सिंह आदि। कहानी है। गुलामी की पृष्ठभूमि में
'नया कानून' कहानीकार विरचित इस कहानी में आजादी मिलने के साथ लागू होने वाले नये कानून की प्रतीक्षा को केन्द्र में रखकर समाज के निचले तबके का प्रतिनिधि मंगू तांगेवाले को माध्यम बनाकर कहानीकार ने नये कानून के प्रति एक उमंगभरी उत्सुकता को बड़े ही मनोवैज्ञानिक ढंग से दर्शाया है।
मंगू एक तांगेवाला है। अपने अड्डे पर वह तांगेवालों के बीच सर्वाधिक अक्लमंद और दीन-दुनिया की खबर रखने वाला अत्यंत सजग व्यक्ति है। यह सजगता उसके स्तर की सीमा में कानून के बारे है। वह तांगे चलाता हुआ तांगे में बैठे सवारियों से 1 अप्रील से लागू होने वाले नये में सुनता है। यह सुनकर वह मन-ही-मन काफी उत्साहित होता है। वह सोचता है कि अब गोरों नहीं रहेगी तो उनके जुल्म भी नहीं सहने पड़ेंगे। की हुकूमत इस देश पर अंग्रेजों से मंगू को बेहद नफरत थी जिसका कारण उनके द्वारा ढ़ाया जाने वाला जुर्म था जो मंगू खुद भी अपने तांगा चलाने के क्रम में झेल चुका था। अपने तांगे पर सवार मारवाड़ियों में नये कानून के लागू होने के साथ भावी परिवर्त्तन की होनेवाली बातचीत मंगू ने काफी गंभीरता से सुनी थी। मारवाड़ियों की बात से प्रसन्न होकर वह पहली अप्रील के आने का बेसब्री से इंतजार करता है।
पहली अप्रील को मंगू उत्साह और खुशी से भर अपने तांगे में घोड़े जोतकर बाहर निकलता है। बाजारों का चक्कर लगाते हुए वह देखता है कि सबकुछ पूर्ववत है बदला कुछ भी नहीं है। हर काम पूर्ववत् अपने समय से होता हुआ देखकर जैसे वह बेचैन होता है।
अचानक किसी सवारी ने मंगू को अपनी ओर बुलाया। वह सवारी कोई दूसरा नहीं वह गोरा ही था जो पूर्व में एक दिन उसकी पिटाई कर चुका था। मंगू को नई सवारी गोरे के रूप में दिखायी दी। मंगू को उससे नफरत हुई फिर न चाहते हुए यह सोचकर कि 'इनके पैसे छोड़ना भी बेवकूफी आगे बढ़ा है' वह चलने को तैयार हो गया। घोड़े को चाबुक दिखलाकर वह तांगे चलाते अपने इस -नई सवारी से उसने व्यंग्य के अंदाज में पूछा 'साहब बहादुर, कहाँ जाना मांगता है ?' गोरे ने सिगरेट का धुँआ निगलते हुए जवाब दिया 'जाना मांगटा या फिर गड़बड़ करेगा ?' यह सुनकर मंगू को वह सवारी साफ तौर पर वही गोरा समझ में आया । गोरा को भी पिछले वर्ष की घटना मंगू की बात सुनते ही याद हो आयी। फिर क्या था हीरा मंडी का भाड़ा पाँच रुपये होने की बात मंगू के मुख से सुनते ही गोरे ने मंगूं को अपनी छड़ी से तांगे से नीचे उतरने का इशारा किया। गोरा की तरफ मंगू ऐसे देखने लगा जैसे वह गोरा को पीस डालना चाह रहा हो । आखिरकार नाटे कद के गोरे को उसने घूँसा मार पलक झपकते ही गोरे की ठोड़ी के नीचे जमने के बाद गोरे को खुद से परे हटा तांगे से नीचे उतरकर उसकी धड़ाधड़ पिटाई करनी शुरू दी। गोरा खुद को मंगू के वजनी घूँसों से बचने लगा। मंगू ने इस बार खुद पिटाई न खाकर गोरे की पिटाई जी भरकर की और यह कहते हुए कि - "पहली अप्रैल को भी वही अकड़ फूं पहली अप्रैल को भी वही अकड़ फूं अब हमारा राज है बच्चा ।
गोरा उस्ताद मंगू की पकड़ में था जिससे गोरे को छुड़ाना तत्क्षण पहुँचे दो सिपाहियों के लिए मुश्किल हो रहा था।
'नया अंत में मंगू गिरफ्तार कर थाने ले जाया गया जहाँ वह पागल की तरह चिल्लाता रहा कानून, नया कानून' किन्तु उसकी एक नहीं सुनी गई। हवालात में उसे बंद कर दिया गया। प्रस्तुत कहानी में उस्ताद मंगू के चरित्र के मनोवैज्ञानिक चित्रण के माध्यम से आजादी मिलने के साथ लागू होने वाले नये कानून की प्रतीक्षा से उत्पन्न उमंग भरी उत्सुकता को दर्शाया गया है। कथ्य, शिल्प और भाषा सभी दृष्टियों से यह कहानीकार मंटो की सर्वोत्कृष्ट कहानी है।
Related Post -
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
If you have any doubt please let me know