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Class 11 Hindi Book Solution
Bihar board class 11 Hindi book solution chapter - 2 (Summary ) Saransh
कक्षा 11वी हिन्दी , गद्यखंड अध्याय - 2
कविता की परख
कवि : रामचंद्र शुक्ल
कविता क्या है , किसी कविता की अच्छाई की परख किन आधारों पर की जाय यह एक स्थाई प्रश्न है । हर युग में कविता होती रही है , युगान्तर के साथ उसका स्वरूप बदलता रहता है । और उसकी परख की कसौटी बदलती रहती है । लेकिन एक अच्छी कविता हर युग में पसन्द की जाती है । आचार्य रामचन्द्र शुक्ल ने अपने निबन्ध कविता की परख मे इन्ही तथ्यों पर प्रकाश डाला है । यह उनका हाई स्कुल स्तर के कार्यो को ध्यान मे रखकर लिखा गया निबन्ध है । इसमें ज्यादा पौढ़ लेख है - कविता क्या है ? उस लेख में उनके पौढ़ विचार है जबकि प्रस्तुत लेख में उनके प्राथमिक विचार है ।
शुक्ल जी ने इस निबन्ध का प्रारम्भ कविता के उदेश्य से किया है । उनकी दृष्टी से कविता का उदेश्य हमारे हृदय पर प्रभाव डालना होता है , जिससे उनके भीतर प्रेम , आनंद आदि का संचार हो सके । इसके बाद शुक्लजी ने इस तथ्य पर विचार किया है कि इस उदेश्य की प्राप्ति के लिए कविता क्या करती है ? शुक्लजी के अनुसार कवि कुछ रूपों और व्यापारों को इस प्रकार खड़ा करता है कि वे हमारे मानस पटल पर अंकित हो जाते है । यह काम कवि किस शक्ति के सहारे करता हे वह कल्पना कहलाती है । दूसरे शब्दों में , कविता कल्पना के सहारे भावना विशेस से संबंधित रूपों और व्यापारों को इस प्रकार प्रस्तुत करती है कि हमारे मन पर उस भाव का प्रभाव पड़े । इसी के परिणामस्वरूप कविता में प्रस्तुत वर्णन के अनुसार हमारे मन में क्रोध , घृणा , हँसी , करूणा आदि भाव प्रवाहित हो उठते है । एक वाक्य में कवि के हृदयगत भाव कविता में इस प्रकार प्रस्तुत होते है कि पाठक के मन में वही भाव जगा देते है । यही कविता का उदेश्य है । अतः कविता की परख करते समय यह देखना चाहिए कि कविता में विर्णत भाव पाठक के मन मे जागृत होता है या नहीं ।
शुक्लजी के अनुसार कविता की परख का दुसरा सुत्र है - अभिव्यक्ति संबंधी विशेषता । अर्थात जैसे भाव हो , वैसा ही कहने का ढंग होना चाहिए । जिस वस्तु का वर्णन करना होता है उसी के समान कुछ वस्तुओं का उल्लेख उपमा आदि अलंकारों के रूप में किया जाता है जैसे मुख को सुन्दर कहने के लिए उसे चन्द्रमा या कमल के समान कहा जाता है । व्यक्ति की तेजस्विता और वीरता सूचित करने के लिए सूर्य या सिंह के समान कहा जाता है । ऐसा कहने के मूल में रूप या गुण की समानता के द्वारा ऐसा परिवेश पैदा करने की कोशिश की जाती है कि वह भावना और अधिक प्रखर होकर पाठक के मन में जगे , उपमा आदि अलंकार कहे जाते है क्योकि ये वर्णनीय विशय की शोभा को जादा कर देते है , बढ़ा देते है । इसीलिए कहा गया है - आलम् करोति इति अलंकारः सारांषतः शुक्लजी कहते है कि उपमा का उदेश्य भावना को तीव्र करना होता है किसी वस्तु का बोध कराना नहीं । अगर समानता के मूल में भाव या सौन्दर्य को तीव्र करने की चेतना न हो तो वह उपमा नहीं होती है ।
उपमा का प्रयोग करने के पूर्व वह देखना आवश्क होता है कि उसके द्वारा वह भावना उत्पन्न होती है या नहीं जिस भावना का वर्णन कवि करने जा रहा है कवि आकार - प्रकार का बोध कराने के लिए उपमा नहीं देते भाव की तीव्रता के लिए करते है । सारांशतः शुक्लजी कहना चाहते है कि उपमा समानता का बोध करानेवाला तत्व नहीं , भाव - वर्णन को तीव्र बनाकर हृदयगा्रह्य बनाने वाला तत्व है । अतः कविता में अलंकार - विधान का दृष्टिकोण भाव - पाषण होना चाहिए खिलवाड नहीं ।
और शु क्लजी के अनुसार कविता के प्रसंग में अंतिम महत्त्वपूर्ण बात है - औचित्य । कविता में कवि खुलकर हृदय की व्यंजना करता है । इस क्रम में जहाँ भाव की तीव्रता होती है वहाँ कभी - कभी औचित्य का उल्लंघन हो जाता है । शुक्लजी के अनुसार काव्य का सिद्धांत या मर्म न समझने वाले औचित्य ढूँढ़ते है । भाववेश नहीं देखते । यह कविता की परख की कसौटी नहीं । उदाहरण के लिए रामचरितमानस में गोस्वामी जी लिखते है -
‘‘ जौ जनतेउँ बन बंधु बिछोहु
पिता वचन मानतेहूँ नहि ओई ’’
यदि इस कथन को आज्ञाकारी राम के चरित्र में एक दाग कहा जाय तो यह उचित नहीं होगा । पाठक को यह देखना चाहिए कि प्रसंग कैसा है । प्रसंग है भाई की मुच्र्छा से उत्पन्न राम की विकलता । भाव है शोक के आवेश मे बोलने वाला अभिव्यक्ति और आचरण के औचित्य पर नहीं सोचता । यदि सोचेगा तो वह भावुक नहीं पत्थरदिल होगा । यहाँ शोक के आवेग मे औचित्य ज्ञान का जो विस्मरण हुआ है उसी में कविता की मार्मिकता का सौन्दर्य है । इसिलिए माना गया है कि कविता के परखी को सहृदय होना चाहिए उकठा काठ नहीं । कुतर्क से कविता को सौन्दर्य नष्ट होता है । मापतौल पर ध्यान रखने का भावना आहत होती है । अतः कौतूहल चमत्कार आदि से हटकर कविता में भावाभिव्यक्ति की तीव्रता के सहारे सौन्दर्य - विधान पर ही कवि और पाठक दोनों की दृष्टी होना चाहिए ।
Bihar board class 11 Hindi book solution chapter - 2 Very Short Question (अति लघूत्तरीये प्रश्नोउत्तर )
प्रश्न-1. शुक्ल जी के अनुसार कविता का उद्देश्य क्या है ?
उत्तर : शुक्ल जी के अनुसार कविता का उद्देश्य पाठक के हृदय पर प्रभाव डालना है।
प्रश्न-2. कविता में रूपों और व्यापारों की योजना किस शक्ति के सहारे होती है?
उत्तर-कविता में रूपों और व्यापारों की योजना कल्पना-शक्ति के सहारे होती है।
प्रश्न-3. प्रेम, दया, घृणा, क्रोध आदि क्या कहे जाते हैं ?
उत्तर-प्रेम, दया, घृणा, क्रोध आदि भाव कहे जाते हैं।
प्रश्न-4. उपमा अलंकार किसे कहते हैं ?
उत्तर-उपमेय को उपमान के समान कहना 'उपमा' अलंकार कहलाता है।
प्रश्न-5. काव्य में उपमा का प्रयोग क्यों किया जाता है?
उत्तर-काव्य में उपमा का प्रयोग भावना को तीव्र करने के लिए होता है।
प्रश्न-6. मात्र समानता उपमा क्यों नहीं है?
किन्तु बड़े आकार का होता है। यहाँ समानता है मगर भाव या सौन्दर्य नहीं है अतः यहाँ समानता में अलंकारत्व का अभाव है। उत्तर-मात्र समानता में भावना को तीव्र करने की क्षमता नहीं होती। वह सादृश्य का बोध भर कराता है, जैसे 'बाघ कैसा होता है' के उत्तर में कहा जा सकता है-बाघ बिल्ली के समान
प्रश्न-7. कविता में हमारा ध्यान किस पर होना चाहिए भावावेग पर या औचित्य पर?
उत्तर-कविता की कसौटी भावावेग पर होती है। अतः परिकथन में अनौचित्य के में भाव की तीव्रता हो तो उसपर ध्यान नहीं देना चाहिए।
Bihar board class 11 Hindi book solution chapter - 2 Short Question (लघूत्तरीये प्रश्नोउत्तर )
(1) कविता का देश्य
उत्तर- कविता क्यों ?' का उत्तर देने के क्रम में अनेक विद्वानों, आचार्यों ने कविता के अनेक उद्देश्यों का कथन किया है। संस्कृत के आचार्य मम्मट यश, अर्थ, व्यवहार, कल्याण, मनोरंजन या आनन्द तथा उपदेश को कविता का उद्देश्य मानते हैं। मैथिलीशरण गुप्त मानते हैं कि कविता का उद्देश्य क्रान्ति करना और मुरझाये दिलों में ऊर्जा का संचार करना है। दिनकर जी भी पतन, पाप, पाखंड और आडम्बर को आग लगाना कविता का उद्देश्य मानते हैं। शुक्ल जी इन बाहरी उद्देश्यों को छोड़कर केवल एक उद्देश्य की चर्चा करते हैं कि कवि जिस भाव से कविता लिखता है उसी भाव का संचार पाठक के मन में करना उसकी कविता का उद्देश्य होता है।
प्रश्न-2. कविता के क्या उद्देश्य हैं ?
उत्तर- कविता का उद्देश्य होता है हमारे हृदय पर प्रभाव डालना। कवि अपनी रचना में जिन भावों का चित्रण करता है उनका संचार पाठक के हृदय में हो और पाठक उसी भाव के अनुसार प्रेम, आनन्द, हास्य, करुणा, आश्चर्य आदि का अनुभव करे तदनुसार चकित हो, क्रोधित हो, द्रवित - हो तो समझना चाहिए कि कविता का उद्देश्य पूरा हो गया।
प्रश्न-2. कल्पना किसे कहते हैं ? एक कवि के लिए कल्पना का क्या महत्त्व है?
उत्तर-जिस मानसिक शक्ति से कवि वस्तुओं और व्यापारों की योजना करता है और हम उन वस्तुओं-व्यापारों को मन में धारण करते हैं उस शक्ति को 'कल्पना' कहते हैं। इस शक्ति के बिना न तो अच्छी कविता हो सकती है और न उसका पूरा आनन्द लिया जा सकता है। मानव-हृदय पर प्रभाव उत्पन्न करने के लिए कविता को कुछ रूपों और व्यापारों को मन में खड़ा करना पड़ता है ताकि उनकी सहायता से हम उन भावों को अपने मन में साकार अनुभव कर सकें। यह काम बिना कल्पना के नहीं हो सकता। अतः भावना से संबंधित रूपों और व्यापारों का मानस चित्र निर्मित करने के लिए कल्पना की आवश्यकता होती है। यही अनिवार्यता कल्पना का महत्त्व है।
प्रश्न-3. उपमा क्या है? कविता में उपमा का प्रयोग क्यों किया जाता है? पाठ के आधार पर उत्तर दें।
उत्तर- कविता में जिस वस्तु या व्यापार का वर्णन किया जाता है उसके बोध को प्रखर और प्रभावपूर्ण बनाने के लिए कुछ सादृश्य बोध के उपादान प्रयोग होते हैं जो उपमा है। अप्रस्तुत वस्तु के साथ प्रस्तुत वस्तु का सादृश्य बताकर उसके गुण की तीव्रता से प्रतीति कराना उपमा है। काव्यशास्त्र में एक वस्तु को दूसरी वस्तु के समान कहना 'उपमा' कहलाता है। लेकिन शर्त यह है कि वह प्रभाव को बढ़ावे, जैसे मुख को चन्द्रमा के समान कहना उपमा है। मगर ऐसा करने के पीछे चन्द्रमा की कोमलता, आकर्षण, शीतलता और मधुरता को मुख में आरोपित करना लक्ष्य होता है। इसके द्वारा कवि यही बताना चाहता है कि मुख सामान्य न होकर विशेष है। सारांशतः उपमा का प्रयोग कवि भाव की तीव्रता का बोध कराने के लिए करता है।
प्रश्न-4. आँख के लिए मीन, खंजन और कमल की उपमाएँ दी जाती हैं। इनमें क्या-क्या समानताएं हैं?
उत्तर-आँख को जब मछली और खंजन से उपमा दी जाती है तो उसका लक्ष्य आँखों की चंचलता और स्वच्छता की अधिकता सूचित करना होता है। आँख को जब कमल के समान कहा जाता है तब उसकी उत्फुल्लता, कोमलता और रंग की मनोहरता व्यक्त करना लक्ष्य होता है। उनकी विशेषता को इस प्रकार रख सकते हैं।
मीन - स्वच्छंद, चंचलता
खंजन - स्वच्छता, चंचलता
कमल – कोमलता, उत्फुल्लता, रंग की मनोहारिता। .
प्रश्न-5. 'मानो ऊँट की पीठ पर घंटा रखा है'- इस उक्ति के द्वारा लेखक ने क्या कहना चाहा है?
उत्तर-'मानों ऊँट की पीठ पर घंटा रखा है' के द्वारा लेखक ने किसी पुराने कवि द्वारा दी गयी इस भद्दी उपमा की ओर संकेत किया है।
प्रश्न-6. “जौ जनतेउँ नहिं ओहू"-इस उदाहरण के द्वारा लेखक ने क्या कहना चाहा है?
उत्तर-इस उदाहरण के द्वारा कवि ने कहना चाहा है कि भावावेग में मनुष्य बुद्धि और विवेक भूल जाता है, राम जैसे आज्ञाकारी पुत्र द्वारा पिता का वचन न मानने की बात कहना आहत हृदय में उत्पन्न शोकावेग से प्रेरित है सामान्य उक्ति नहीं है।
प्रश्न-7. 'वाणी के द्वारा मनुष्य के हृदय के भावों की पूर्ण रूप से व्यंजना हो जाती है।' इस कथन का आशय स्पष्ट करें।
उत्तर-मनुष्य के मन में जब भाव उमड़ते हैं तो वह उसे अनेक तरह से कहना चाहता है ताकि उसका भाव पूरी तन्मयता और प्रभाव के साथ व्यक्त हो जाय। क्रोध में कैसे अनावश्यक बोला जाता है ? प्यार में कैसे तरह-तरह से कहकर रिझा लिया जाता है यह कवि को जिस गहराई तक अनुभव होता है उस सब को कहकर वह जब संतुष्ट हो जाता है तो कविता पूरी हो जाती है। इसी आधार पर पर कवि ने कहा है कि वाणी के द्वारा मनुष्य के हृदय के भावों की पूर्ण रूप से व्यंजना हो सकती है।
Bihar board class 11 Hindi book solution chapter - 2 Hindi Grammar (भाषा की बात )
प्रश्न-1. निम्नलिखित विशेष्यों के लिए उपयुक्त विशेषण दें
उत्तर-
- मुख = सुन्दरमुख,
- चरण = लालचरण,
- नेत्र = दीप्त नेत्र,
- सूर्य = दिक्सूर्य,
- चन्द्रमा = पूर्ण चन्द्रमा,
- हवा = मन्द हवा,
- कमल = लाल कमल
प्रश्न-2. 'ता' प्रत्यय से इस पाठ में कई शब्द हैं, जैसे-निपुणता, गंभीरता आदि। ऐसे में शब्दों को चुनकर लिखें।
उत्तर- सुन्दरता, कोमलता, मधुरता, उग्रता, भीषणता, वीरता, कायरता, चंचलता, प्रफुल्लता, मनोहरता, स्वच्छता, रमणीयता। ।
प्रश्न-3. निम्नलिखित शब्दों से 'इक' प्रत्यय लगाकर शब्द बनाएँहृदय, करुणा, शब्द, मुख, प्रकृति, सिद्धांत, वास्तव, बुद्धि, मर्म, स्वभाव।
उत्तर- हृदय = हार्दिक, करुणा = कारुणिक, शब्द = शाब्दिक, मुख = मौखिक, मर्म: मार्मिक, प्रकृति = प्राकृतिक, सिद्धान्त प्राकृतिक, सिद्धान्त = सैद्धांतिक, वास्तव = सैद्धांतिक, वास्तव = वास्तविक, बुद्धि = बौद्धिक, स्वभाव = स्वाभाविक।
प्रश्न-5. निम्नलिखित शब्दों से विशेषण बनाएँ
माधुर्य, कांति, मुख, उपमा, वास्तव, रंग, रमणीयता, मानव
उत्तर- माधुर्य = मधुर, कान्ति कान्त, मुख = मौखिक, उपमा ,औपम्य, वास्तव = वास्तविक, रंग = रंगीन, रमणीयता = रमणीय, मानव = मानवीय।
प्रश्न-6. निम्नलिखित शब्दों के विपरीतार्थक शब्द लिखें -
उपस्थित, उदय, स्थल, कायर, बड़ाई, परिमाण, अधिक, उचित
उत्तर-उपस्थित = अनुपस्थित, उदय अस्त, स्थल = जल, कायर = वीर, बड़ाई = निन्दा, छोटाई, परिणाम कुपरिणाम, अधिक = कम, उचित अनुचित।
प्रश्न-7. निम्नलिखित शब्दों के संज्ञा के रूप में लिखें
उत्तर-हार्दिक = हृदय, सुन्दर = सुंदरता, विकराल विकरालता, पराक्रमी - = पराक्रम, वास्तविक = वास्तव, मधुर = माधुरी, उचित = औचित्य।
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