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Class 11 Hindi Book Solution
Bihar board class 11 Hindi book solution chapter - 8 Saransh , (सरांश )
कक्षा - 11वी गद्यखंड अध्याय - 8
उतरी स्वप्न परी : हरी क्रांति
लेकख : फणीश्वरनाथ रेणु
उतरी स्वप्नपरी एक रिपोताज है। रिपोर्ताज साहित्य की वह विधा है जिसमें किसी सत्य घटना के विषय में रिपोर्ट इस ढंग से लिखी जाती है कि वह साहित्यिक कृति की तरह आनन्द प्रदान करती है। फणीश्वर नाथ रेणु रचित इस रिपोताज में कोसी अंचल में कृषि क्रान्ति संभव होने का वर्णन इस तरह किया गया है कि वह चलचित्र की तरह मनोरम हो गया है। रेणु पूर्णिया के रहने वाले थे जो कोशी अंचल में पड़ता है। कोशी एक डायन नदी कही गयी है जो हरी भरी भूमि को निगलती हुई उस पूरे अंचल को बलुआही भूमि में बदलती चली गयी। रेणु ने कोशी अंचल के जीवन पर कहानियों के अतिरिक्त दो उपन्यास लिखे। मैला आँचल में स्वाधीनता पूर्व कोशी अंचल का चित्रण है जिसमें केवल बाढ़ है, शोषण है, भूखमरी है और है मलेरिया तथा कालाजार के रूप में मृत्यु का तांडव। उससे संघर्ष करने का प्रतीक है डॉ. प्रशान्ता दूसरे उपन्यास परती : परीकथा में स्वातंत्र्योत्तर कोशी अंचल का चित्र है। इस उपन्यास के अंत में उपन्यासकार का आशावाद है जिसमें एक विशेष ढंग से कोशी को बाँध कर और उसकी धारा को मोडकर उस क्षेत्र के उपजाऊ बनने की कल्पना की गयी है। लेखक ने आजादी के बहुत पहले एक रिर्पोताज लिखा था डायन कोसी ? यह उस समय के अखबार जनता में प्रकाशित हुआ। उसमें लेखक ने आशावादी दृष्टिकोण अपनाते हुए यह विचार व्यक्त किया था कि इस धरती के दिन फिरेंगे प्राणों में घुले हुए रंग धरती पर फैल जायेंगे।" लेखक के मित्रों ने इसे व्यक्तिगत मामला मानकर परिहास में पूछना शुरू किया कि कब प्राणों में घुसे रग धरती पर फैलेंगे। लेखक ने उत्तर दिया था - आजादी के बाद। आजादी की पृष्ठभूमि में उसने मैला आँचल लिखा जिसमें डॉ. प्रशान्त के माध्यम से इस क्षेत्र को कालाजार और मलेरिया से मुक्त करने का प्रयत्न है।' प्रशान्त अपने एक प्रियजन को पत्र लिखता है जिसमें यह आशावाद पुनः फलित है - यहाँ की मिट्टी में बिखरे लाखों लाख इंसानों की जिन्दगी के सुनहरे सपनों और अधूरे अरमानों को बटोरकर यहाँ के प्राणियों के जीवकोष में भर देने की कल्पना मैंने की थी।" क्योंकि उसे विश्वास था कि एक दिन यहाँ विशाल डैम बनेगा जिससे लाखों एकड़ बंध्या धरती शस्त्र-श्यामला हो उठेगी।" तब लेखक के परिहास प्रिय मित्रों को कुछ और नये शब्द मिल गये-दुधिया चमक, धानी रंग, जिन्दगी की बेल, मकई के खेत इत्यादि। लेकिन परिहासप्रिय मित्रों को उस दिन धक्का लगा जब कोशी पर डैम बनाने की योजना पर कार्य होने लगा। उसने उत्साह में भरकर दूसरा उपन्यास लिखा परती परिकथा। जब कोशी योजना पर कार्य होने लगा तो लेखक दिन रात उसमें काम करने वाले इंजीनियरों और तकनीकी विशेषज्ञों के साथ डोलता और उनके क्रियाकलापों से स्फूर्ति लेकर उपन्यास की पंक्तियों से अपने सपनों को बुनता। वह हर-बार आशा की नयी किरण लेकर लौटता। उपन्यास के प्रकाशित होने तक कोशी योजना, परीक्षण-निरीक्षण की प्रक्रिया में ही थी। अत: लोगों को फिर परिहास का मसाला मिला। इस उपन्यास का आरंभ कोशी अंचल की धूसर वीरान, पतिता भूमि के वर्णन से होता है जो धरती नहीं धरती की लाश है और उस पर कफन की तरह फैली है बालुक राशि। मगर इस उपन्यास के अन्त में आशावाद का स्वर अत्यन्त प्रखर है-वीरान धरती का रंग बदल रहा है और धीरे-धीरे हरा, लाल, पीला, बैगनी। हरे भरे खेत। धरती पर रंग की लहरें बाँसुरी रंगों को स्वर प्रदान कर रही है। अमृत हास्य धरती पर अंकित हो रहा। आसन्न प्रसवा धरती हँसकर करवट लेती है।" अन्ततः पंचवर्षीय योजना के अन्तर्गत कोशी योजना स्वीकृत होती है। लाखों लोगों के श्रम से डैम बनाया जाता है और उस धूसर वीरान बालूचर धरती पर फसल लहलहा उठती है, आज भी लहलहा रही है। अब वहाँ कालाजार और मलेरिया भी नहीं है। मानव की बुद्धि, सूझबूझ और श्रम ने धरती को करवट बदलने के लिए बाध्य कर दिया। उपन्यासकार की कल्पना साकार हो उठी। रेणु जी ने किया है। उनके गाँव रिपोर्ताज के अन्त में अपने आशावाद के प्रतिफल का वर्णन का एक कर्मठ व्यक्ति अपनी गरीबी और अस्वास्थ्य कर वातावरण से ऊबकर बंगाल चला गया कमाने के लिए। धीरे-धीरे वहीं बस गया। यहाँ वह कभी-कभी साल छह महीने पर आ जाता था। इस बार आया सदा के लिए नाता तोड़ने, अपनी डेढ़ बीघे बेच कर चले जाने के लिए। स्टेशन से गाँव की ओर चला तो रास्ते में हजारों एकड़ परती कहीं नजर नहीं आयी। उसे लगा कि वह रास्ता भटक कर दूसरी दिशा में आ गया है। वह वापस लौट कर स्टेशन पर पहुँचा और लोगों को अपनी परेशानी बतलाई, तब लोगों ने उसे इस परिवर्तन का रहस्य समझाया। गाँव के लड़कों ने उस आदमी का नाम ही रख दिया – सुदामा। जब उसको तो लड़के गुनगुनाने लगते सुदामा मंदिर देखि डरयो।" वह व्यक्ति जब अपनी उस डेढ़ बीघे जमीन में साल में तीन-तीन फसलें और वह भी तीस मन प्रति बीघा की दर से उगाने लगा तो अपने परिवार को बंगाल से वापस ले आया। यहाँ से जाने का विचार त्याग दिया। इस तरह जिस धरती पर दूब भी उगने में आनाकानी करती थी उस धरती से सोने की तरह फसल पैदा होने लगी। लेखक के मन की कल्पना में कोशी के परिवर्तन की जो कल्पना परी थी वह परी हरित क्रान्ति बनकर उस भूमि पर उतर आयी। जिस दिन स्वयं लेखक के खलिहान में गेहूँ की पहली फसल कटकर आयी उसने बालियों को सिर से छुआ कर मूल मन्त्र का जाप किया। अपने दोनों उपन्यासों की निजी प्रतियाँ निकालकर उनके अंतिम पृष्ठों पर लिखा लाखों एकड़ कोसी कवलित, मरी हुई मिट्टी शस्य-श्यामला हो उठी है। कफन जैसे सफेद बालू भरे मैदान में धानी रंग की जिन्दगी की बेल लग गये हैं। मकई के खेतों में घास गढ़ती औरतें सचमुच बेवजह हँस पड़ती हैं। सारी धरती मानो इन्द्रधनुषी हो गयी है। । दिन फिरे हैं किसानों के। खेतों में ट्रैक्टर चल रहे हैं। सब मिलाकर एक स्वप्न लोक की सृष्टि साकार हो गयी है। चारों ओर अमृत हास्य। एक हरी क्रान्ति अपनी पहली मंजिल पर पहुँचकर सफल हुई है। सपने सच भी होते हैं और अपने भी।" जिन्हें विश्वास न हो वे पूर्णिया जाकर कोशी अंचल घूमकर इस रिपोर्ताज की विश्वसनीयता प्रमाणित कर लें कि स्वप्न परी हरित क्रान्ति के रूप में उतरी है या नहीं। निष्कर्षतः रेणु इस रिपोर्ताज के माध्यम से यह कहना चाहते हैं कि उन्होंने साहित्यकार के रूप में एक स्वप्न देखा कि कैसे 'डायन कोसी' को ममतामयी माँ बनाया जा सकता है। बालूवाली भूमि को हरियाली में बदला जा सकता है। इस देश के अभियन्ताओं की प्रखर मेधा ने कोशी को बाँधकर उसका सारा विष उतार दिया और अंचल की लाखों एकड़ भूमि की सिंचाई उसके पानी से होने लगी। इस भगीरथ प्रयत्न को साकार किया कोशी डैम बनाने वाले इंजीनियरों से लेकर मजदूरों तक ने अपनी मेधा और श्रम से। स्वाधीन भारत के सरकार की यह महान उपलब्धि रही और यह पूरा क्षेत्र रोग, गरीबी और ऊसर भूमि के अभिशाप से मुक्त हो गया। पूरी रचना में कल्पना के रंग हैं, उन रंगों को साकार होते जाने के प्रयत्न हैं और उस प्रयत्न के परिणाम का मंगल चित्र है, प्रमाण है, उपजने वाले फसलों का उल्लेख है। अत: इसमें साहित्य के रस और वास्तविक स्थिति के वर्णन की तथ्यात्मक अभिव्यक्ति की गंगा-जमुनी प्रवाहित है। अत: यह सही अर्थों में एक मनोरम रिपोर्ताज है।
शब्दार्थ : बालूचर बालू से भरी धरती, शस्य-फसल, श्यामला साँवले रंग की।
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Bihar board class 11 Hindi book solution chapter - 8 Objective (स्तुनिष्ठ प्रश्नोत्तर )
1. स्वप्न परी किसे कहा गया है ?
- (क) हरी क्रान्ति
- (ख) कोशी अंचल
- (ग) कोशी डैम
- (घ) किसी को नहीं
Answer ⇒ क |
(ii) उतरी स्वप्न परी का साहित्य रूप क्या है ?
- (क) कहानी
- (ख) रिपोर्ताज
- (ग) निबन्ध
- (घ) पत्र
Answer ⇒ ख |
(iii) उतरी स्वप्न परी में किस अंचल का वर्णन है ?
- (क) कोशी अंचल
- (ख) नेपाल तराई
- (ग) बंगाल
- (घ) आदिवासी अंचल
Answer ⇒ क |
(iv) विधाता की सृष्टि का सर्वश्रेष्ठ प्राणी कौन है ?
- (क) दानव
- (ख) देवता
- (ग) मानव
- (घ) पशु
Answer ⇒ ग |
(v) हरी क्रान्ति के लिए किस नदी पर डैम बनाया गया ?
- (क) कोशी
- (ख) कमला
- (ग) भूतही बलान
- (घ) गंडक
Answer ⇒ क |
(vi) वराह क्षेत्र को रेणु ने क्या माना है ?
- (क) नया तीर्थ
- (ख) पुराना तीर्थ
- (ग) पूज्य तीर्थ
- (घ) मृत तीर्थ
Answer ⇒ क |
(vii) कोशी बाँध से किनके दिन फिरने की बात रेणु जी ने कही है ?
- (क) किसान
- (ख) मजदूर
- (ग) पूँजीपति
- (घ) बुद्धिजीवी
Answer ⇒ क |
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Bihar board class 11 Hindi book solution chapter - 8 Very Short Quetion (अतिलघुउत्तरीय प्रश्नोत्तर )
(i) उतरी स्वप्न परी का तात्पर्य क्या है ?
उत्तर-रेणु ने कोशी अंचल की दुर्दशा से मुक्ति का सपना देखा और अपनी रचनाओं में अंकित किया। कोशी योजना के पूरा होने पर यह स्वप यथार्थ में बदल गया। अत: बाँझ धरती को शस्य श्यामला देखने का जो लेखक का स्वप्न था वह साकार हुआ। यही स्वप्न परी के उतरने का तात्पर्य है।
(ii) डैम बनने के पूर्व कोशी अंचल की धरती कैसी थी ?
उत्तर-डैम बनने के पूर्व कोशी अंचल की लाखों एकड़ धरती धूसर, वीरान, उदास और बालू से भरी थी। रेणु की दृष्टि में वह बंध्या धरती थी।
(iii) डैम बनने के पहले कोशी अंचल के लोगों की क्या दशा थी ?
उत्तर-डैम बनने के पहले कोशी अंचल में कालाजार और मलेरिया के रूप में मृत्यु का तांडव चल रहा था। लोगों का शरीर रोग जर्जर नर कंकाल जैसा था। वे दिन रात मृत्यु की छाया में जीते थे। जीवन में न रस था न रंग।
(iv) मनुष्य विधाता की सृष्टि का सर्वश्रेष्ठ प्राणी क्यों है ?
उत्तर-मनुष्य के पास संकल्प शक्ति और पुरुषार्थ है। बदपरिस्थितियों से लगतार संघर्ष कर उस पर विजय प्राप्त करता है। वह निराशा के अंधकार से आशा के बल पर लड़ता है और जीतने के लिए लड़ता है। अतः सर्वश्रेष्ठ प्राणी है।
(v) रेणु के आशावाद कालोग क्यों मजाक उड़ाते थे ?
उत्तर-रेणु की बातों को लेखकीय कल्पना मानते थे जिनके यथार्थ में परिणत होने की संभावना नहीं थी।
(vi) किन कारणों से रेणु का आशावाद सफल हुआ ?
उत्तर-केन्द्र सरकार ने आजादी के बाद विशेषज्ञों से सर्वेक्षण कराया तो लगा कि सही जगह पर डैम बना देने और कोशी को तटबन्धों के सहारे बाँध देने पर उसका प्रलयकारी रूप समाप्त हो जायेगा। ऐसा ही किया गया और उसका एकदम अनुकूल परिणाम निकला बंध्या धरती शस्य श्यामला हो गयी।
(vii) रेणु का नया वराह क्षेत्र तीर्थ कहाँ है ?
उत्तर-रेणु ने उस क्षेत्र को नया वराह तीर्थ क्षेत्र कहा है जहाँ विशेषज्ञों ने मापकर, पहाड़ काटकर डैम बनाने का कार्य किया था। वह स्थान जहाँ बंध्या धरती को शस्य श्यामला बनाने का यज्ञ पूरा हुआ रेणु की दृष्टि में नया तीर्थ है।
(viii) एक नये सुदामा चरित से रेणु का क्या तात्पर्य है ?
उत्तर-कोशी अंचल में हरित क्रान्ति ने रेणु के गाँव का रूप बदल दिया। बहुत दिनों पर गाँव वापस आने वाले एक ग्रामीण को भ्रम हो गया कि वह किसी अन्य स्थान पर आ गया है। अतः वह लौट कर पुनः स्टेशन चला गया बाद में उसे परिवर्तन का ज्ञान हुआ। सुदामा की तरह उसे भी अपना गाँव पहचानने में भ्रम हुआ। अतः गाँव के लड़कों ने उसका नाम सुदामा और उसकी कथा को नया सुदामा चरित कहना आरंभ किया।
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Bihar board class 11 Hindi book solution chapter - 8 Short Quetion (लघुउत्तरीय प्रश्नोत्तर )
प्रश्न-1. लेखक ने कोसी अंचल का परिचय किस तरह दिया है ?
उत्तर- कवि ने चित्रात्मक भाषा में कोशी का परिचय दिया है। कोशी जिधर से गुजरती है धरती बाँझ हो जाती है। मिट्टी बालूचर में बदल जाती है। उसका रंग बादामी हो जाता है। दूर तक फैली साकार उदासी लगती है। बरसात के मौसम में कुछ अनावश्यक किस्म के पौधे उगते हैं और हरियाली छा जाती है। अन्यथा बारहों महीने दिन-रात, सुबह-शाम धूसर और वीरान नजर आती है।
प्रश्न-2. जब लेखक कोसी या उसके किसी अंचल के संबंध में कुछ कहने या लिखने बैठता है तो बात बहुत हद तक व्यक्तिगत हो जाती है। ऐसा क्यों ?
उत्तर-कोशी या उसके किसी अंचल के सम्बन्ध में कहते हुए बात इसलिए व्यक्तिगत हो जाती है कि लेखक उस अंचल का निवासी है। कोशी उसके लिए एकमात्र नदी नहीं माँ है और कोशी अंचल मातृभूमि। इस कारण वह पक्षधर हो जाता है।
प्रश्न-3. पाठ में लेखक ने कोसी को 'माई' भी कहा है और 'डायन कोसी' शीर्षक से रिपोर्ताज लिखने की चर्चा भी की है। लेखक का कोसी से कैसा रिश्ता है ?
उत्तर-लेखक कोशी को नदी मात्र ही नहीं माँ भी मानता है। लेकिन मातृभाव के बावजूद वह कोशी के विनाशक चरित्र को नजरअंदाज नहीं कर पाता अतः वह उसे उस डायन माँ के रूप में अनुभव करता है जो अपने ही बच्चों को मार डालती है। भावना और यथार्थ के द्वन्द्व में लेखक किसी को नहीं छोड़ पाता इसलिए वह 'डायन कोसी' शीर्षक से रिपोर्ताज लिखकर सत्य को स्वीकार करता है।
प्रश्न-4. 'मानव ही सर्वश्रेष्ठ प्राणी है।' पाठ के संदर्भ में स्पष्ट करें।
उत्तर-मनुष्य की संघर्षशीलता, विषम परिस्थिति में भी घुटने न टेकने की संकल्पशीलता, अटूट आस्था और भावप्रवणता के कारण लेखक के भीतर मानव की ताकत के प्रति जो अटूट आस्था है उसी के कारण उसने कहा है कि मानव ही सर्वश्रेष्ठ प्राणी है। उसका कथन है - मानव सर्वश्रेष्ठ प्राणी है। वह निराशा के घोर अंधकार में भी नहीं आशा का टिमटिमाता हुआ दीप लेकर आगे बढ़ता रहा है अन्धकार से लड़ता रहा है।"
प्रश्न-5. सुदामाजी की किस कथा का उल्लेख लेखक ने पाठ में किया है ?
उत्तर-कोशी योजना के कार्यान्वयन के बाद कोशी अंचल की कायापलट हो गयी। बालूचर भूमि सोना उगलने लगी। फलतः आठ साल तक घर न लौटने वाला एक किसान जब गाँव लौटा तो वह अपने गाँव की राह तक नहीं पहचान सका। जिस परती की कल्पना उसके दिमाग में बैठी थी उस परती की जगह फसल झूम रही थी, उसे लगा कि वह कहीं दूसरी जगह उतर गया है भूलवश। वह स्टेशन आकर अपने गाँव की खोज पूछ करने लगा जिस तरह कृष्ण के यहाँ से लौटकर सुदामा जी अपनी झोंपड़ी की जगह राजमहल देखकर परेशान हो गये थे और अपनी झोपड़ी तथा पत्नी की खोज कर रहे थे वही दशा उस प्रवासी किसान की हुई। इसलिए गाँव के लड़कों ने उस किसान का नाम सुदामा जी रख दिया। लेखक ने उसी किसान की कथा का उल्लेख इस रिपोर्ताज में किया है।
प्रश्न-6. लेखक अपने दूसरे उपन्यास में दूने उत्साह से क्यों लग गया ? पहले उपन्यास से इसका क्या संबंध है ?
उत्तर-लेखक के पहले उपन्यास मैला आँचल में आजादी पूर्व की कथा है जिसमें कालाजार और गरीबी आदि से मुक्ति का प्रयत्न है। लेखक ने एक सपना देखा था कि आजादी के बाद इस अंचल की दशा बदल जायेगी। जब आजादी के बाद कोशी योजना पर काम होने लगा और नदी पर डैम बनने लगा तो उसकी कल्पना को पंख लग गये और विश्वास को जमीन मिल गयी। अत: वह अपने दूसरे उपन्यास परती परिकथा को लिखने में जोर-शोर से लग गया। उस उपन्यास में कोशी-डैम के पूरा होते ही बालूचर जमीन के उर्वर बन जाने की परिकल्पना है। यह रिर्पोताज बतलाता है कि डैम के पूरा होने पर हरित क्रान्ति की स्वप्न परी धरती पर उतर आयी।
प्रश्न-7. 'जिन्हें विश्वास न हो, वे स्वयं आकर देख जाएँ - प्राणों में घुले हुए रंग धरती पर किस तरह फैल रहे हैं - फैलते ही जा रहे हैं।' इस उद्धरण की सप्रसंग व्याख्या करें।
उत्तर-इन पंक्तियों में लेखक ने यह बतलाना चाहा है कि आस्थावान रचनाकार जब दृढ़ विश्वास से रचनात्मक बातें करता है तो वे कोरी कल्पना न रहकर यथार्थ में परिणत हो जाती हैं। लेखक ने कोशी डैम बनने के पहले पूर्णिया अंचल के लिए मैला आँचल' शब्द का प्रयोग किया है। परती परिकथा में डैम के स्वरूप की परिकल्पना और अन्त में परिवर्तन की स्थिति को परदे पर प्रकाश और छाया के माध्यम से दिखाया जाता है। यह रिपोर्ताज वास्तविक वर्णन है जिसमें रेणु यह बतलाते हैं कि बालूचर जमीन शस्य श्यामला हो गई और उसकी कल्पना शब्द प्राणों में घुले हुए रंग धरती पर फसलों के रूप में साकार हो गये।
प्रश्न-8. रेणु के इस रिपोर्ताज की मुख्य विशेषताएँ क्या हैं ? अपने शब्दों में लिखें।
उत्तर-रेणु के इस उपन्यास की प्रथम विशेषता है कल्पना के यथार्थ में बदलने का भावनापूर्ण चित्रण। विचलित न होते हुए बार बार अपनी आस्था को नये-नये शब्दों और मुहावरों में कहना। इसकी तीसरी विशेषता है चित्रात्मकता-रंगों से रंजित चित्र है। आरंभ में बालूचर जमीन की अनबूझ उदासी और धरती के बाँझपन का चित्र है। अन्त में फसलों का उल्लासपूर्ण चित्रण है जो सुदामा कथा के प्रतीक द्वारा मनोरम बन गया है। चौथी विशेषता कोशी डैम की निर्माण प्रक्रिया, बाँध के स्वरूप की परिकल्पना आदि का जीवन्त चित्र है जो रेणु के अभियन्ता शिल्प का परिचय कराता है। और सबसे अंतिम विशेषता है पूरे रिपोर्ताज में आस्था और आत्मीयता का संगीत जो कोशी को नदी नहीं माँ मानने के परिणाम स्वरूप व्यक्त हुआ है।
(i) कोशी अंचल की धरती।
कोशी अंचल कोशी नदी के अभिशाप से ग्रस्त है। कोशी जिधर गुजरती है उधर की धरती को बाँझ बना देती है। सोना उगलने वाली भूमि बालू की रेती में बदल जाती है। अत: कोशी अंचल की लाखों एकड़ धरती मनहूस बादामी रंग की है। यह धरती धूसर वीरान और उदासी का साकार रूप है। इसमें बरसात में कुछ पौधे उगकर हरियाली ला देते हैं लेकिन बरसात समाप्त होते बंध्यापन छा जाता है।
(ii) कोशी अंचल का जीवन।
कोशी अंचल के लोगों का जीवन मलेरिया और कालाजार के कारण मृत्यु के आतंक के बीच बीतता था। रोग से जर्जर शरीर रक्त और माँस से हीन नरकंकालों के समूह की तरह लगते थे। उनकी जिन्दगी में न रस था न रंग न हँसी न खुशी। मृत्यु कब किसको लील लेगी कहना कठिन था। ऐसे लोगों की आँखों में रंगीन और सुनहले सपने नहीं होते।
(iv) रेणु का आशावाद।
रेणु ने डायन कोशी शीर्षक अपने रिपोर्ताज से लेकर परती परिकथा तक सदैव एक स्वप्न देखा। उस स्वप्न के अनुसार एक दिन ऐसा आयेगा जब कोशी नदी पर एक सही स्थान पर डैम बनेगा। यह डैम इस धरती का कायाकल्प कर देगा। वीरान, उदास बंध्या धरती शस्य श्यामला हो उठेगी, बालू वाली जमीन सोना उगलेगी, धानी रंग की जिन्दगी के बेल लग जायेंगे, प्राणों में घुले हुए रंग धरती पर फैल जायेंगे। प्राणों में घुले हुए रंग धरती पर फैल जायेंगे। धरती पर अमृत हास्य अंकित हो उठेगा।
(v) रेणु के आशावाद की परिणति।
स्वाधीनता के बाद भारत सरकार ने कोशी क्षेत्र पर डैम बनाने के लिए सर्वेक्षण कराया। फिर बाँध और डैम का कार्य प्रारंभ हुआ और अन्ततः यह पूरा हुआ। रेणु की परिकल्पना साकार हो उठी क्योंकि इस डैम ने कोशी की धरती की काया बदल दी। बंध्या धरती शस्य श्यामला हो गयी। धान और गेहूँ की बालियाँ झूमने लगी। नहरों के जाल बिछ गये। सिंचाई, रासायनिक खाद और उन्नत बीज के कारण किसान साल में तीन तीन फसलें काटने लगे और इस तरह रेणु ने जो स्वप्न देखा था वह साकार हुआ हरित क्रान्ति के रूप में स्वप्न परी धरती पर उतर आयी।
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Bihar board class 11 Hindi book solution chapter - 8 Hindi Grammar (भाषा की बात )
प्रश्न-1. निम्नलिखित शब्दों के प्रत्यय निर्दिष्ट करें –
उत्तर –
शब्द –
- स्वाभाविक
- क्षणिक
- प्रकाशित
- पुलकित
- कवलित
प्रत्यय –
- इत
- इत
- इत
- इत
- इत
प्रश्न-2, निम्नलिखित शब्दों के समास निर्धारित करें –
होली-दिवाली, आसन्नप्रसवा, धीरे-धीरे, हरे-भरे, रोम-रोम, बालू-भरे
- होली दिवाली – द्वन्द
- आसन्न प्रसवा – अव्ययीभाव मध्यपद लोपी
- धीरे-धीरे – द्वन्द
- हरे भरे – द्वन्द
- रोम रोम – द्वन्द
- बालू भरे – तत्पुरुष (तृतीया)
प्रश्न-3. निम्नलिखित शब्दों के पर्यायवाची लिखें –
हमजोली, धरती, इंसान, विधाता, पहाड़
उत्तर –
- हमजोली – मित्र, सखा
- धरती – भूमि, जमीन
- इंसान – मानव, मनुष्य
- विधाता – ईश्वर, सिरजनहार
- पहाड़ – गिरि, पर्वत
प्रश्न-4. 'महिमा' शब्द 'महा' से बना हुआ है। इसी तरह के शब्द निम्नांकित रूपों में बनाएँ –
लघु, अरुण, गुरु, हरित, लाल, मधुर, श्वेत
उत्तर –
- लघु – लचिमा
- अरू ण – अरूणिमा
- गुरु – गरिमा
- हरित – हरीतिमा
- लाल – लालिमा
- मधुर मधुरिमा
प्रश्न-5. निम्नलिखित शब्दों का संधि विच्छेद करें–
उन्मूलन, हिमालय, मर्माहत, आयोजन, उन्नत
उत्तर–
- उन्मूलन = उत् + मूलन
- हिमालय = हिम + आलय
- मर्माहत = मम + आहत
- आयोजन = आ + योजन
- उन्नत = उत् + नत
प्रश्न-6. पाठ से तत्सम, तद्भव, देशज और विदेशज शब्दों के कम-से- कम पाँच-पाँच उदाहरण चुनें।
उत्तर–
- तत्सम = पुण्य सलिला, छिन्नमस्ता, विशेषज्ञ, संगम, बंध्या
- तदभव = मैया, कोसी, दूसरा, खेत, बारह
- देशज = सुर, बालूचर, गढ़ना।
- विदेशी = मनहूस, मैनेजमेन्ट, कफन, मजाक, प्रोजेक्ट
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