Bihar board class 11th Hindi Solution पद्खंड chapter - 1 पद – विद्यापति

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  Class 11 Hindi Book Solution    

Bihar board class 11 Hindi book solution  padyakhand chapter - 1 Saransh , (सरांश  )

कक्षा - 11वी  पद्खंड अध्याय - 1  

                 पद – विद्यापति                

लेखक :  विद्यापति 



विद्यापति हिन्दी साहित्य के आदिकाल के कवि हैं। उन्होंने देसिल बयना में अपने पद साहित्य का सृजन किया। विषय की दृष्टि से विद्यापति ने तीन क्षेत्रों से सम्बन्धित पद लिखे हैं भक्ति, श्रृंगार और प्रकृति-सौन्दर्य। भक्ति के क्षेत्र में उन्होंने शिव, कृष्ण, दुर्गा तथा गंगा के प्रति अपनी भक्ति निवेदित करते हुए "सुत-मित-रमणी समाज" के सुख में फंसे भौतिक जीवन से मुक्ति दिलाने की प्रार्थना की है। शृंगार के अन्तर्गत विद्यापति ने राधा-माधव का नाम लेकर नायक-नायिका के रूप, विकास, प्रेम-क्रीड़ा और विरह वेदना का मार्मिक चित्रण किया है जो अपनी रसमयता के कारण रसिक समाज का कंठहार बना हुआ है। यौवन प्रकृति-सौन्दर्य के अन्तर्गत कवि ने प्रधानतः वसन्त ऋतु की शोभा और उद्दीपनकारी क्षमता का वर्णन किया है। "चानन भेल विषम सर" पद कवि द्वारा रचित विरह-सम्बन्धी पद है। इसमें कृष्ण के वियोग में व्यथित राधा की दशा और कृष्ण के आने का आश्वासन-भाव व्यक्त हुआ है। कथन का अवलोकन करने से स्पष्ट होता है कि सखियों के साथ उद्धव की बातचीत का प्रसंग है। राधा ने विरह के ताप से बचने के लिए चंदन का शीतल प्रलेप लगा रखा है और कहीं एकाएक कृष्ण आ जायें तो उसे शृंगारहीन देखकर विरक्त न हो जायें इसलिए आभूषण भी धारण कर रखी है। लेकिन कृष्ण के न आने के कारण प्रतीक्षारत राधा के लिए चन्दन का प्रलेप तीक्ष्ण बाण की तरह चुभने वाला बन गया है और आभूषण बोझ प्रतीत होते हैं। कृष्ण के न आने की स्थिति यह है कि वे प्रत्यक्ष तो नहीं ही दर्शन दे रहे हैं, सपने में भी नहीं आते हैं। राधा का दु:ख यह है कि जिस कृष्ण ने संकट में गिरि धारण कर गोकुल की रक्षा की वे कृष्ण अब इतने निर्भय हो गये हैं कि सपने में भी दर्शन नहीं देते। कवि के अनुसार राधा अकेली उस कदम्ब के वृक्ष तले खड़ी होकर कृष्ण की प्रतीक्षा कर रही है जिसके नीचे कभी दोनों युगल मूर्ति के रूप में खड़े होते थे। यह अकेलापन मन को और विकल बना रहा है। कृष्ण के वियोग में शरीर दग्ध हो रहा है और वियोग-व्यथा के कारण साज-सज्जा से अरुचि हो गई है। इसके कारण उसे वस्त्र बदलने की भी इच्छा नहीं होती। फलतः साड़ी मैली हो गई है। सखियाँ उद्धव से कहती हैं कि हे उद्धव ! तुम मधुपुर अर्थात् मथुरा लौट जाओ। तुम्हारे समझाने से कोई प्रभाव नहीं पड़ने वाला है। कृष्ण के वियोग में यह चन्द्रवदनी राधा जीवित नहीं रहेगी। फिर तुम्हें बेकार ही पाप क्यों लगे ? कवि के कहने का अभिप्राय यह है कि कृष्ण-वियोग में दग्ध राधा मरण की दशा में पहुंच गयी है।, विद्यापति इस मरण-दशा को आशावाद के सहारे नया मोड़ देते हुए समझाते हैं कि हे गुणवती नारी, तन-मन देकर अर्थात् पूरी तरह ध्यान देकर सुनो ! कृष्ण आज गोकुल आयेंगे इसलिए तुम शीघ्रता से चलकर वहाँ पहुँचो।

उद्धव के उल्लेख से स्पष्ट है कि यह पद गोपी-उद्धव संवाद के रूप में रचित है। उद्धव राधा के विषय में जानना चाहते हैं तो गोपियाँ बतलाती हैं कि वह उधर अकेली कदम्ब वृक्ष के नीचे खड़ी कृष्ण के आने की प्रतीक्षा कर रही है। प्रस्तुत पद विरहगत मार्मिकता से ओत-प्रोत है। पाठ्यग्रंथ में संकलित "सरस वसन्त समय भल पाओनि" शीर्षक पद संयोग शृंगार से सम्बन्धित है। इसमें नायिका अथवा राधा का सौन्दर्य वर्णित हुआ है। नायिका या राधा कह रही है कि सरस वसन्त का सुन्दर समय आ गया। दक्षिण पवन धीरे-धीरे बह रहा है। नायिका इस मधुर ऋतु में सोयी हुई थी। उसने सपने में एक रूप (पुरुष-रूप या पुरुष) को देखा जो मानो उससे कह रहा था वसन्त का मनोरम समय आ गया है अतः तुम अपने मुख पर से चीर अर्थात् साड़ी का अवगुंठन दूर करो, मुख उघारो (ताकि तुम्हारी रूप-माधुरी का पान कर सकूँ।) स्पष्ट है कि सपने में उपस्थित होकर मुख से चीर हटाने हेतु कहने वाला वह पुरुष नायिका के लिए नाायक है अथवा राधा के लिए कृष्ण। कवि के अनुसार उस पुरुष ने नायिका से कहा कि विधाता ने कई बार चेष्टा की, कई बार काट-छाँट कर नया रूप देने की चेष्टा की लेकिन फिर भी वे चाँद को तुम्हारे सुन्दर मुख के समतुल्य सुन्दर नहीं बना सके। अर्थात् तुम चाँद से भी अधिक सुन्दर हो। इसी तरह अपनी सुन्दरता और कोमलता के लिए प्रसिद्ध कमल तुम्हारे सुन्दर नेत्रों की बराबरी नहीं कर सका। फलतः वह अपने को अपमानित अनुभव कर पुन: जल में जाकर छिप गया। विद्यापति कहते हैं कि हे युवती ! सुनो तुम्हारा यह रूप लक्ष्मी के रूप की तरह सुन्दर और सौभाग्यदायक दोनों है। इस रूप-रहस्य को लखिमा देवी के पति राजा शिव सिंह रूपनारायण जानते इस पद में कवि ने नायिका के उस अतुलनीय सौन्दर्य का वर्णन किया है जो उपमानों को भी प्रभावहीन कर देता है। इस रूप को लक्ष्मी की भाँति मंगलदायक और ऐश्वर्यपूर्ण बताकर कवि ने सौन्दर्य-चित्रण को एक नया आयाम दिया है। चूँकि रूप-वर्णन की आधार-भूमि स्वप्न है अत: यह नायिका की रूपगत स्वप्रशस्ति भी मानी जा सकती है जो एक स्वप्न पुरुष की कल्पना के माध्यम से व्यक्त हुई है।

निष्कर्षतः पठित दोनों पदों के माध्यम से संयोग-वियोग के दो मनोरम चित्र प्रस्तुत किये गये हैं।

शब्दार्थ :

पद - चानन भेल बिषम सर रे............

एक सरि = अकेले, हेरना = देखना, प्रतीक्षा करना, दगध दग्ध, तप्त, झामर मलिन जाह-जाह - जाओ-जाओ, मधुपुर तीखा, प्रखर सर = तीर, चानन = चन्दन, भूषन = आभूषण, गहना। मथुरा, बिषम

पद –  सरस बसंत................

भल अच्छा, पाओलि = पाया, दछिन = दक्षिण, अनुकूल भाखिअ बोलना, कहना, चीरे चीर, वस्त्र, साड़ी, वदन = होअथि हो सकता, जइओ = यद्यपि, विहि विधाता, ब्रह्मा, नव कए नया करना, नया रूप देना, तइओ = तथापि, तुलित = समान, तुल्य, छिप गया, भनई = कहते हैं, वर = श्रेष्ठ, जौवति = युवती, राजा शिव सिंह मिथिला के एक राजा जिनके आश्रय में विद्यापति रहते थे। मुख, चान चाँद, बराबर नुकाएल रूपनारायण शिव सिंह की उपाधि, लखिमा या लछिमा शिवसिंह की पत्नी, देई देवी।

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Bihar board class 11 Hindi book solution padyakhand  chapter - 1 Objective (स्तुनिष्ठ प्रश्नोत्तर )


(i) विद्यापति किस राजा के आश्रय में रहते थे ? 

(क) पृथ्वीराज 

(ख) शिवसिंह 

(ग) भोज 

(घ) चन्द्रगुप्त उत्तर-(ख) 


उत्तर – ख

(ii) विद्यापति ने नायिका के मुख की उपमा किस वस्तु से दी है ? 

(क) चाँद 

(ख) हिरण 

(ग) कमल 

(3) नकार 


उत्तर – क


(iii) विद्यापति ने कमल पुष्प को नायिका के किस अंग की उपमा में असमर्थ ठहराया है ? 

(क) मुख 

(ख) ओठ 

(ग) नेत्र 

(घ) हाथ 


उत्तर – ग


(iv) विद्यापति ने सुन्दर स्त्री को किसके समान माना है ?

 (क) लक्ष्मी 

(ख) सरस्वती 

(ग) दुर्गा 

(घ) काली 


उत्तर – क


(v) विद्यापति ने किस ऋतु के समय को सरस और भला कहा है ? 

(क) ग्रीष्म 

(ख) वर्षा 

(ग) शरद 

(घ) वसन्त 


उत्तर – घ


(vi) दखिन पवन किस ऋतु में बहता है ?

(क) शरद 

(ख) हेमन्त 

(ग) वसन्त 

(घ) ग्रीष्म 


उत्तर – ग


(vii) सपने में भी गोकुल में कौन नहीं आता है ?

 (क) गिरिधारी 

(ख) बलराम 

(ग) गोप 

(घ) कोई नहीं


उत्तर – क


(viii) कदम्ब के नीचे अकेले कौन खड़ी है ? 

(क) राधा 

(ख) ललिता 

(ग) यशोदा 

(घ) कोई नहीं 


उत्तर – क


(ix) राधा किसकी प्रतीक्षा कर रही है ? 

(क) कृष्ण 

(ख) सखी 

(ग) भाई 

(घ) माता 


उत्तर – क


(x) 'मधुपुर' शब्द किसके लिए आया है ? 

(क) गोकुल 

(ख) वृन्दावन 

(ग) मथुरा 

(घ) बरसाने 


उत्तर – ग


(xi) विद्यापति किसके नहीं जीने की बात कर रहे हैं ? 

(क) कृष्ण 

(ख) राधा 

(ग) उद्धव 

(घ) अपने 


उत्तर – ख


(xii) 'मुरारी' शब्द किसके लिए आया है ? 

(क) राम 

(ख) शिव 

(ग) कृष्ण

 (घ) बलराम 


उत्तर – ग


(xiii) उद्धव कौन हैं ?

 (क) राधा के भाई 

(ख) विद्यापति के मित्र 

(ग) कृष्ण के दूत 

(घ) कंस के मंत्री


उत्तर – ग


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Bihar board class 11 Hindi book solution padyakhand chapter - 1 Very Short Quetion (अतिलघुउत्तरीय प्रश्नोत्तर )


(i) राधा कदम्बा के नीचे क्या कर रही है?

उत्तर - राधा विरह में व्याकुल खड़ी है। वह कदम्ब के नीचे अकेले खड़ी होकर कृष्ण के मथुरा से गोकुल लौटने की प्रतीक्षा कर रही है।

(ii) राधा के मरने का पाप किसे लगेगा ?

उत्तर-राधा विरह का दंश झेल रही है। अत: उसके मरने का पाप कृष्ण को लगेगा। उद्धव समाचार लेने आये हैं। यदि वे जाकर राधा की दशा कृष्ण को नहीं बतायेंगे तो राधा के मरने का पाप उन्हें ही लगेगा।

(iii) कृष्ण के बिना राधा की दशा कैसी है ?

उत्तर-कृष्ण के बिना राधा का हृदय दग्ध हो रहा है। उसे भूषण भार स्वरूप प्रतीत हो रहे हैं तथा शरीर पर लगा चन्दन का प्रलेप तीक्ष्ण बाणों की तरह चुभ रहा है।

(iv) विद्यापति गोपियों और राधा को क्या आश्वासन देते हैं ? 

उत्तर-विद्यापति आश्वासन देते हैं कि कृष्ण आज गोकुल वापस लौटेंगे। अतः तुम लोग शीघ्र गोकुल लौट जाओ।

(v) चाँद नायिका के मुख के समान क्यों सुन्दर नहीं है ?

उत्तर- चाँद को कई बार काट-छाँट कर विधाता ने अधिक-से-अधिक सुन्दर बनाने का प्रयास किया है लेकिन वह नायिका के सौन्दर्य की तरह नित-नूतनता धारण नहीं कर पाया है। 

(vi) कमल जल में जाकर क्यों छिप गया है?

उत्तर-विद्यापति की दृष्टि में कमल को नायिका के मुख की समानता करने लायक या उपमान बनने लायक क्षमता नहीं प्राप्त है। अत: वह अपने अपमान के कारण जल में जाकर छिप । गया है।

(vii) स्वप्न पुरुष नायिका को मुख से चीर हटाने के लिए क्यों कहता है ? 

\उत्तर-स्वप्न पुरुष नायिका का रूप देखना चाहते हैं। वस्तुत: नायिका अवगुंठन में है। अतः विद्यापति स्वयं उसका सौन्दर्य देखने हेतु स्वप्न पुरुष के बहाने उसकी प्रशंसा कर रहे हैं।

 (viii) विद्यापति की दृष्टि में सौन्दर्य कैसा होता है ?

उत्तर-विद्यापति की दृष्टि में सौन्दर्य अनुपम होता है जो लक्ष्मी की तरह ऐश्वर्य, शोभा और मंगल से युक्त होने के कारण त्रिवेणी होता है।

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Bihar board class 11 Hindi book solution Padyakhand chapter - 1  Short Quetion (लघुउत्तरीय प्रश्नोत्तर )


प्रश्न-1. राधा को चंदन भी विषम क्यों महसूस होता है ?

उत्तर-कृष्ण के वियोग में व्यथित राधा का तन-मन दोनों दग्ध है। शीतल प्रभाव उत्पन्न करनेवाला चन्दन भी उसे शीतल नहीं लग रहा है। इसलिए राधा चन्दन को विषम अर्थात् प्रतिकूल प्रभाववाला अनुभव कर रही है।

प्रश्न-2. राधा की साड़ी मलिन हो गई है। ऐसी स्थिति कैसे उत्पन्न हो गई ? 

उत्तर-कृष्ण के वियोग से व्यथित और उनके आगमन की प्रतीक्षा में खोयी राधा के मन में शृंगार के प्रति एक विरक्ति भरी हुई है। अतः उसने न प्रसाधन किया है और न वस्त्र बदले हैं, अतः लगातार एक ही साड़ी पहने रहने के कारण साड़ी मलिन हो गयी है।

प्रश्न-3. “चन्द्रबदनि नहीं जीउति रे, बध लागत काहे", इस पंक्ति का क्या अभिप्राय है?

उत्तर-राधा पर उद्धव के समझाने या निर्गुण की उपासना करने के उपदेश का कोई प्रभाव नहीं पड़ा है। राधा उद्धव से निर्णयात्मक लहजे में कहती है कि वह कृष्ण के बिना नहीं जीवित रहेगी। अत: मेरी मृत्यु के पाप का कारण तुम क्यों बनोगे ? तुम वापस मथुरा लौट जाओ। अन्यथा लोग तुम्हें कलंक लगायेंगे कि उद्धव के प्रेम-प्रतिकूल वचनों के आघात से राधा की मौत हो गयी। 

प्रश्न-4. विद्यापति विरही नायिका से क्या कहते हैं ? उनके कथन का क्या महत्त्व है?

उत्तर-विद्यापति विरहिणी नायिका को अपनी ओर से आशापूर्ण आश्वासन देते हैं कि मेरी बातें मन देकर सुनो, कृष्ण आज गोकुल आवेंगे। विद्यापति का कथन 'डूबते को तिनके का सहारा' के रूप में महत्त्वपूर्ण है। इससे नायिका की दशा में मनोवैज्ञानिक बदलाव की अपेक्षा की जा सकती

प्रश्न-5. प्रथम पद का भावार्थ अपने शब्दों में लिखें।

उत्तर-विद्यापति के इस पद में तीन पक्ष हैं। प्रथम, इसमें कृष्ण की वियोगिनी प्रिया राधा की व्यथा का वर्णन है। वह अकेले कदम्ब वृक्ष के नीचे खड़ी होकर मथुरा की ओर ताकती हुई कृष्ण के आने की बाट जोह रही है। उसका शृंगार प्रसाधन मलिन हो चुका है तथा चन्दन का शीतल द्वितीय, उद्धव उसे समझा रहे हैं लेकिन इसका कोई असर उस पर नहीं है। उलटे वह उद्धव से स्पष्ट कहती है कि मैं कृष्ण के बिना जीवित नहीं रह सकूँगी। फिर तुम यह कलंक क्यों लेना चाहते हो कि तुम्हारे उपदेश से व्यथित होकर राधा पर गयी। तृतीय, इस कविता में राधा की गहराती व्यथा को एक मनोवैज्ञानिक मोड़ देने के लिए विद्यापति अपनी ओर से समझाते हैं कि तुम एक गुणवान स्त्री हो, मेरी बातें मन देकर सुनो। कृष्ण आज गोकुल आने वाले हैं अतः शीघ्र घर पहुंची। सब मिलाकर यह पद राधा की विरह व्यथा का मार्मिक चित्रण करता है।

प्रलेप भी उसे तीक्ष्ण तीर की तरह बेध रहा है।

प्रश्न-6. नायिका के मुख की उपमा विद्यापति ने किस उपमान से दी है ? प्रयुक्त उपमान से विद्यापति क्यों संतुष्ट नहीं हैं ?


उत्तर-विद्यापति ने नायिका के मुख की उपमा चन्द्रमा तथा कमल से दी है। विद्यापति इन दोनों उपमानों से निम्न कारणों से सन्तुष्ट नहीं हैं।

  • (क) चन्द्रमा केवल पूर्णिमा को पूर्ण शोभाशाली बनता है। बाकी दिन घटता बढ़ता रहता है जबकि नायिका पूर्ण चन्द्रमा की तरह नित्य शोभाशाली बनी रहती है।
  • (ख) कमल दिन में खिलता है और रात्रि में कुम्हला जाता है। नायिका का मुख दिन रात शोभाशाली ही रहता है।अतः ये दोनों उपमान नायिका की बराबरी करने में आंशिक रूप से ही समर्थ हैं। इसलिए विद्यापति इन उपमानों से संतुष्ट नहीं हैं।

प्रश्न-7. कमल आँखों के समान क्यों नहीं हो सकता ? कविता के आधार पर बताएँ। आँखों के लिए आप कौन सी उपमाएँ देंगे। अपनी उपमानों से आँख का गुण-साम्य भी दर्शाएँ। 

उत्तर-कमल आँखों के समान इसलिए नहीं हो सकता कि उसकी शोभा अल्प समय के लिए है जबकि नायिका की आँखें स्थायी हैं। कवि परम्परा में आँखों की उपमा के लिए खंजन पक्षी, मछली और मृग की आँखों से दी जाती रही है। मगर ये भी समर्थ उपमान नहीं हैं। खंजन पक्षी से आँखों की केवल चंचलता व्यक्त होती है अन्य गुण नहीं। मछली से चमक व्यक्त होती है लेकिन अन्य गुण नहीं। मृग की आँखों से सुन्दरता और कोमलता दोनों व्यक्त होती है। अतः सभी उपमानों की तुलना करने पर किसी नायिका को मृगनैनी ज्यादा संगत लगता है।

प्रश्न-8. द्वितीय पद का भावार्थ अपने शब्दों में लिखें।

उत्तर-द्वितीय पद में विद्यापति ने नायिका का सौन्दर्य-वर्णन किया है। वसंत ऋतु का समय है। दक्षिण पवन अर्थात् शीतल मन्द-सुखद समीर बह रहा है। नायिका के मुख पर घूघट है जिस कारण उसका रूप देखने की आतुरता है। अत: उसे मुख से अवगुंठन हटाने हेतु अनुरोध किया जा रहा है। शेष पंक्तियों में नायिका का रूप वर्णन है। कवि के अनुसार उसका मुख चाँद से भी सुन्दर चाँद उसका उपमान बनने में समर्थ नहीं है। क्योंकि वह घटता-बढ़ता है, फिर सदा उदित भी नहीं रहता। इसी तरह कमल उपमान की पात्रता नहीं रखने के कारण जल में जाकर छिप गया है। कमल सदा खिला नहीं रहता है। जबकि नायिका नेत्र सदा प्रफुल्लित रहते हैं। विद्यापति लक्ष्मी के समान समृद्धि वाले रूप का अभिनन्दन करते हुए उसकी प्रशंसा करते हैं।

प्रश्न-9. अपनी पदावली में विद्यापति ने किन विषयों को प्रमुखता दी है ? 

उत्तर- विद्यापति की पदावली में तीन विषयों की प्रधानता है। उनके सबसे अधिक पद राधा कृष्ण का नाम ले लेकर नायक नायिका के सौन्दर्य, यौवन विकास, प्रणय क्रीड़ा और वियोग भाव से सम्बन्धित हैं। इनसे कम पद भक्ति भाव के हैं जिनमें शिव, दुर्गा, कृष्ण तथा गंगा के प्रति भक्ति भाव की व्यंजना हुई है। इनके अतिरिक्त कुछ पदों में वसन्त और वर्षा ऋतु का वर्णन है। ऐसे पद कहीं आलम्बन रूप में और कहीं उद्दीपन रूप में प्रकृति सौन्दर्य का वर्णन करते हैं। 

प्रश्न-10. विद्यापति की 'नचारियों क्या हैं ?

उत्तर- नचारी विद्यापति के वे पद हैं जिनमें उन्होंने शिव के प्रति अपनी भक्ति निवेदित की है। इनमें कवि ने शिव के रूप, शिव-पार्वती प्रेम, नोंक झोंक, हास परिहास तथा अपनी व्यथा का निवेदन प्रस्तुत किया है।

प्रश्न-11. विद्यापति को 'मैथिल कोकिल' कहा जाता है, क्यों ?

उत्तर-जिन कवियों के पदों में संगीत की माधुरी भाव की मार्मिकता और अभिव्यक्ति का लावण्य होता है उनकी रचनाएँ मन को उसी प्रकार छूती हैं जिस प्रकार वसन्त ऋतु में कोयल की कूक हिय में हूक उठाती है तथा अपनी मादकता से मन को विभोर कर देती है। ऐसे कवियों की उपमा कोकिल से दी जाती है। विद्यापति के पदों में जो मिठास, मादकता और स्वर माधुरी है उसे लक्षित कर उन्हें मिथिला का कोकिल या मैथिल कोकिल कहा जाता है।

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Bihar board class 11 Hindi book solution padyakhand chapter - 1  Hindi  Grammar  (भाषा की बात )



प्रश्न-1, प्रथम पद से अनुप्रास अलंकार के उदाहरण चुनें। 

उत्तर- भूषन भेल भारी, गोकुल गिरधारी तथा आज आओत में अनुप्रास है। 

प्रश्न-2, रूपक और उपमा में क्या अन्तर है ? उदाहरण के साथ स्पष्ट करें। 

उत्तर-औपम्य मूलक अलंकार में चार तत्त्व होते हैं। (i) उपमेय (ii) उपमान, (iii) साधारण धर्म (iv) और वाचक। उपमा अलंकार में इन चारों में से प्रथम दो के अतिरिक्त एक और अवश्य रहता है। रूपक में केवल उपमेय और उपमान रहता है अन्य नहीं। जैसे चन्द्रवदनि में यमक है जबकि “लोचन तूल कमल' में उपमा है। 

प्रश्न-3. दूसरे पद में प्रयुक्त उपमेय की उपमानों से साथ सूची बनाएँ।

उत्तर – 

  • उपमेय   =    उपमान
  • वदन (मुख) – चान 
  • लोचन   –     कमल

प्रश्न-4. निम्नलिखित शब्दों के पर्यायवाची शब्द लिखें

उत्तर – 





प्रश्न--5. निम्नलिखित शब्दों के शुद्ध रूप लिखें : 

उत्तर-द्गध दग्ध, भूषन - भूषण, गुनवति = गुणवती, दछिन - दक्षिण, पबन = पवन, जीवति - युवती, बचन , वचन, लछमी लक्ष्मी।

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Bihar board class 11 Hindi book solution Padyakhand chapter - 1  Hindi  Grammar  (व्यख्या )


(i) चानन भेल विषम सर ............................... गिरधारी।

प्रस्तुत पद विद्यापति द्वारा रचित है। पूरे पद के अवलोकन से ज्ञात होता है कि र गोपी-उद्धव संवाद के रूप में रचित है। इसके अनुसार उद्धव की जिज्ञासा के उत्तर में गोपियाँ राणा की विरह दशा का वर्णन कर रही हैं। वे बताती हैं कि कृष्ण के वियोग में राधा के शरीर में लगा चन्दन प्रलेप शीतलता प्रदान करने के बदले तीक्ष्ण बाण की तरह चुभ रहा है। शारीरिक दुर्बलता के कारण अथवा प्रसाधनों की नि:सारता अनुभव करने के कारण आभूषण बोझ की तरह लग रह हैं। पर्वत धारण कर गोकुल की रक्षा करने वाले दयालु कृष्ण अब इतने निष्ठुर हो गये हैं कि राधा को सपने में भी दर्शन नहीं देते। इस तरह वियोग-व्यथिता राधा की दशा अत्यन्त विषम है। 

(ii) एकसरि ठाढ़ि कदम-तरे रे................... झामर भेल सारी।

प्रस्तुत पंक्तियों में गोपियाँ उद्धव से बता रही हैं कि राधा अकेले कदम्ब के वृक्ष के नीच खड़ी होकर कृष्ण के आगमन की प्रतीक्षा कर रही हैं। कृष्ण के न आने से उत्पन्न निराशा और वियोग के ताप से उसका हृदय दग्ध हो रहा है, जल रहा है। वियोग के कारण शृंगार प्रसाधन के प्रति कोई रुचि नहीं है, उत्साह नहीं है। अतः वस्त्र बदलने की भी सुधि नहीं है। फलतः साड़ी झामर अर्थात् मलिन हो गयी है। यहाँ कवि ने राधा के मन की पीड़ा और प्रसाधन के प्रति उत्साह के अभाव को व्यक्त करने का प्रयास किया है। 'हृदय दग्ध' और 'झामर साड़ी' के द्वारा मन और तन दोनों की वेदना अभिव्यक्त हुई है।

(iii) जाह जाह तोहें ऊधव हे............... बध लागत काहे।

विद्यापति रचित इन पंक्तियों में गोपियाँ उद्धव से कह रही हैं कि हे उद्धव तुम मथुर लौट जाओ। वहाँ कृष्ण को राधा की दशा बता देना कि चन्द्रमा के समान मुखवाली राध जीवित नहीं रह पायेगी। यदि उन्हें दया लगेगी तो आकर बचा लेंगे। तब उन्हें राधा के मरने का पाप क्यों लगेगा? दूसरा अर्थ यह हो सकता है कि तुम मथुरा लौट कर कृष्ण को सारी बातें बता दो। ऐसा करने पर तुम अपने दायित्व का निर्वाह कर लोगे और तुम्हें राधा के मरने का पाप नहीं लगेगा। तब पाप कृष्ण को लगेगा तुम्हें नहीं। यहाँ कवि ने विरह में मरण-दशा का उल्लेख किया है।

(iv) भनइ विद्यापति मन दए....................... झट-झारी।

विद्यापति ने अपने पद की पूर्व पंक्तियों में विरह में मरण का वर्णन किया है। यह तत्त्व शृंगार का विरोधी होता है। मरण शोक का विषय है जो करुण रस का स्थायी भाव होता है। इसका परिमार्जन करने के लिए कवि ने इन पक्तियों में कृष्ण के आगमन की सूचना देकर आशा का आलम्बन थमा दिया है।

कवि गोपियों तथा राधा दोनों को सम्बोधित कर कहता है कि हे गुणवती नारियों तन मन देकर अर्थात् ध्यान देकर सुनो। आज कृष्ण मथुरा से गोकुल आवेंगे। अतः तुम पग झाड़कर अर्थात् शीघ्रता से गोकुल चलो। यहाँ कवि द्वारा एक मनोवैज्ञानिक झटका दिया गया है। कृष्ण के आने की सूचना से राधा के मन के निराश-भाव को झटका लगेगा और उसकी मनोदशा बदलेगी। गोपियाँ राधा को लेकर गोकुल लौटेंगी और इस प्रक्रिया में जो परिवर्तन होगा वह विरहिणी को थोड़ी राहत दे सकेगा। अतः इन पंक्तियों में कवि द्वारा आशावाद के सहारे मनोवैज्ञानिक परिवर्तन लाने की चेष्टा की गयी है।

(v) सरस बसन्त समय भल......................... दुरि करु चीरे।

महाकवि विद्यापति ने अपने पद की इन पंक्तियों में एक पृष्ठभूमि का निर्माण किया है। पृष्ठभूमि यह है कि वसन्त ऋतु का सुन्दर समय आ गया है। दक्षिण पवन बहने लगा है। यह हवा वसन्त ऋतु में बहती है और प्राय: दक्षिण से उत्तर की ओर इसकी गति होती है। यह पवन शीतल, मन्द और सुखद होता है। इसी भौतिक परिवेश में नायिका सोयी हुई है। उसने सपने में देखा कि कोई सुन्दर पुरुष आकर उससे कह रहा है कि तुमने साड़ी से अपने सुन्दर मुख को क्यों ढक रखा है। मुख पर से चीर हटाओ। अभिप्राय है कि इस सरस मनोरम वासन्ती समय में जब दक्षिण पवन बह रहा है तब सुन्दर मुख को ढकने का नहीं रूप को प्रदर्शित करने का समय है। अतः अपना सुन्दर रूप मुझे देखने दो।

(vi) तोहर बदन सन चान होअथि .................तुलित नहिं भेला।

अपने शृंगारिक पद की इन पंक्तियों में विद्यापति कहते हैं कि उस स्वप्न पुरुष ने उस सुन्दरी नायिका से कहा कि तुम्हारा रूप अनुपम है। तुम्हारे मुख के समान चाँद भी नहीं है। विधाता ने सुन्दरता के प्रतिमान के रूप में चाँद को कई बार काट-छाँट कर नया बनाया ताकि वह तुम्हारे मुख का उपमान बन सके। लेकिन इतना करने पर भी वह तुम्हारे मुख की उपमा के योग्य नहीं बन सका। यहाँ कवि स्वप्न पुरुष के कथन के माध्यम से नायिका को यह बताना चाहता है कि तुम्हारा मुख चाँद से अधिक सुन्दर है।

(vii) लोचन-तूल कमल नहिं भए सक..................... निज अपमाने।

प्रस्तुत पंक्तियों में कवि नायिका के नेत्रों की उपमा हेतु कमलों को अयोग्य ठहराते हुए कहता है कि तुम्हारे नेत्रों की सुन्दरता के समान कमल पुष्प नहीं है, इस बात को कौन नहीं जानता ? अर्थात् सब जानते हैं। अपनी इस अक्षमता को कमल भी जानता है। तभी तो अपने अपमान से व्यथित होकर वह जल में जाकर छिप गया है। यहाँ कवि प्रतीप अलंकार के सहारे यह कहना चाहता है कि नायिका के नेत्र कमल के पुष्पों से अधिक सुन्दर हैं। 

(viii) भनइ विद्यापति .............................देइ रमाने।

प्रस्तुत पंक्तियाँ विद्यापति रचित पद की हैं। यहाँ कवि अपनी नायिका को यह बताना चाहता है कि तुम श्रेष्ठ युवती हो अर्थात् सामान्य नहीं हो, क्योंकि तुम्हारा रूप अनुपम है। कवि की दृष्टि में रूप लक्ष्मी का प्रतीक होता है। उसमें सौन्दर्य, ऐश्वर्य और मंगल तीनों का भाव मिला होता है। जिस तरह लक्ष्मी किसी-किसी सौभाग्यशाली पर कृपा करती हैं उसी तरह विधाता द्वारा सौन्दर्य-रूप-वैभव किसी-किसी को दिया जाता है।

कवि विद्यापति ने अपने अधिकतर पदों में अपने आश्रयदाता राजा शिवसिंह और उनकी रूपसी पत्नी लखिमा देवी का सादर स्मरण किया है। यहाँ वे कहना चाहते हैं कि मैंने सौन्दर्य को जो लक्ष्मी-तुल्य कहा है इस बात को राजा शिव सिंह (जो रूपनारायण की उपाधि धारण करते हैं) और उनकी पत्नी लखिमा (या लछिमा) देवी भी जानते हैं। इन पंक्तियों में विद्यापति ने एक विशेष बात यह कही है कि सौन्दर्यवान स्त्री लक्ष्मी की तरह ऐश्वर्यशालिनी होती है।

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