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Class 11 Hindi Book Solution
Bihar board class 11 Hindi book solution chapter -7 Saransh (सरांश )
कक्षा - 11वी गद्यखंड अध्याय - 7
सिक्का बदल गया
लेखक : कृष्णा सोबती
भारत का आजादी की बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ी। विभाजन और हिन्दू-मुस्लिम दंगे के रूप में। धर्म पर आधारित पाकिस्तान ने अपने क्षेत्र से अल्पसंख्यक हिन्दुओं को खदेड़ दिया। भयानक हिंसा के बीच कल के अति सम्पन्न लोग आज शरणार्थी बन गये। ऐसी ही शरणार्थी बनी वृद्ध महिला शाहनी की कहानी है सिक्का बदल गया।
शाहनी अकेली है, पति-पुत्र और परिजनों से रहिता शाहजी के पास सोने-चाँदी की बोरियाँ हजारों मिलों तक फैले खेत थे और बड़ी-सी हवेली थी। आज शाहनी के पास इस सम्पदा के अनिरिक्त कुछ नहीं है। सिक्का बदल गया है। अर्थात् अब वह भारत की नागरिक नहीं, पाकिस्तान का अल्पसंख्यक समुदाय की वृद्ध किन्तु सम्पन्न महिला है। उसकी सारी प्रजा मुस्लिम है। उसक स्नह और ममता से पोषित सेवक शेरा मुसलमान है जो अब तक लगभग चालीस हिन्दुओं का कल्ल कर चुका है। उसके मुसलमान सहयोगी आकर तय कर चुके हैं कि शाहनी को मार कर सब कुछ लूट लेना है। आसपास के हिन्दुओं और सिक्खों के गाँव जलाये जा रहे हैं। चारों तरफ भय का वातावरण है। शाहनी इस तथ्य को महसूस कर रही है, जान रही है। फिर भी चुप है, क्योंकि बुढ़ापा के कारण कुछ कर पाना कठिन है। साथ में कोई सहलक भी नहीं है। यों उसके भीतर एक विश्वास भी है, सबको स्नेह देने का, किसी से दुश्मनी नहीं होने का और मालकिन भाव का भी कि सब मेरे अन्न पर पले हैं, विश्वासघात नहीं करेंगे। लेकिन शाहनी को एक बात नहीं मालूम है कि जब राजनीतिक परिवर्तन होता है, धर्म पशुता का उन्माद बन जाता है तब ज्ञान, गुण, आदि सभी मानवीय मूल्य खत्म कर दिये जाते हैं। पाकिस्तान बनने पर यही हुआ था। वहाँ के हिन्दू और सिख या तो मारे गये या शरणार्थी बनकर भारत आ गये। जो कल तक शाहनी की तरह सोने-चाँदी, हवेली और खेत के मालिक थे वे गरीब और पराश्रित हो गये। चरित्र, घर छोड़ने के क्रम में शाहनी ट्रक पर सवार होकर कैम्प में पहुँचती है। उसे विदा करनेवाली उसकी प्रजा है, उसके आसामी हैं। उनका चरित्र सेवक वाला है। लेकिन आज राज बदल गया है। वे जिस धर्म के हैं उसी का शासन होने जा रहा है। अतः उनका चरित्र रातों रात बदल गया है। वे मेमने से शेर हो गये हैं। जिसकी रोटी पर पले हैं, जिसकी ममता से सिंचित हुए हैं उसे कत्ल कर लूट लेने की योजना बना रहे हैं क्योंकि उनकी स्नेहमयी स्वामिनी का धर्म भिन्न है। यदि शाहनी हिन्दू न होकर मुसलमान होती तो वे कल की भाँति आज भी प्रजा बने होते। शेरा शेर नहीं बनता। यह सत्ता है, सिक्का है जिसके बदल जाने के कारण सब कुछ बदल गया है। >शाहनी के मन में बार-बार स्वामिनी भाव आता है लेकिन वह नियंत्रित कर लेती है। बार-बार खेत, हवेली और सोने-चाँदी को देखकर मोह उमड़ता है। सम्पन्नता का ऐश्वर्य, पुरखों की शान, स्वामित्व का भाव उसे आँसुओं में डुबो देता है लेकिन परिस्थिति की विषमता का ध्यान आते ही ये भाव उड़ जाते हैं। शाहनी अन्तत: सब छोड़कर ट्रक पर सवार हो जाती है, दाउद खाँ, शेरा सब के भीतर धर्म पशुता बनकर नाच रहा है लेकिन हर बार अतीत में शाहनी द्वारा किये गये उपकार का भाव उन्हें पशु बनने से रोक देता है। स्त्रियों के मन में ममता है कि ऐसी भली मालकिन, ऐसी ममतामयी, सुख-दुख की साथिन दुर्लभ है। फिर भी वे परिस्थिति से विवश हैं। वे जानती हैं कि शाहनी को रोक लेंगी, लेकिन उसकी रक्षा नहीं कर सकेंगी। इसलिए वे भरी आँखों से विदा कर देती हैं। दाउद खाँ के कहने पर भी शाहनी अपने पास कुछ नहीं रखती है और पूरी तरह निर्मोही होकर निकलती है। उसे अपने भविष्य की कोई चिन्ता नहीं है। इस कहानी में वातावरण सब पर हावी है। चरित्रगत श्रेष्ठता, कुलीनता और सम्पन्नता एकाकी धन हुए हैं। उनको सत्ता निस्तेज है। सब के ऊपर भारी है भय। यह भय धार्मिक उन्माद के रूप में नृत्य कर रहा है। जलालपुर गाँव में आग लगा दी गयी है, शेरा चालीस खून कर चुका है और सबके मन में सिक्का बदल जाने का बोध जगा हुआ है। लेखिका कहानी के अन्त में एक वाक्य लिखती है आस पास के हरे भरे खेतों से घिरे गाँवों में रात खून बरसा रही थी।" यह बतलाता है कि पाकिस्तान बनने पर किस तरह धर्मान्धों ने भिन्न धर्मावलंबियों का कत्लेआम किया। स्पष्टत: अधिकतर हिन्दू ही मारे गये क्योंकि वे पंजाब, सिंध आदि क्षेत्रों में अल्पसंख्यक थे।भारत 'सिक्का बदल गया' एक यथार्थवादी कहानी है। भोगे हुए यथार्थ की कहानी है, विभाजन की त्रासदी का जीता-जागता चित्र है। कहानी की लेखिका इस त्रासदी से अवगत है. उसने इसे सशक्त भाषा में प्रस्तुत किया है।
कहानी की पृष्ठभूमि में निरन्तर एक द्वन्द्व है – मनुष्यता और पशुता के बीच। शेरा का संकल्प हर बार लड़खड़ा जाता है, दाऊद खाँ हर बार लज्जित होता है। वे लोग शाहनी के एहसान के रक्षा कवच को लांघ कर उसकी हत्या नहीं कर पाते। इसी तरह शाहनी सम्पन्नता और स्वामित्व के संस्कार से दीप्त होने पर भी परिस्थिति की नजाकत समझते हुए निस्तेज हो रही है। यही असहाय भाव त्याग के रूप में व्यक्त है। आखिर वह क्या ले जा सकती है ? मीलों फैले खेत ? हवेली? सोने की बोरियाँ ? क्या पास का सोना या पैसा कोई सहयात्री शरणार्थी नहीं लूट लेगा? अतः सब कुछ वहीं छोड़कर बूढी शाहनी अनिश्चित निराश्रित साधन-सुविधाहीन अनन्त जीवन यात्रा पर निकल पड़ती है तो यह भी उसके जीवन की त्रासदी ही है। इसने उसकी व्यथा को और मार्मिक बना दिया है। है कहानी में बार-बार 'सिक्का बदल गया' कथन किसी न किसी रूप में आता है और कहानी के घटना व्यापार, चरित्र तथा वातावरण को अपने में लपेटता है। अन्त भी इसी से होता है। अत: शीर्षक अपने पूरे प्रभाव के साथ कहानी के कथ्य को पाठक के भाव-विचारों में उतार देता है और पाठक का मानस कहानी की त्रासद स्थिति से झनझनाता रह जाता है।
शाहनी का चरित्र
शाहनी 'सिक्का बदल गया' कहानी की नायिका है। यह उसका नाम नहीं उपाधि है, शाह जो की पत्नी होने के कारण शाहनी कहलाती है। पूरी कहानी उसी के चरित्र के ताने-बाने से बुनी गयी है। उसके चरित्र में तीन विन्दु प्रखर हैं। प्रथम वह एक सम्पन्न परिवार की वृद्धा है। मीलों तक फैले खेत, सोना उगलने वाले। ऊँची बड़ी हवेली और घर में सोने-चाँदी रुपयों की बोरियाँ। शाहजी ने सूद से कमाकर धन का अम्बार लगाया था। शाहनी एक दिन शान से ऐश्वर्यमयी युवती के रूप में दुल्हन बनकर आयी थी। शाहजी उसके स्नान के लिए चनाब नदी के किनारे खेमा लगवा देते थे। स्पष्टत: इस ऐश्वर्य के साथ शाहनी में नेतृत्व भाव भी था। वे अपने क्षेत्र के केवल अर्थोपार्जक बनिया नहीं था। वे एक पूरे गाँव की प्रजा के स्वामी थे। जटिल समस्याओं के समाधान और आपसी विवादों के निपटारे उन्हीं के बैठकखाने में किये जाते थे। अर्थात् वे गाँव के मालिक थे, लोग उनकी प्रजा थे और शाहनी मालकिन थी। अनेक लोग उसके अन्न पर पलते थे। उसके चरित्र का दूसरा पक्ष ममतामयी नारी का है। इसका सबसे बड़ा प्रमाण शेरा है। माँ के मरने के बाद वह शाहजी का आश्रित हो गया, मवेशियों को खिलाने वाला, घर का कामकाज करनेवाला। यदि किसी कारण डाँट खाकर व्यथित होता, तो शाहजी उसे न केवल दुलारती अपितु रात्रि में दूध भरा ग्लास लेकर उसे पिलाने जाती, शेरा भी स्वीकार करता है उसके सभेद को, यही कारण है कि चालीस खून करने वाला पत्थर दिलशेरा संकल्प करके निर्णय करके भी न शाहनी की हत्या कर पाता है और न उसका धन लूट पाता है। दाऊद खाँ भी मानता है कि शाहनी उदार और स्नेहशील महिला है। उसने मस्जिद बनाने के लिए तीन सौ रुपये दिये थे और उसकी बहू न को सोने का कनफूल दिया था। जिस समय शाहनी ट्रक पर चढ़कर जाने लगती है उस समय सबकी आँखें भर आती हैं। महिलाएं महसूस करती हैं कि उसके सुख दुख की साधिन एक भली मालकिन एक स्नेहमयी, उदार हृदय स्त्री उसके बीच से चली जा रही है।
शाहनी के चरित्र का तीसरा विन्दु है परिस्थितियों के आगे विवश होकर समझौता करने वाली वृद्ध महिला का शाहनी आसपास में हो रही हिंसा और आगजनी से परिचित है, उसे अपने अकेलेपन और बुढ़ापा दोनों का ज्ञान है। लेकिन कुछ भी कर सकने की सामर्थ्य उसमें नहीं है। खेत, घर, धन सब छूट रहा है, जीवन के शेष दिन कैसे जायेंगे उस बेसहारा स्त्री की यह समस्या सामने खड़ी है। वह आँसुओं के भंवर में कभी डूबती है और कभी ऐश्वर्य बोध से दीप्त हो उठती है। वह जानती है कि यहाँ से कुछ भी ढोकर ले जाना संभव नहीं, तो फिर मोह कैसा ? अत: वह मोह मुक्त होने की चेष्टा करती है। उसे लगता है कि ये लोग मेरी प्रजा है तो इनके सामने से मालकिन भाव से जाना चाहिए। जिस शान से आयी थी, जिस शान से रही, उसी शान से जाना उचित होगा, कातर बनना ठीक नहीं। अत: वह आँसुओं को पोंछ लेती है, भावावेग पर नियंत्रण कर लेती है और निर्मम तटस्थता के साथ हवेली को अंतिम प्रणाम कर चल देती है। भीतर से वह चाहे जितनी दुर्बल हो लेकिन बाहर से बोल्ड दीखने का पूरा प्रयास करती है। वह निरीह है अतः सिक्का बदलने से मनुष्यता के बदलाव पर विश्वास नहीं करती। मगर परिस्थिति की गंभीरता को समझती है और सिक्का अर्थात् सम्पदा वहीं छोड़कर चल देती है।
शब्दार्थ : दरिया - नदी, शटाला = फसल की डंठलों का पूला, कनाली - बर्तन, निगरा बर्दाश्त कर लेना, छा वेले = सबेरे-सबेरे, कुल्लूवाल - स्थान का नाम, असामी - रैयत, प्रजा, मसीत मस्जिद, दारे बैठक, मंगेतर = होने वाली पत्नी।
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Bihar board class 11 Hindi book solution chapter -7 Saransh (व्याख्या )
(i) आज शाहनी नहीं उठ पा रही। जैसे उसका अधिकार आज स्वयं ही उससे छूट रहा है। शाह जी के घर की मालकिन.............. लेकिन नहीं, आज मोह नहीं हो रहा। मानो पत्थर हो गयी हो।
सिक्का बदल गया शीर्षक कहानी से ये पंक्तियाँ ली गयी हैं। लेखिका हैं कृष्णा सोबती। नदी से स्नान कर शाहनी अपनी हवेली आती है। आज वातावरण बदला हुआ है। भारत विभाजन ने हिन्दू-मुस्लिम दोनों को एक दूसरे का शत्रु बना दिया है। कहानी उस क्षेत्र की है जहाँ मुस्लिम आबादी बहुसंख्यक है, वातावरण में हिंसा और आगजनी से उत्पन्न भय व्याप्त है। शाहनी इस बात को भाँप रही है। वह आकर अपनी हवेली में लेट जाती है और शाम तक लेटी रह जाती है। आज उठने की चेतना मरी हुई सी है। उसे लगता है कि आज तक घर, खेत, फसल और सोने चाँदी की बोरियाँ उसकी मुट्ठी में थीं। लेकिन आज यह अधिकार-भाव स्वयं उसे छोड़ रहा है। एक क्षण के लिए अधिकार भाव सजग होता है - वह शाहजी के घर की मालकिन है, लेकिन दूसरे क्षण यह भाव भी उड़ जाता है। वह धन और ऐश्वर्य के मोह से आविष्ट नहीं हो पाती है। वह लगभग पत्थर की तरह जड़ हो गयी है। मानो यह इन सब चीजों को पकड़कर रखने वाली ताकतों से वह निरपेक्ष हो गयी है। ये पंक्तियाँ वस्तुतः परिस्थिति से उत्पन्न विवशता और वृद्धावस्थाजन्य शक्तिहीनता से उत्पन्न निर्विकार मनःस्थिति को सूचित करती हैं।
(ii) यह नहीं कि शाहनी कुछ न जानती हो। वह जानकर भी अनजान बनी रही। उसने कभी बैर नहीं जाना। किसी का बुरा नहीं किया। लेकिन बूढ़ी शाहनी यह नहीं जानती कि सिक्का बदल गया है।
'सिक्का बदल गया' शीर्षक कहानी की इन पंक्तियों में कहानीकार ने बड़े मार्मिक ढंग से अपनी कहानी के शीर्षक की अर्थवत्ता को अभिव्यक्ति दी है। शाहनी ने वातावरण को संघ कर अनुमान कर लिया था कि हिन्दू मुस्लिम दंगा हो रहा है और वह असुरक्षित है। लेकिन वह जानकर भी अनजान बनी रही। क्योंकि एक तो उसकी विवशता थी कि कहाँ जाये ? क्या करे, तय नहीं कर पा रही थी। दूसरे, उसके भीतर मानवता का विश्वास था कि उसने किसी से कभी बैर नहीं किया। किसी का बुरा नहीं किया, हिन्दु मुसलमान का भेद उसके मन में नहीं आया, अपने मुसलमान आसामियों को पुत्रवत् स्नेह दिया। तब उसे कोई क्यों पराया समझेगा। लेकिन लेखिका का कहना है कि ये बातें तो ठीक हैं लेकिन शाहनी एक बात से अनभिज्ञ थी कि जब सत्ता बदल जाती है तब मानवता का कोई मूल्य नहीं रह जाता। राजनीति और धर्म के उन्माद की आंधी मनुष्यता और अपनापन के सारे मूल्यों को उड़ाकर फेंक देती है। केवल पशुता रह जाती है और पशुता को व्यक्ति के गुण या भावना से मतलब नहीं होता।
(iii) देर मेरे घर में मुझे देर ! आँसुओं के भंवर में न जाने कहाँ से विद्रोह उमड़ पड़ा। मैं पुरखों के इस बड़े घर की रानी और यह मेरे ही अन्न पर पले हुए .. नहीं, यह सब कुछ नहीं।
व्याख्या की इन पंक्तियों में कृष्णा सोवता ने शाहनी के भावों के उतार-चढ़ाव को चित्रित किया है। अल्पसंख्यक हिन्दुओं को सुरक्षित कैम्प में ले जाने के लिए टूक आ गया है। विदा करने वाले लोग जल्दी करने के लिए कह रहे हैं। शाहनी सब कुछ छूटने की पीड़ा से आँसुओं में डूब-उतरा रही है। बार-बार देर हो रही है सुनकर एकाएक उसका तेज जाग उठता है। ये मेरे ही अन्न पर पले हुए आसामी मुझे मेरी ही सम्पदा छोड़कर जाने हेतु देर-देर रट रहे हैं। मैं इस सम्पदा की मालकिन और ये मुझे अतिथि समझ रहे हैं। उसका अधिकार भाव विद्रोह के रूप में फूट पड़ना चाहता है, आँसुओं का भंवर विलुप्त हो जाता है। लेकिन दूसरे क्षण वह अपने पर नियंत्रण कर लेती है। वास्तविकता को स्वीकार कर समझौता कर लेती है। नहीं यह विद्रोह एक स्वामिनी भाव व्यर्थ है, अनपयोगी है असत्य है। . 1
(iv) शाहनी रो-रोकर नहीं शान से ड्योढ़ी से बाहर हो गयी।
इन पंक्तियों में लेखिका ने शाहनी के चरित्र की निर्णायक स्थिति और स्वाभिमानी मुद्रा का चित्रण किया है। शाहनी तय कर लेती है कि जब जाना निश्चित है, यहाँ रहना मृत्यु को गले लगाना है, तब वह तय करती है कि वह शान से मालकिन भाव से घर छोड़ेगी ताकि ये उसके आसामी उसे जाते हुए भी मालकिन समझें कायर, कमजोर और भिखारिन नहीं। अतः वह अपने लड़खड़ाते कदमों को संभालती है और दुपट्टे से आँखें पोंछकर अपने भीतर निहित नारी सुलभ दुर्बलता और अनिश्चित भविष्य की पीड़ा को झटककर भगा देती है। और अंतिम बार हवेली को देखकर प्रणाम की मुद्रा में हाथ जोड़कर गर्वदीप्त भाव से मन को बल प्रदान करती हुई चल पड़ती है ।
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Bihar board class 11 Hindi book solution chapter -7 Objective Question (वस्तुनिष्ठ प्रश्नोत्तर )
(i) "सिक्का बदल गया' किस विधा की रचना है ?
- (क) नाटक
- (ख) कहानी
- (ग) निबन्ध
- (घ) रिर्पोर्ताज
Answer ⇒ ख |
(ii) 'सिक्का बदल गया' के लेखक हैं
- (क) कृष्णा सोवती
- (ख) मेहरुन्निसा परवेज
- (ग) महादेवी वर्मा
- (घ) अमृता प्रीतम
Answer ⇒ क |
(iii) शाहनी किस नदी में स्नान करने जाती थी ?
- (क) सिन्धु
- (ख) सतलज
- (ग) चनाब
- (घ) रावी
Answer ⇒ ग |
(iv) 'सिक्का बदल गया' कहानी किस स्थान से सम्बन्धित है ?
- (क) पंजाब
- (ख) काश्मीर
- (ग) सिन्ध
- (घ) राजस्थान
Answer ⇒ क |
(v) शेरे की आँख में प्रतिहिंसा का भाव किसके प्रति है ?
- (क) हुसैना
- (ख) पटवारी
- (ग) दाऊद खाँ
- (घ) शाहनी
Answer ⇒ घ् |
(vi) 'सिक्का बदल गया' का सम्बन्ध किस घटना से है ?
- (क) भारत-विभाजन
- (ख) भारत-पाकयुद्ध
- (ग) हिन्दू मुस्लिम दंगा
- (घ) आतंकवाद
Answer ⇒ क |
(vii) 'सिक्स बदल गया' में सिक्का किसका प्रतीक है?
- (क) भारत
- (ख) पाकिस्तान
- (ग) सत्ता परिवर्तन
- (घ) धर्मान्तरण
Answer ⇒ ग |
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Bihar board class 11 Hindi book solution chapter - 7 Very Short Quetion (अतिलघुउत्तरीय प्रश्नोत्तर )
(i) शाहनी के प्रति शेरा के भाव क्या हैं ?
उत्तर-शेरा दुविधाग्रस्त है। वह अपने साथियों के साथ होकर शाहनी को मारकर हवेली लूट लेना चाहता है। लेकिन साहनी के द्वारा बचपन में दिये गये स्नेह का स्मरण आते ही उसके हाथ रूक जाते हैं।
(ii) गाँववाले शाहनी को किस दृष्टि से देखते हैं ?
उत्तर-गाँव वाले शाहनी को अपन और प्रेम की दृष्टि से देखते हैं। वे नहीं चाहते हैं कि शाहनी जैसी स्नेहमयी मालकिन जाये लेकिन वे परिस्थिति के आगे विवश हैं।
(iii) गाँव छोड़ने के समय शाहनी की मन:स्थिति कैसी है ?
उत्तर-शाहनी के मन में कभी-कभी पुराना शासिका भाव और मोह उभरता है, लेकिन वह यथार्थ परिस्थिति को समझ रही है। अतः भीतर से दु:खी और मोहग्रस्त होते हुए भी ऊपर से निर्विकार होकर चली जाती है।
(iv) सिक्का बदलने का अभिप्राय क्या है ?
उत्तर-कल तक शाहनी गाँव की मालकिन थी। आज उसका गाँव भिन्न धर्म वाले देश का भाग बन गया है। अत: उसे भिखारिन की तरह अपना सब कुछ छोड़ना पड़ रहा है। समय का यही परिवर्तन सिक्का बदलने का अर्थ है।
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Bihar board class 11 Hindi book solution chapter - 7 Short Quetion (लघुउत्तरीय प्रश्नोत्तर )
प्रश्न-1. शाहनी के मन में किसी बात की पीड़ा है, फिर भी वह शेरा और होना के समक्ष हल्के से हँस पड़ी है। क्यों ?
उत्तर-शाहनी परिस्थिति को भाँप रही है। उसके मन में शाहजी के न होने की पीडा है। उसे पिछली स्मृतियाँ याद आ रही हैं। अपना सम्मान, अथाह, धन, रानीपन का गर्व। आज की असहायावस्था में वह पति को याद कर रही है कि वे होते तो वह इतनी निरीह इतनी असफल नहीं होती। यही पीड़ा उसे पिघलाती है और पीड़ा आँसू बनकर निकलना चाहते हैं। वह इस पीड़ा को दबाने के लिए हल्के हँस पड़ती है। वह नहीं चाहती कि शेरा या हसैना उसकी पीड़ा या उसकी दुर्बलता जान
प्रश्न-2. शेरा कौन है और उसके साथ शाहनी का क्या संबंध है ?
उत्तर-शेरा शाहनी का सेवक है। वह जब छोटा था तो उसकी माँ मर गयी। साहनी ने ही अपनी ममता की छाँह में उसे पालकर बड़ा किया।
प्रश्न-3. शेरा के भीतर प्रतिहिंसा की आग क्यों है?
उत्तर-मुसलमान शेरा एक तो हिन्दू होने के कारण शाहजी को भिन्न मानता था दूसरे शाहजी की धनाढयता के मूल में अपने भाइयों का शोषण मानता था। शाहजी ने उसके भाई बन्दों से सूद ले लेकर सोने की बोरियाँ भरी थी। खेत बढ़ाये थे। अर्थात् शोषण के बल पर धनादयता अर्जित करने के कारण शेरा शाहनी के प्रति हिंसा से भरा था।
प्रश्न-4. शाहनी अपना घर छोड़ते हुए भी विरोध में एक स्वर नहीं निकाल पाती। ऐसा क्यों ?
उत्तर-शाहनी एक तो बूढी थी, दूसरे परिस्थिति समझ रही थी कि यदि वह विरोध कर यहाँ रहगी तो किसी दिन मार डाली जायेगी। विरोध का परिणाम अहितकर होगा तथा यहाँ रहना अहितकर है। अत: वह बिना विरोध किये घर छोड़ने को तत्पर हो गयी।
प्रश्न-5. शाहनी के हाथ शेरा की आँखों में क्यों तैर गए ?
उत्तर-शेरा जब जब शाहजी से डाँट खाकर दुखी होता था या भूखे सोने की स्थिति आती थी तो रात्रि में शाहनी लालटेन लिए हाथ में दूध का ग्लास लिए उसके पास आती थी और पुचकार कर दूध ही नहीं पिलाती थी अपितु ममता से पुचकार कर माँ की तरह पीड़ा हर लेती थी। इस तरह शाहनी के हाथ ममता के प्रतीक थे शेरा के लिए। इसीलिए शाहनी का अहित सोचते ही उसके कृतज्ञ मन के सामने शाहनी के दुलार भरे हाथ तैर गये।
प्रश्न-6. शेरा की फिरोज के साथ क्या बात हुई थी ?
उत्तर-शेरा और फिरोज में यही बात हुई थी कि शाहनी का कत्ल कर दिया जाय और हवेली को लूटकर सारा धन बाँट लिया जाय।
प्रश्न-7. जबलपुर में आग क्यों लगाई गई थी ? धुआँ देख शाहनी क्यों चिंतित हो गई थी?
उत्तर-जबलपुर में हिन्दुओं के घर थे। भारत विभाजन के कारण वह क्षेत्र पाकिस्तान में रह गया। मुसलमानों ने भिन्न धर्मावलम्बी होने के कारण जबलपुर में आग लगा दी, वहाँ शाहनी के सम्बन्धी लोगों का आवास था। उनके अनिष्ट की कल्पना कर शाहनी चिन्तित हो गयी।
प्रश्न-8, दाउद खाँ की कैसी स्मृतियाँ शाहनी से जुड़ी है।
उत्तर-दाउद खाँ की शादी के समय उसकी पत्नी को मुंहदेखाई में शाहनी ने सीने में कनफूल दिये थे।
प्रश्न-9, भागोवाल मसीत के लिए शाहनी ने दामद खाँ को क्या दिया था।
उत्तर-दाउद खाँ ने भागोवाल मस्जिद के लिए चन्दा के रूप में तीन सौ रुपये मांग की शाहनी ने सरलता से तीन सौ रुपये दिये।
प्रश्न-10, थानेदार दाऊद खाँ बार-बार शाहनी से नकद रखने का आग्रह करता है। तब भी शाहनी नकद नहीं रखती है। क्यों ?
उत्तर-शाहनी जानती है कि जब इतनी बड़ी सम्पदा उनसे छिन रही है तो थोड़ा नगद भी छिन जायेगा उसे लेकर क्यों चिन्ता पाल। फिर इससे बुरा वक्त तो यही आयेगा कि वह मा जायेगी। तब भी वह नगद कोई काम नहीं देगा। परिस्थिति का परिणाम सोचकर वह निर्मोही हो गयी है।
प्रश्न-11. दाऊद खाँ क्यों चाहता है कि शाहनी हवेली छोड़े हुए कुछ साथ रख ले।
उत्तर-दाउद खाँ के मन में कही शाहनी के लिए दया है। इस दया के कारण वह असहाय शाहनी को सहारा के लिए कुछ नकद रख लेने का बार-बार आग्रह करता है।
प्रश्न-12. दाऊद खाँ को शाहनी के पास खड़े देखकर शेरा ने क्यों कहा साहिब देर हो रही है।"
उत्तर-शेरा ने समझा कि दाउद खाँ शाहनी से कुछ धन झटक रहा है। वह स्वयं धन लोलुप है। वह नहीं चाहता है कि दाउद शाहनी के धन में उनलोगों का हिस्सेदार बने। इसीलिए उसने बाधा उपस्थित करने के उद्देश्य से कहा खाँ साहिब देर हो रही है।
प्रश्न-13. शाहनी किसके सुख-दुख की साथिन थी ?
उत्तर-गाँव की बड़ी-बूढ़ी महिलाओं की दृष्टि में शाहनी उनके सुख-दुःख की साथिन थी। प्रश्न-14. चलते समय इस्माइल ने शाहनी से क्या कहा ? उत्तर-इस्माइल ने चलते समय कहा शाहनी, कुछ कह जाओ। तुम्हारे मुँह से निकली सीख झूठी नहीं हो सकती।
प्रश्न-15. खूनी शेरे का दिल क्यों टूट रहा था ?
उत्तर-खूनी शेरे के भीतर जो इंसान था वह शाहनी के स्नेहपूर्ण अतीत को याद कर रहा था। इसी कारण उसका दिल टूट रहा था।
प्रश्न-16. शाहनी शेरे को क्या आशीर्वाद देती है ?
उत्तर-शाहनी ने शेरे को आशीर्वाद दिया तैनू भाग जगन चन्न। (ओ चाँद भाग जागे)
प्रश्न-17. शाहनी के जाने पर लोगों के मन में क्या अफसोस होता है?
उत्तर-गाँव के लोगों के मन में शाहनी के जाने की व्यथा थी। उनके भीतर एक ही अफसोस था कि वे चाहकर भी शाहनी को नहीं रख सके। सब परिस्थिति के हाथों विवशता से छटपटा रहे थे।
प्रश्न-18. 'शाहनी चौंक पड़ी। देर - मेरे घर में मुझे देर। आँसुओं की भंवर में न जाने कहाँ से विद्रोह उमड़ पड़ा।' इस उद्धरण की सप्रसंग व्याख्या करें।
उत्तर-सिक्का बदल गया कहानी से गृहीत ये पंक्तियाँ उस स्थल से ली गयी हैं जहाँ शेरा ने खान साहब अर्थात् थानेदार दाउद खाँ से कहा देर हो रही है। इस कथन पर शाहनी चौंक पड़ी। उनके भीतर का स्वामित्व हुँकार उठा। मेरे ही घर में मुझे देर होने की बात कही जा रही है। यह घर, ये खेत सब मेरे हैं, मैं मालकिन हूँ और यह अदना-सा लड़का जो मेरी कृपा पर पलकर बड़ा हुआ है वह मुझसे कह रहा है कि देर हो रही है मानो वह स्वामी हो और मैं प्रजा ! दी गई पंक्ति में लेखिका ने अभिजात संस्कार में पले व्यक्ति के मनोविज्ञान को स्वाभाविक रूप में पकड़ा है। शेरा की बात पर शाहनी के मन में विद्रोह की चिनगारी भड़क उठना ही स्वाभाविक है।
प्रश्न-19. घर छोड़ते समय शाहनी की मनोदशा का वर्णन अपने शब्दों में करें।
उत्तर-घर छोड़ते समय शाहनी द्वन्द्व में पड़ी हुई है। वह दुपट्ट से सिर ढाँपकर अपनी धुंधली आँखों से हवेली को अंतिम बार देखती है और दोनों हाथ जोड़कर घर को प्रणाम करती है। यही उसका अतिम दर्शन है। घर और धन के प्रति प्यार एक बार जोर मारता है। इच्छा होती है कि एक बार घूम फिर कर पूरा घर देख ले। मन छोटा होने लगता है। लेकिन उसके भीतर का अभिजात और मालकिन भाव प्रबल हो उठता है - हमेशा जिनके सामने बड़ी बनी रही उनके सामने इस अतिम वक्त में छोटा होना अच्छा नहीं लगा। इतना ही ठीक है। उसने घर के आगे सिर झुकाया कुल वधू की तरह और उसकी आँखों से निकलकर आँसू की कुछ बूंदें चू पड़ीं। फिर वह अपने को संभालती हुई मुंह मोड़कर चल पड़ी।
प्रश्न-20. निम्नलिखित वाक्यों की सप्रसंग व्याख्या करें –
(क) जी छोटा हो रहा है, पर जिनके सामने हमेशा बनी रही है उनके सामने वह छोटी न होगी।
(ख) आस-पास के हरे-हरे खेतों में से घिरे गाँवों में रात खून बरसा रही थी।
उत्तर-(क) यह पंक्ति 'सिक्का बदल गया' कहानी से गृहीत है। लेखिका ने इस पंक्ति में शाहनी की मनोदशा का चित्रण किया है। एक ओर घर और सम्पदा के प्रति स्वाभाविक मोह है और दूसरी ओर बड़े होने का अभिमान भरा संस्कार। वह एक बार पूरे घर में घूमकर देखना चाहती है। अपार सम्पदा को छोड़ते हुए मन छोटा हो रहा है। लेकिन आसपास जो लोग हैं वे उसके असामी हैं, प्रजा हैं, सदा उनके आश्रित रहे हैं और उसने उनलोगों को छोटा मानकर उन पर रानी की तरह शासन किया है। उसका यह संस्कार इन छोटे लोगों के सामने उसे छोटा बनने से रोकता है। इससे उसका बड़प्पन घटेगा। अत: वह भावना को दबाती है और तटस्थ भाव से घर को प्रणाम कर चल देती है।
(ख) प्रस्तुत कहानी सिक्का बदल गया की पृष्ठभूमि भारत विभाजन है। यह कहानी पाकिस्तान से भगा दिये गये हिन्दुओं की पीड़ा पर आधारित है। मुसलमानों ने हिन्दुओं को भगा ही नहीं दिया बल्कि बड़ी संख्या में उनका कत्ल किया। उनके गाँवों को जला दिया और उनकी चल सम्पदा लूट ली। जो लोग बच गये वे अपने भाग्य से बच गये। यह पक्ति कहानी के अन्त में आती है। शाहनी सहित हिन्दुओं, सिक्खों से भरा ट्रक भारत की ओर चल पड़ता है। उस समय आसपास के गाँवों में बचे हिन्दुओं का कत्ल किया जा रहा है। रात खून बरसा रही थी का तात्पर्य यही है कि हिन्दुओं की हत्याएं की जा रही थीं।
Class 11 Hindi Book Solution
Bihar board class 11 Hindi book solution chapter - 7 Grammer Question (भाषा की बात )
प्रश्न-1. इस कहानी में पंजाबी भाषा के कई वाक्य हैं। उन्हें हिन्दी में अनूदित करें।
उत्तर-
- ऐ मर गई ए - अरे क्या मर गयी ?
- रब्ब तैनू मौत दे = ईश्वर तुझे मौत दे।
- क्यों छावेले तडपनाएँ - क्यों सुबह-सुबह चिल्लाते हो।
प्रश्न-2. निम्नलिखित शब्दों के पर्यायवाची लिखें –
दरिया, आसमान, सूर्य, आँख, पानी, सोना, पुत्र, घर ,
उत्तर-
- दरिया - नदी, सरिता
- आसमान – नभ, गगन,
- सूर्य – रवि, भानु
- आँख – नेत्र ‚ चक्षु,
- पानी – जल, वारि,
- सोना – कनक, हेम,
- पुत्र – सुत, बेटा,
- घर – गृह, आलया
प्रश्न-3. निम्नलिखित शब्दों के बहुवचन बनाइए –
दुलहन, नजर, हवेली, कोठरी, साथी, आँसू, देवता
उत्तर-
- दुलहन = दुलहनें, दुलहनों।
- नजर = नजरें, नजरों
- हवेली = हवेलियाँ, हवेलियों
- कोठरी = कोठरियाँ, कोठरियों
- साथी = साथियों
- आँसू = आँसुओं
- देवता = देवताओं
प्रश्न-4. 'पर-पर वह ऐसा नीच नहीं-सामने बैठी शाहनी नहीं, शाहनी के हाथ उसकी आँखों में तैर गए।' यहाँ ‘आँखों में तैर गए' का क्या अर्थ है ?
उत्तर - आँखों में तैर गये = चित्र की तरह कोई बात स्मरण हो आना या कौंध जाना
प्रश्न-5. 'शाहनी, आज तक ऐसा न हुआ, न कभी सुना, गजब हो गया, अंधेर पड़ गया। यहाँ 'अंधेर पड़ गया' मुहावरा है। मुहावरे के प्रयोग के बिना इसी वाक्य को इस प्रकार लिखें कि अर्थ परिवर्तित न हो।
उत्तर-अंधेर पड़ गया के स्थान पर जुल्म हो गया या वज्र गिर गया लिख देने से काम चल जायेगा।
प्रश्न-6. 'जमीन तो सोना उगलती है।' यहाँ सोना उगलने से क्या तात्पर्य है?
उत्तर-यहाँ सोना उगलना मुहावरा का अर्थ है भरपूर फसल होना।
प्रश्न-7. सलामत एक भाववाचक संज्ञा है। इसका विशेषण रूप हुआ सलीम। ऐसे ही नीचे के शब्दों के विशेषण रूप लिखें –
महारत, रहमत, तिजारत, शराफत, शरात
उत्तर-
संज्ञा –
महारत रहमत तिजारत शराफत शरारत
विशेषण –
माहिर रहमान तिजारती शरीफ शरारती
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