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Class 11 Hindi Book Solution
Bihar board class 11 Hindi book solution chapter - 12 Saransh , (सरांश )
कक्षा - 11वी गद्यखंड अध्याय - 12
गाँव के बच्चों की शिक्षा
लेखक : कृष्ण कुमार
यह एक कटु सत्य है कि आज शिक्षा की गति-दिशा क्रमशः छोटी जगहों से भागकर बड़ी जगहों की ओर जाने की हो गयी है। गाँव हो या कस्बा, छोटा शहर हो या बड़ा शहर, जो भी अभिभावक आर्थिक दृष्टि से थोड़ा समर्थ हैं वे अपने बच्चों को बड़े शहरों में भेजकर रोजगारोन्मुखी शिक्षा दिलाने के लिए बेचैन हैं ताकि उनके बच्चे बड़ी नौकरियों में जाकर अधिक-से-अधिक धन कमाएँ। इस महानगरोन्मुख और विदेशोन्मुख शिक्षा प्रवृत्ति की पृष्ठभूमि में चिन्तक शिक्षाविद् कृष्ण कुमार ने 'गाँव के बच्चों की शिक्षा' शीर्षक आलेख के माध्यम से ग्रामीण शिक्षा की दुर्गति और भारत की विकासोन्मुख शिक्षा नीति के स्वरूप पर विचारोत्तेजक ढंग से अत्यन्त तीक्ष्णता के साथ विचार किया है। प्रस्तुत निबन्ध महिला पंचों के अखिल भारतीय अधिवेशन में दिया गया लिखित व्याख्यान है। अत: निबन्ध उन्हीं के वृत्त में घूमता और उनको साथ लेकर ग्रामीण परिवेश की यात्रा करता हुआ ग्रामीण बच्चों की शिक्षा को देश के फलक पर प्रस्तुत करता है। आलेख का आरम्भ अफ्रीकी लेखक कमारा ल्ये की कथा से हुआ है। उच्चतर शिक्षा के लिए ल्ये को फ्रांस जाना था। जब वे माँ से विदा लेने गये तो माँ ने जो कहा उसका सूत्र यह है कि जिस दिन तुम पढ़ने गये उसी दिन हमसे विदा हो गये। एक अशिक्षित की इस सोच को एक दृष्टि से नहीं माना जा सकता है कि जो बच्चा पढ़ने के लिए गाँव छोड़कर शहर जाता है वह अन्ततः गाँव से कट जाता है। वह या तो गाँव को न रहने योग्य मान लेता है या गाँव को भूल जाता है। इस प्रसंग के साथ लेखक विषयवस्तु पर आ जाता है और बतलाता है कि लोग शिक्षा की बातें इस प्रकार करने लगे हैं मानो शिक्षा का कोई सामाजिक चरित्र ही न हो। लेखक बेहद अफसोस के साथ कड़वी टिप्पणी करता है कि सरकार आजादी के इतने वर्षों बाद भी हर बच्चे तक शिक्षा नहीं पहुंचा पायी है तथा इतने दिनों में शिक्षा का जो चरित्र बना है वह पूरी तरह समाज विरोधी है। वह बच्चों को व्यापक सामाजिक सरोकारों से काटनेवाला है। इस माहौल में वे सम्मेलन में उपस्थित महिला पंचों से इस तथ्य पर विचार करने का अनुरोध करते हैं कि कैसे प्राथमिक शिक्षा का दायरा फैले और हमारे बच्चे शिक्षा से क्या प्राप्त करें ?
कृष्ण कुमार का मानना है कि पंचायती राज का पुनरुत्थान एक ऐतिहासिक घटना है। यदि पंचायतें सही दिशा में ईमानदारी से काम करें तो समकालीन सामाजिक इतिहास प्रभावित होगा। लेकिन दूसरी ओर यह बतलाते हैं कि यह घटना तब घटी है जब देश में विनाशकारी घटनाएँ घट रही हैं। लेखक का संकेत पूँजीवाद के तांडव नृत्य से है। विदेशी कम्पनियाँ या स्वदेशी पूँजीपति आज विकास और सुविधा उपलब्ध कराने के नाम पर आम जनता को जमीन, जंगल, पानी खनिज और अन्य संसाधनों से बेदखल करते जा रहे हैं। यह आर्थिक उदारीकरण और विदेशी पैसों का ऐसा खेल है जो अन्ततः देश को गुलाम बना देगा। जहाँ तहाँ प्रतिरोध की लड़ाइयाँ लड़ी जा रही हैं लेकिन हमारा संसद इसकी ओर मुखातिब होना भी जरूरी नहीं समझता । राजनीति के वर्चस्व ने देश को घरेलू हिंसा की आग में झोंक दिया है। कोई भी चुनाव बिना के हिंसा और दबाव के नहीं गुजरता। लेखक की दृष्टि में पूँजी के प्रभुत्व के कारण देश की राजनीति भ्रष्टतम होकर अप्रासंगिक हो गयी है। पंचायतें बना दी गयी हैं लेकिन उनके पास अधिकार नहीं है अतः वे महत्वपूर्ण निर्णयों में भागीदार नहीं हैं। अत: लेखक की दृष्टि में हमारा पंचायती राज अलंकरण है जो भारतीय प्रजातंत्र की शोभा बढ़ा रहा है। इस पूँजी भ्रष्ट, राजनीति भ्रष्ट और अधिकारशून्य पंचायती व्यवस्था के परिप्रेक्ष्य में प्राथमिक शिक्षा पर विचार के प्रसंग विचार के मुद्दे के रूप में लेखक दो बातों की चर्चा करता है ।
(1) शिक्षा पर नौकरशाही के प्रभुत्व को कम करने का मुद्दा
(2) शिक्षा को ताकतवर वर्गों की विचारधारा के प्रचार के रूप में इस्तेमाल करने से रोकने का मुद्दा।
प्रथम के अन्तर्गत लेखक इस बात की चर्चा करता है कि नौकरशाही निरन्तर शिक्षा पर हावी रही है और इसीलिए शिक्षा-संबंधी सारी योजनाएँ विफल होती रही हैं। नौकरशाही की रुचि अपने प्रभुत्व में है। शिक्षा को ठीक करने में नहीं। लेखक इस बात को नहीं मानता कि शिक्षा की गिरावट में शिक्षकों की दायित्वहीनता कारण है। वह प्राथमिक शिक्षकों को भी शोषित समान मानता है और पंचों से अनुरोध करता है कि उनको साथ लेकर, उनके प्रति संवेदनशील होकर शिक्षा में परिवर्तन की लड़ाई लड़िए। वे आपके शत्रु नहीं सहयोगी हैं। लेखक का विचार है कि शिक्षा में विदेशी धन का हस्तक्षेप गलत है। वह इस तथ्य की भी आलोचना करता है कि यह विदेशी धन निरर्थक कार्यों, यथा विचार-गोष्ठियों, कमिटियों आदि पर खर्च हो रहा है और इनसे शिक्षा को कुछ नहीं मिलनेवाला है। दूसरे मुद्दे पर लेखक यह कहना चाहता है कि प्राथमिक शिक्षा की पाठ्य सामग्री में गाँव कहीं नहीं है। भाषा-साहित्य के अन्तर्गत पढ़ाई जानेवाली पुस्तकों में गाँव है भी तो मात्र दस-बीस प्रतिशत। उनमें भी गाँव का जो चित्रण है वह दोयम दरजे का जिसे पढ़कर गाँव के प्रति कोई आत्मीयता नहीं अनुभव होती। इस परिवेश की विपरीत पढ़ाई के प्रसंग में टिमरनी की साधना बहन का लेखक ने उदाहरण दिया है। उन्होंने सोयाबीन की खेती से होने वाले लाभ के सामने जमीन की अनुर्वरता और परिवेश विपरीतता पर लेख लिखा था। इसके माध्यम से लेखक यह कहना चाहता है कि जो शिक्षा हमारे परिवेश के प्रतिकूल है, विदेश से लाकर यहाँ उगाई जा रही है वह विनाशकारी परिणाम देगी। शिक्षित जन अपने परिवेश से कटते जायेंगे। और नैतिक मूल्यों तथा राष्ट्रीयता का क्षरण अन्ततः देश को विनष्ट कर देगा। हमारी पहचान समाप्त कर देगा। इस प्रसंग में लेखक ने गाँधीजी द्वारा प्रस्तावित बुनियादी तालीम को वर्तमान सन्दर्भ में भी प्रासंगिक माना है। गाँधीजी ने दो बातें कही थीं-एक ग्राम स्वराज्य की और दूसरी ग्रामीण साधनों के सन्दर्भ में। शिक्षा गाँव के बच्चों को गाँव में सुलभ साधनों के अनुसार काम मिले और उसी से पढ़ाई को जोड़कर विकसित किया जाय। हमारी दृष्टि में ऐसा होता तो आज जैसी विकराल बेरोजगारी नहीं होती। आज शिक्षा अंतिम रूप से विदेशोन्मुख है, यान्त्रिक सुविधाओं की प्राप्ति है तथा उद्योग धंधों पर केन्द्रित है। इससे जीवन में मशीन का वर्चस्व बढ़ रहा है, बेरोजगारी फैल रही है और दस लोगों को कंगाल बनाता हुआ एक बंगला सज रहा है। लेखक का सुझाव है कि शिक्षा का ढाँचा ऐसा हो जहाँ पर परिवार की जिम्मेदारी निभाते हुए बच्चे पढ़ें। साथ ही व्यापक सामाजिक सरोकारों से कटने की प्रवृत्ति समाप्त हो।लेखक का निष्कर्ष है कि पूरा शैक्षिक ढाँचा व्यर्थ और तार-तार हो उठा। इसे पैबन्द के सहारे नहीं चलाया जा सकता। इसे पूरी तरह उधेड़कर ग्रामीण परिवेश, आवश्यकता, रोजगार और क्रियाशीलता से जुड़ी व्यवस्था का निर्माण जरूरी है। अन्यथा अपने वर्तमान रूप में अन्ततः विनाश के बिन्दु पर जाकर ही वह विराम लेगी।
Class 11 Hindi Book Solution
Bihar board class 11 Hindi book solution chapter - 12 Objective (स्तुनिष्ठ प्रश्नोत्तर )
1. सोयाबीन की खेती के दुष्प्रभावों पर लेख लिखनेवाली महिला कौन है?
उत्तर – साधना बहन |
2. साधना बहन कहाँ की रहनेवाली हैं?
उत्तर – टिमरनी |
3. सामाजिक हिंसा किसकी देन है ?
उत्तर – राजनीति कि |
4. शिक्षा में नौकरशाही की भूमिका क्या है ?
उत्तर – बाधक की |
5. आठवीं तक पहुँचते-पहुँचते कितने छात्र विद्यालय छोड़ देते हैं?
उत्तर – दो तिहाई |
6. किसके कारण लोग जमीन, जंगल आदि से बेदखल हो रहे हैं।
उत्तर – पूँजीवादी |
7. पंचायती राज का पुनरुदय कैसी घटना है ?
उत्तर – एतिहासिक |
8. कामगार, किसान आदिवासी जगह-जगह क्या सह रहे हैं ?
उत्तर – हिंसा |
9, लेखक की दृष्टि से बढ़ती हिंसा का कारण क्या है ?
उत्तर – भ्रष्टाचार |
10. हिंसा का सबसे अधिक शिकार कौन हो रहे हैं ?
उत्तर – महिलाएँ |
11. सोयाबीन की खेती से किसके विषैला होने का खतरा है ?
उत्तर – मिट् टी के |
12. गांधीजी ने किस शिक्षा की प्रस्तावना की है ?
उत्तर – बुनियादी तालिम |
Bihar board class 11 Hindi book solution chapter - 12 Very Short Quetion (अतिलघुउत्तरीय प्रश्नोत्तर )
प्रश्न-1. कमारा ल्ये कौन थे ?
उत्तर- कमारा ल्ये दक्षिण अफ्रीका के निवासी थे। वे एक बड़े लेखक थे। उन्होंने अपने बचपन पर एक महत्त्वपूर्ण पुस्तक लिखी है जो उनकी आत्मकथा है।
प्रश्न-2. कमारा ल्ये की माता उन्हें क्यों पढ़ाना नहीं चाहती थी ?
उत्तर-कमारा ल्ये की माता एक अनपढ महिला थी। वह शिक्षा का महत्त्व नहीं समझती थी। उसके अनुसार पढ़ने वाले लोग घर-परिवार से कटकर दूर चले जाते हैं। अतः अपने संकुचित दृष्टिकोण के कारण वह ल्ये को नहीं पढ़ाना चाहती थी।
प्रश्न-3. आज की शिक्षा से हमारा कौन-सा चरित्र उभर कर आया है ?
उत्तर- आज की शिक्षा से हमारा समाज-विरोधी और व्यक्तिवादी चरित्र उभरकर आया है। हम अर्थोन्मुख, स्वार्थी और मानवीय संवेदना से रहित होते जा रहे हैं।
प्रश्न-4. देश में क्या घट रहा है जो लेखक की दृष्टि से विनाशकारी है ?
उत्तर-देश में आर्थिक उदारीकरण के नाम पर विदेशी पैसा आ रहा है। विदेशी-स्वदेशी पूँजीपति जमीन, जंगल, पानी आदि प्राकृतिक सम्पदा पर कब्जा किये जा रहे हैं। इससे आम जन निरंतर कंगाल होते जा रहे हैं। यही विनाशकारी है।
प्रश्न-5. देश को विनाश से बचाने के लिए लेखक ने किस बात पर बल दिया है?
उत्तर-लेखक ने अपने साधनों से बच्चों की शिक्षा-व्यवस्था करने पर बल दिया है।
प्रश्न-6. प्राथमिक शिक्षकों की क्या दशा है ?
उत्तर-प्राथमिक शिक्षक शोषण के शिकार हैं। उनकी समस्याओं पर ध्यान न देकर शिक्षा की अवनति का दोष उन्हीं पर मढ़ा जा रहा है।
प्रश्न-7. महिला पंचों को शिक्षकों के साथ क्या व्यवहार करना चाहिए ?
उत्तर-महिला पंचों को शिक्षा में बदलाव के लिए शिक्षकों को साथ लेकर चलना चाहिए। उन्हें शिक्षकों से शत्रुवत् नहीं मित्रवत् व्यवहार करना चाहिए।
प्रश्न-8, गाँधीजी की बुनियादी तालीम का सारांश क्या है ?
उत्तर-गाँधी जी की बुनियादी तालीम का सारांश है पढ़ाई के साथ हाथ को काम देना। स्थानीय प्राकृतिक साधन और परम्परागत उद्योग धंधों से शिक्षा को जोड़ना।
Class 11 Hindi Book Solution
Bihar board class 11 Hindi book solution chapter - 12 Short Quetion (लघुउत्तरीय प्रश्नोत्तर )
प्रश्न-1. कमारा ल्ये का देश किस देश का उपनिवेश था ? अपनी आत्मकथा के अंतिम अध्याय में उन्होंने किस प्रसंग का चित्रण किया है ? संक्षेप में लिखें।
उत्तर- कमारा ल्ये का देश फ्रांस का उपनिवेश था। अपनी आत्मकथा के अंतिम अध्याय में उन्होंने उच्चतर शिक्षा के लिए फ्रांस जाने के क्रम में अपने घर के लोगों से विदा लेने के दृश्य का वर्णन किया है। फ्रांस जाने के पहले वे अपने गाँव गये। वहाँ सब लोगों से विदा ली। मगर भीड़ में उनकी माँ कहीं नजर नहीं आयी। वे माँ को खोजते हुए उन्हें अपने झोपड़ीनुमा घर में पाया। वे रो रही थीं। बहुत आग्रहपूर्वक विदा मांगने पर माँ ने कहा कि “मैंने तुम्हारे पिता को बहुत मना किया कि बच्चे को मत पढ़ाओ। यह पढ़ाई का कुपरिणाम है कि तुम मुझे छोड़कर चले जाओगे और हमारे लिए कुछ नहीं कर पाओगे। तुम तो उसी दिन हमसे विदा हो चुके जिस दिन स्कूल गये। तुम्हारे पिता-चाचा ने मुझसे, पूरे गाँव समाज से तुम्हें छीन लिया है। तुम्हें जहाँ जाना है जाओ।"
प्रश्न-2. कमारा ल्ये की आत्मकथा किसे समर्पित है ?
उत्तर- कमारा ल्ये ने अपनी आत्मकथा उन लाखों अशिक्षित माँओ को समर्पित की है जो अफ्रीका के खेतों में काम करती हैं।
प्रश्न-3. कमारा ल्ये की माँ उन्हें क्यों नहीं पढ़ाना चाहती थी ?
उत्तर- कमारा ल्ये की माँ अशिक्षित थीं, वे सोचती थीं कि पढ़ने-लिखने के बाद बेटा उनसे दूर चला जायेगा और उनके लिए कुछ नहीं कर सकेगा। वह गाँव-समाज सबसे कट जायेगा। इसीलिए वे उन्हें नहीं पढ़ाना चाहती थीं।
प्रश्न-4, आर्थिक उदारीकरण से आप क्या समझते हैं ? इसके क्या दुष्परिणाम हुए
उत्तर- आर्थिक उदारीकरण में सरकार द्वारा विदेशी पूँजीपतियों का भारत में पूँजी लगाने की छूट दी गयी है। इस कारण विदेशी कम्पनियाँ इस देश में कारखाने स्थापित कर तरह-तरह के उत्पादन कर रही हैं। इस उदारीकरण का दोष यह है कि हमारे संसाधनों का उपयोग कर वे लाभ अपने देश को सम्पन्न बना रहे हैं। हमलोगों के लिए रोजगार के थोड़े अवसर अवश्य मिले हैं लेकिन हमारा बहुसंख्यक जनसमाज जमीन, जंगल, पानी, खनिज आदि सम्पदा से बेदखल हो रहा है। इससे बेरोजगारी और गरीबी बढ़ रही है। अतः यह उदारीकरण मुट्ठीभर लोगों को छोड़कर शेष जनता के लिए विनाशकारी है।
प्रश्न-5. लेखक ने प्रस्तुत पाठ में देश की वर्तमान राजनीतिक व्यवस्था पर आक्षेप किए हैं। उनके विचार से देश की राजनीतिक व्यवस्था में कौन-सी समस्याएँ प्रवेश कर चुकी हैं ?
उत्तर- लेखक के अनुसार देश की राजनीतिक व्यवस्था में भ्रष्टाचार, निजी सुख-सुविधाओं और बिकाऊपन की प्रवृत्ति प्रबल हुई। इससे राजनीति व्यवसाय बन गयी है। देश को लूट खसोट कर और सत्ता-सुख भोगने की प्रवृत्ति आ गयी है। मूल्य आधारित राजनीति समाप्त हो गयी है और चुनावों के अवसर पर होने वाली हिंसा राजनीति की देन बन गयी है। समाज को राजनीति ने बेतरह, तोड़ दिया है।
प्रश्न-6. प्राथमिक शिक्षा को अधिक कारगर बनाने के लिए लेखक ने कौन-से दो क्षेत्र सुझाए हैं ?
उत्तर- प्राथमिक शिक्षा को अधिक कारगर बनाने के लिए लेखक ने निम्न दो क्षेत्र सुझाए
- (1) शिक्षा पर नौकरशाही के प्रभुत्व को कम करना।
- (ii) शिक्षा को ताकतवर वर्गों की विचारधारा के प्रचार के रूप में इस्तेमाल करने से रोकना।
प्रश्न-7. नौकरशाही ने प्राथमिक शिक्षा को किस प्रकार नुकसान पहुँचाया है ?
उत्तर-नौकरशाही का शिकंजा शिक्षा को महत्वपूर्ण बनाने के लिए दिये गये अच्छे-से-अच्छे सुझावों को कुचल देता है। कोई अफसर नहीं चाहता कि उसका वर्चस्व, उसकी पकड़ को कमजोर बनाया जाय। शासन करने से जो शासकीय मानसिकता बनती है उस मानसिकता के कारण अफसर किसी भी तरह अपना प्रभुत्व कम होने देना नहीं चाहता। इसका अनुभव कामों में होनेवाली टिप्पणियों, पृच्छाओं और विषयान्तर वाली समस्याओं के माध्यम से किया जा सकता है। काम होने से ज्यादा न होने देने में आफसरशाही की रुचि होती है।
प्रश्न-8. प्राथमिक शिक्षा की असफलता का दोष किन्हें दिया जाता है ?
उत्तर- प्राथमिक शिक्षा की असफलता का दोष शिक्षकों को दिया जाता है।
प्रश्न-9. प्राथमिक शिक्षा के क्षेत्र में विदेशी धन के आगमन की अंतिम परिणति महिलाओं पर हिंसा के रूप में होनी है। कैसे ?
उत्तर- प्राथमिक शिक्षा के क्षेत्र में जो विदेशी धन आता है वह अनावश्यक गोष्ठियाँ और अधिकारियों द्वारा योजना बनाने के नाटक में समाप्त हो जाता है। योजनाओं के कार्यान्वयन में जन-प्रतिनिधि और अधिकारी-कर्मचारी के कमीशन अघोषित रूप से बँधे हैं। इस तरह लेखक इस निष्कर्ष पर आता है कि धन के व्यय का आधार भ्रष्टाचार है। भ्रष्टाचार हिंसा को जन्म देता है। यह हिंसा अन्तत: सबलों द्वारा निर्बलों की होती है। स्त्रियाँ असंगठित और आश्रित होने के कारण हिंसा का शिकार होती हैं और शायद सर्वाधिक मात्रा में।
प्रश्न-10. लेखक के प्राथमिक शाला के शिक्षकों से संबंधित विचार संक्षेप में लिखें।
उत्तर- लेखक ने प्राथमिक शिक्षकों का पक्ष लिया है। वह नौकरशाही और भ्रष्ट राजनीति दोनों की सहता है। वह कम वेतन पाता है। लेखक के अनुसार कहीं-कहीं +5 अधिकतम 1500 रुपये जो आज की महंगाई में अल्पतम है। इस तरह वह सर्वाधिक शोषण का शिकार है। उनपर काम में लापरवाही, कोताही आदि के आरोप लगाये जाते हैं। इन आरोपों पर यदि उनकी परिस्थितियों के सन्दर्भ में सहानुभूतिशील होकर विचार किया जाये तो ये आरोप भी ठीक नहीं लगेंगे।
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Bihar board class 11 Hindi book solution chapter - 12 Hindi Grammar (भाषा की बात )
प्रश्न-1. निम्नलिखित शब्दों के विपरीतार्थक शब्द लिखें –
प्रतिकूल, सहज, प्राथमिक, सुलझाना, ग्रामीण, प्रश्न, जमीन, स्वायत्तता, विदेशी
उत्तर-
प्रश्न-2. निम्नलिखित शब्दों के वचन परिवर्तित करें –
माँ, सिसकी, रिश्तेदार, लड़का, लड़की, किसान, मजदूर, विधायक, मंत्री, अफसर विवशता, पुस्तक, प्रक्रिया
उत्तर-
प्रश्न-3. निम्नलिखित शब्दों के समानार्थी लिखें –
प्राथमिक शाला, अनपढ़, बुनियादी, गुंजाइश, महिला शिक्षक, गिरवी, ताकतवर, आजादी, हैसियत, लचर, दाखिला, अरमान
उत्तर-
प्रश्न--4. निम्नलिखित शब्दों का वाक्य-प्रयोग द्वारा लिंग निर्णय करें । –
गाँव, सुविधा, भाषा, पढ़ाई, शॉल, सुधार, जाल, नीति, परिदृश्य
उत्तर-
गाँव (पुं०)-मेरा गाँव सुन्दर है।
सुविधा (स्त्री०)-यहाँ मुझे कोई सुविधा नहीं मिलती है।
भाषा (स्त्री०)-मेरी भाषा अच्छी है।
पढ़ाई (स्त्री०)-कक्षा में पढ़ाई हो रही है।
शॉल (पु.)-मेरा शॉल खो गया।
सुधार (पु.)-गाँवों का सुधार होना आवश्यक है।
जाल (पु०)-मछेरे ने जाल फेंका।
नीति (स्त्री०)-आपकी नीति मुझे पसंद नहीं।
परिदृश्य (पु.)-मुझे यह परिदृश्य बनावटी लगता है।
प्रश्न-5. अर्थ की दृष्टि से नीचे दिए गए वाक्यों की प्रकृति बताएँ–
(क) प्राथमिक शिक्षा के लिए विदेश धन क्यों आया है ?
(ख) आज शिक्षा का बहुत ही प्रतिकूल सामाजिक चरित्र उभर आया है।
(ग) मुझे मालूम था कि तुम इस देश में नहीं रुक पाओगे और हमारे लिए कुछ नहीं कर पाओगे।
(घ) तुम्हें जहाँ जाना है जाओ।
(ङ) संभव है इस सभा में कहीं टिमरनी से आई साधना बहन बैठी हैं।
(च) क्या वजह है कि आज हमारे कई गांवों में पानी उपलब्ध नहीं है, लेकिन शराब उपलब्ध है।
उत्तर-
(क) प्राथमिक शिक्षा के लिए विदेशी धन क्यों आया है? (प्रश्नवाचक वाक्य)
(ख) आज शिक्षा का बहुत ही प्रतिकूल चरित्र उभर कर आया है (विधेयात्मक वाक्य)
(ग) मुझे मालूम था कि तुम इस देश में नहीं रुक पाओगे और हमारे लिए कुछ नहीं कर पाओगे। (निश्चयात्मक वाक्य)
(घ) तुम्हें जहाँ जाना है जाओ। (निर्देशात्मक वाक्य)
(ङ) संभव है इस सभा में कहीं टिमरनी से आयी साधना बहन बैठी हैं। (संभावनात्मक वाक्य)
(च) क्या वजह है कि आज हमारे कई गाँवों में पानी उपलब्ध नहीं है, लेकिन शराब उपलब्ध है। (प्रश्नात्मक वाक्य)
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