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Bihar board class 11th Hindi Solution गद्खंड chapter - 3 आँखों देखा ग़दर ( विष्णुभट गोडसे वरसईंकर)
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Class 11 Hindi Book Solution
Bihar board class 11 Hindi book solution chapter - 3 (Summary ) Saransh
कक्षा - 11वी गद्यखंड अध्याय - 3
आँखों देखा गदर
विष्णुभट गोडसे वरसईकर महाराश्ट्र में रहने वाले एक कर्मकांडी ब्राह्यण थे । वे गाँव से प्रवास पर निकले ताकि अपने यजमानों से मिलते दान - दक्षिणा पाते अर्थोपार्जन कर घर लौटे । लेकिन वे झाँसी में आकर फँस गये । अंग्रेजी ने अपनी राज्य हड़प नीति के अन्तर्गत झाँसी की रानी ने कई दिनों तक बहादुरी से मुकाबला किया और अन्त में वीरगति को प्राप्त हुई । बरसईकर वहीं किले में घिर गये अतः उन्होने युद्ध को अपनी आंखों देखा । इस आलेख में उस पूरे युद्ध का आँखों देख हाल प्रस्तुत किया गया है । अतः यह 1857 की क्रांति का एक प्रमाणिक अभिलेख है ।
वैशाख का महीना था जब अंग्रजी सेना ने झाँसी शहर को घेर कर आक्रमण कर दिया । रानी लक्ष्मीबाई स्वतः किले और शहर के बाहर खिंची दीवार पर चढकर युद्ध प्रबन्ध करने लगीं । शहर की दीवार के पास मोर्चा बाँधने आयी अंग्रजी सेना पर रानी के गोलेदानों ने जवाबी हमला किया और वे भाग खड़े हुए । इसके बाद लगातार मोर्चाबन्दी और गोलीबारी होने लगी । शहर में कुछ ही लोग ऐसे थे जिन्हें मोर्चाबंदी की सही जगह मालूम थी । उनमें से किसी गद्दार अथवा सत्तोद्रोही दुष्ट ने इसकी जानकारी अंग्रेजी सेना को दे दी । अतः वे सही जगह मोर्चाबन्दी कर गोले बरसाने लगे । रानी साहिबा को पहली बार झटका लगा और निराशा की पहली सीढ़ी पर उनका पैर लगा । लेकिन वे लौह महिला थी । अतः बिना विचलित हुए तत्परता से प्रत्याक्रमण और मरम्मत की व्यवस्थ करने लगीं । इस तरह सात दिनों तक युद्ध होता रहा और दोनों तरफ हार - जीत होती रही । दीवारों पर जहाँ भी गोलों के फटने से क्षति होती उसे रात में चुपके से दक्ष कारीगरों द्वारा तुरन्त मरम्मत करा दी जाती वे पेशवा की ओर से मदद की अपेक्षा करती थी । लेकिन वहाँ से मदद न आने के कारण वे विचलित होने लगीं । इसी बीच कालपी से तांत्या टोपे पन्द्रह हजार सेना लेकर आ पहुचे और घनघोर युद्ध प्रारम्भ कर दिया । लेकिन दुर्भाग्यवश या कमजोर व्यवस्था के कारण वह पराजित हो गया । इससे अंग्रेजों का हौसला बढ़ गया ।
मगर निराशा की प्रतिक्रिया से उत्पन्न वीरता के जोश में झाँसी के सिपाही रानी की प्रेरणा से काल की तरह भयानक हो गये । ग्यारहवें दिन जब झाँसी की तोपें बन्द हो गयीं तब अंग्रजी ने किले पर गोले बरसाना शुरू किया । लेखक बरसईकर सहित चौसठ लोग एक कोठरी में जमा हो गये और मौत की आशंका के बीच गुजरने लगे । लेकिन बाई सहिबा की दिलेरी और गोलेदानों के लगातार हमलों से अंग्रेजी की ओर से आक्रमण ठहर गया ।
ग्यग्यारहवे दिन रानी को मालूम हुआ कि अंग्रेजो का गोला बारूद खत्म हो रहा है , वे कल मोर्चा उठा लेंगे । इससे रानी अत्यन्त प्रसन्न हुई । लेकिन प्रातः होते ही हजारों लोगों के माथे पर घास के बोझे लादकर अंग्रेजी सेना शहर की दीवार के नीचे पहुँच गयी और एक पर एक गट्ठर डालकर उसके सहारे शहर में घुस गयी । बाई सहिबा कर्तब्यविमूड गयी । उनके प्रन्द्रह सौ मुसलमान सैनिक थे । लेखक ने इन्हें विलायती अर्थात मुस्लिम अरब सैनिक कहा है । ये अंग्रेजों पर टुट पड़े । रानी स्वयं भी युद्ध में कुछ पड़ी । लेकिन एक वृद्ध सरदार ने उन्हें मना किया कि आप मारी जायेंगी तो उपाय कौन करेगा । अतः किले में वापस चलकर उपाय सोचा जाय । अंग्रेजों ने नगर को लूटना और लोगों को काटना शुरू किया । हाहाकार मच गया । रानी ने कहा कि आप लोग किले से बाहर निकल जायें । मैं इसी में गोला बारूद को ढेर लगाकर उसी में जल मरूँगी । मेरे कारण प्रजा को कस्त हो रहा है यह उचित नहीं । लेकिन उसी वृद्ध सरदार के समझाने पर रानी विशिस्ट सैनिकों और सरदारों के साथ रात्रि में अंग्रेजों का घेरा तोड़कर किले से बाहर निकल गयीं । वे कालपी की ओर बढ़ चलीं ।
कलपी में तीन दिन लड़ाई चली । सब जगह अंग्रेजों की जीत के कारण धीरे - धीरे गदर वाले निराश होने लगें । अनुभवी सैनिक की कमी हो गयीं । अतः नये सैनिक भरती किये गये लेकिन वे बेकार थे । उलटे वे लड़ने के बदले जनता को लूटने लगे । वहाँ जब अंग्रेजों का कब्जा हो गया तो रानी ग्वालियर चली आयीं । वहाँ सैनिकों ने दीवार और शीन्दे की बात मानकर रानी स्वंय गयीं लेकिन सब कुछ ठीक रहा । वहा अठारह दिनों तक रहीं । अठारहवें दिन अंग्रेजी फौज ने मुरार पर हमला कर दिया । मुरार में घमासान युद्ध हुआ । यहीं रानी साहिबा को गोली लगी । लेकिन वे लड़ती रहीं । तबतक किसी शत्रु सैनिक की तलवार का करारा वार उनकी जाँघ पर लगा । वे गिरने लगीं । लेकिन तात्या टोपे ने तुरंत सम्भाल कर घोड़ा बढ़ा दिया । आगे ले जाकर उनकी मृत देह को एक जगह रखकर दाह संस्कार किया गया । अंग्रेजों की जीत हुई । गदर विफल हो गया । आजादी का युद्ध लड़ती यह वीरश्री निस्तेज हो गयी । खूब लड़ी मर्दानी वह थी झाँसी वाली रानी । आज हम यही कहकर संतोश करते है - जाओ रानी याद रखेंगे हम कृतज्ञ भारतवासी ।
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Bihar board class 11 Hindi book solution chapter - 3 Objective (वस्तुनिष्ठ प्रश्नोत्तर )
(i) किस स्थान के युद्ध में रानी वीर गति को प्राप्त हुई ?
उत्तर-मुरार
(ii) रानी ने लेखक को कहाँ मिलने के लिए कहा ?
उत्तर- कालपी में गोदाम पर
(11) तात्या टोपे कौन था ?
उत्तर-रानी का सहयोगी
(iv) रानी ने युद्ध में किसके वेश में थीं ?
उत्तर-पुरुष वश में)
(v) लड़ाई के क्रम में समय-समय पर रानी को कौन सलाह देता था ?
उत्तर- वृद्ध सरदार)
(vi) झाँसी पर अंग्रेजों ने किस महीने में आक्रमण किया ?
उत्तर- वैशाख)
(vii) आँखों देखा गदर किस मराठी रचना का अनुवाद है?
उत्तर- माझा प्रवास)
(viii) आँखों देखा गदर किसके द्वारा किया गया अनुवाद है।
उत्तर- अमृतलाल नागर)
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Bihar board class 11 Hindi book solution chapter - 3 Very Short Quetion (अतिलघुउत्तरीय प्रश्नोत्तर )
प्रश्न-1. वृद्ध सरदार ने रानी को क्या कहा ?
उत्तर-वृद्ध सरदार ने रानी से कहा कि आत्महत्या पाप है। दु:ख में धैर्य धारण कर गंभीरतापूर्वक उससे बचने का उपाय सोचना चाहिए।
प्रश्न-2. नगर में अंग्रेजों के प्रवेश कर जाने पर रानी ने क्या कहा ?
उत्तर- प्रजा पर होते अनाचार से पीड़ित होकर अपने को पातकी मानते हुए रानी ने कहा-मैं महल में गोला-बारूद भरकर इसी में आग लगाकर मर जाऊँगी। शेष लोग रातें होते ही किला छोड़कर चले जायें और प्राण बचाने का उपाय करें।
प्रश्न-3. युद्ध-काल में रानी किस वेश में थीं ?
उत्तर- युद्ध-काल में रानी पाजामा, स्टाकिन बूट वगैरह पहने पुरुष वेश धारण किये हुए थी तथा जिरह बख्तर से लैस थीं।
प्रश्न-4. रानी साहिबा ने कालपी के मार्ग में कुएँ पर लेखक को क्या कहा?
उत्तर- रानी ने कहा-आप विद्वान हैं। अतः मेरे लिए पानी न खींचे। मैं ही खींच लेती हूँ।
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Bihar board class 11 Hindi book solution chapter - 3 Short Quetion (लघुउत्तरीय प्रश्नोत्तर )
प्रश्न-1. अंग्रेजों को किले को समझने में कितने दिन लगे ? फिर उन्होंने क्या किया?
उत्तर- अंग्रेजों को किले को समझने में तीन दिन लगे। इसके बाद उन लोगों ने रात होने पर सब ठिकाने साधकर साधारण मोर्चे बाँधे और चार घड़ी रात रहे किले के पश्चिमी बाजू पर दक्षिण तरफ की तोपों से हमला किया।
प्रश्न-2. लक्ष्मीबाई को पहली बार निराशा कब हुई ?
उत्तर- अंग्रेजों को जब किले पर आक्रमण करने का कमजोर पहलू ज्ञात हो गया तब वे शहर पर हमला करने लगे। इसी अवसर पर उन्हें पहली बार निराशा की अनुभूति हुई।
प्रश्न-3. शहर में गोले पड़ने से आम जनता को क्या-क्या कष्ट होने लगे ?
उत्तर- शहर पर हमला होने पर जनता भयभीत हो उठी। गोलों के फटने से दस बीस घायल होते तो पाँच-सात भारे भी जाते। जिस घर पर गोला गिरता वह जलकर भस्म हो जाता तथा आस-पास के घर क्षतिग्रस्त होकर गिर जाते। जहाँ तहाँ आग भी लग जाती। रोजगार-धंधा बन्द हो गया तथा लोग बाहर निकलने से घबराते थे।
प्रश्न-4. सातवें दिन सूर्यास्त के बाद क्या हुआ ? रात के समय तोपें क्यों चालू की गईं ?
उत्तर- सातवें दिन सूर्यास्त के बाद पश्चिमी मोर्चे की तोप बन्द हो गयी। शत्रुओं की तोपों ने मोर्चा तोड़ दिया। वहाँ कोई सैन्य टुकड़ी टिक नहीं पाती थी। तब रात में कुशल कारीगरों को चढ़ाकर चुपके-चुपके क्षतिग्रस्त अंश की मरम्मत कर दी गयी। फिर मोर्चा बाँधकर तोपें चालू कर दी गयीं। अंग्रेजों को इसका पता तक न चला। वे गाफिल थे। अतः उनकी भारी क्षति हुई।
प्रश्न-5. सिपाहियों को जब लगा कि झाँसी अंग्रेजों के हाथ लग जाएगी तो उन्होंने क्या किया?
उत्तर-सिपाहियों को जब लगा कि झाँसी अंग्रेजों के हाथ लग जायेगी तो वे हमलोगों के प्रति दया नहीं दिखावेंगे। ऐसी स्थिति में उनकी जान नहीं बचेगी। अत: वे निराश होने के बदले दूने उत्साह से किले की मरम्मत, रक्षा और अंग्रेजों पर आक्रमण करने में जुट गये।
प्रश्न-6. बाई साहब ने सरदारों से क्या कहा ? बाई साहब के कहने का सरदारों पर क्या असर पड़ा?
उत्तर- बाई साहब ने सरदारों से कहा कि “आज झाँसी लड़ी तो कुछ पेशवा के बल पर नहीं और आगे भी उसे किसी की मदद की जरूरत नहीं।" इसके उत्तर में सभी सरदार एकजुट बाई साहब के साथ परकोटे की दीवारों पर फिर से मेहनत करने लगे।
प्रश्न-7. दसवें दिन की लड़ाई का क्या महत्त्व था ? दसवें दिन की लड़ाई का वर्णन संक्षेप में करें।
उत्तर-दसवें दिन के युद्ध के विषय में झाँसी के लोगों का दृष्टिकोण था कि आज की लड़ाई से ही झाँसी के भाग्य का निर्णय होगा। अर्थात् जीत का मतलब है आजादी और हार का मतलब है झाँसी पर अंग्रेजों का अधिकार। इस निर्णायक युद्ध में दोनों ओर के सिपाही जान हथेली पर लेकर लड़ने लगे। यह आमने-सामने की लड़ाई थी। विगुल आदि बाजों और तोपों बन्दूकों की आवाओं से हवा में धुंध-सी छा गयी। किन्तु तात्या टोपे की अदूरदर्शिता या रणकौशल की कमी के कारण सेना टूटने लगी। सिपाही भाग खड़े हुए। अंग्रेजों ने भागनेवालों को निशाना साधकर तोपें दागना शुरू किया। अन्ततः तात्या टोपे भाग निकला और अंग्रेजों की जीत हो गयी। झाँसी में हाहाकार मच गया।
प्रश्न-8. भेदिए ने लक्ष्मीबाई को आकर क्या खबर दी ? लक्ष्मीबाई पर इस खबर का क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर- भेदिए ने आकर खबर दी कि अंग्रेजों का गोला बारूद समाप्त होने की स्थिति में है। कल पहर भर लड़ाई जारी रही तो वे पीछे हट जाने को विवश होंगे। उनका लश्कर उठ जायगा। यह सुनकर लक्ष्मीबाई अत्यन्त प्रसन्न हुई। उनका चेहरा और भी दमकने लगा तथा हिम्मत दुगुनी हो गयी।
प्रश्न-9. विलायती बहादुर कौन थे ? पाठ में वर्णित उनकी भूमिका का वर्णन कीजिए।
उत्तर-विलायती बहादुर अरब के मुसलमान थे। ये लोग बहुत दिनों से रानी लक्ष्मीबाई के यहाँ नौकर थे। ये लगभग पन्द्रह सौ की संख्या में थे और वीर लड़ाके थे। इन लोगों ने ऐसी मार मचाई कि गोरे सैनिक भाग खड़े हुए। सैकड़ों गोरे मारे गये। जो बचे वे इधर-उधर भागकर छिपने और गोलियां चलाने लगे।
प्रश्न-10. लक्ष्मीबाई को वृद्ध सरदार ने किन-किन अवसरों पर सलाह दी ? इसके क्या परिणाम हुए ?
उत्तर- रानी लक्ष्मीबाई को वृद्ध सरदार ने दो बार सलाह दी। पहली बार विलायती सैनिकों के साथ आगे जाकर गोली खाने से मना किया और कहा कि किले के भीतर चलकर दरवाजा बन्द कर लें और कोई उपाय सोचें। हमें समय को लौटाना है अर्थात् हार को जीत में बदलना है। रानी साहिबा ने उक्त वृद्ध सरदार की बात मान ली। क्योंकि मरना समस्या का समाधान नहीं था। जीवित रहकर जीतने की युक्ति सोचनी थी। दूसरे अवसर पर जब अंग्रेज लूटपाट करने लगे तो प्रजा की हालत देखकर रानी ने किले में आग लगाकर आत्महत्या करने की बात कही, तो फिर इसी सरदार ने उन्हें दुःख में धैर्य धारण कर कोई उपाय सोचने के लिए कहा। उसकी राय थी कि रात में तैयारी करके किले से बाहर निकल चला जाय और पेशवा से मिला जाय। यदि इस क्रम में मौत हो गयी तो कोई बात नहीं। आत्महत्या कर पाप का भागी बनने से बेहतर है कि लड़ते हुए स्वर्ग जीता जाय। इस सलाह से रानी को धैर्य मिला और उन्होंने उसी ढंग से लड़ने का कार्य किया।
प्रश्न-11. शहर की दीवार पर चढ़ने के लिए अंग्रेजों ने कौन-सी युक्ति सोची ?
उत्तर-शहर की दीवार पर चढ़ने के लिए गोरों ने घास के गट्ठरों का उपयोग किया। आगे आगे हजारों मजदूर घास का गट्ठर लिए थे और पीछे गोरे सैनिक थे। घास के गट्ठरों को एक एक रखकर सीढ़ी की तरह बना दिया गया और उसी के सहारे गोरे दीवार पर चढ़ गये।
प्रश्न-12. गोरे लोग झाँसी शहर में घुसकर क्या करने लगे ? अपने प्राण बचाने के लिए लोगों ने क्या किया ?
उत्तर-नगर में प्रवेश करने के बाद गोरों ने जो सामने पड़ा सबको मौत के घाट उतार दिया। शहर के एक भाग में आग लगा दी, फिर लोगों के घरों में घुसकर लोगों की हत्या करने और सोना चाँदी लूटने लगे। जिन्होंने माल असबाब गोरे सैनिकों के हवाले नहीं किया उन्हें यमलोक भेज दिया। लोग अपने प्राण बचाने के लिए इधर-उधर भागने और छिपने लगे। कुछ लोग तहखानों में छिपे तो कुछ लोग स्त्री वेश धारण करने लगे। जिनसे धन मांगा उन लोगों ने धन देकर प्राण रक्षा की। निष्कर्षतः जिसे जो युक्ति समझ में आयी उसने वही किया।
प्रश्न-13. "मैं महल में गोला-बारूद भर कर इसी में आग लगाकर मर जाऊँगी, लोग रात होते ही किले को छोड़कर चले जाएँ और अपने प्राणों की रक्षा के लिए उपाय करें।" लक्ष्मीबाई ने ऐसा क्यों कहा ? इस कथन से उनके व्यक्तित्व का कौन-सा पहलू उभरता है ? अपने शब्दों में लिखें।
उत्तर- अंग्रेजों का अत्याचार और आतंक प्रजा भुगत रही है और मैं उनकी रानी होकर भी रक्षा नहीं कर पा रही हूँ। इस बात से उनका हृदय दुःख और करुणा से भर उठा। वे अपने को इस संग्राम का उत्तरदायी मानने के कारण उन्हें लगने लगा कि मैं महापातकी हूँ। मेरे पाप का दण्ड प्रजा भुगत रही है। इसी करुण, दुख और पाप-बोध के कारण उनके मन में आत्महत्या का विचार आया। इस तथ्य से उनके व्यक्तित्व का कोमल पक्ष उभरता है और बतलाता है कि वे केवल वीर महिला नहीं थीं अपितु प्रजा के प्रति ममता रखनेवाली रानी भी थीं।
प्रश्न-14. “यहाँ आत्महत्या करके पाप-संचय करने की अपेक्षा युद्ध में स्वर्ग जीतना उत्तम है।" वृद्ध सरदार के इस कथन का लक्ष्मीबाई पर क्या प्रभाव पड़ा ?
उत्तर- वृद्ध सरदार के कथन से रानी साहिब के मन को धैर्य मिला। वे स्वस्थ अनुभव करने लगीं। आत्महत्या का विचार त्याग दिया तदनुसार तैयारी कर रात में किले से निकल गयीं।
प्रश्न-15. “आप विद्वान हैं। अत: मेरे लिए पानी न खींचे।" लक्ष्मीबाई के इस कथन से उनके व्यक्तित्व का कौन-सा पहलू उभरता है ?
उत्तर-लक्ष्मीबाई के कथन से दो बातें प्रकट होती हैं। प्रथम यह कि वे विद्वानों का सम्मान करती थीं। दूसरे रानी होने पर भी उनमें अहंकार नहीं था। वे विषम परिस्थिति में भी शील और शिष्टाचार का ध्यान रखनेवाली रानी थीं।
प्रश्न-16. कालपी की लड़ाई का वर्णन लेखक ने किस तरह किया है ? कालपी के युद्ध के तीसरे दिन सिपाहियों ने क्या किया ?
उत्तर-कालपी में तीन दिन लड़ाई चली, मगर लड़ाई टिकी नहीं। हर जगह से गॅदर वालों की पराजय सुनकर अनुभवी सैनिक प्राणभय से चले गये। जो नये सैनिक भर्ती हुए उन्हें युद्ध कला का ज्ञान नहीं था। इतना ही नहीं नये सैनिकों के नाम पर लुच्चे-लुटेरे भर्ती हो गये और लड़ने के बदले लूटपाट करने लगे। जब गोरी फौज कालपी में दाखिल हुई तो ये सब भाग खड़े हुए। सैकड़ों लोग मारे गये। रानी साहिबा, तात्याटोपे और राव साहब जंगलों में निकल गये।
प्रश्न-17. लक्ष्मीबाई की मृत्यु किस तरह हुई ? उनकी वीरता का वर्णन अपने शब्दों में करें।
उत्तर-रानी साहिबा ग्वालियर में थीं राव साहब के साथ। अंग्रेजों ने मुरार पर आक्रमण कर दिया आगरे से आकर। मुरार में पहले से सेना तैनात थी, राव साहब तात्या टोपे और रानी साहिबा तीनों फौज लेकर मुरार की तरफ बढे, मुरार में घमासान युद्ध हुआ। वहीं रानी लक्ष्मीबाई को गोली लगी। मगर वे लड़ती रहीं। इसी समय किसी सैनिक की तलवार का भरपूर वार उनकी जाँघ पर पड़ा। वे घोड़े से गिरने लगीं। मगर तात्या टोपे ने उन्हें सम्भाल कर घोड़ा आगे बढ़ा दिया। फिर एक सुरक्षित जगह लाकर उनका दाह संस्कार किया। अंग्रेज जीत गये। गदर वाले लोग बिखर कर भाग खड़े हुए।
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Bihar board class 11 Hindi book solution chapter - 3 ( व्याख्या )
(1) परन्तु निराशा की शक्ति भी कुछ विलक्षण ही होती है।
प्रस्तुत पंक्तियाँ ‘आँखों देखा गदर' पाठ से उद्धृत हैं। इसके लेखक बरसईकर हैं। उन्होंने इस पंक्ति में अंग्रेजों की गोलावारी से आक्रान्त झाँसी की दशा का वर्णन किया है। तात्या टोपे की पराजय के बाद झाँसी के सैनिकों को लगने लगा कि झाँसी उनके हाथ से चली जायेगी, इसके साथ उन्हें यह भी लगा कि इसके बाद अंग्रेज उनके साथ बेरहमी से पेश आयेंगे। तनिक भी दया नहीं दिखायेंगे। इस विचार से वे उत्साह से जान की बाजी लगाकर लड़ने लगे। इस तरह पराजय की निराशा से उनकी वीरता धधक उठी। इसी तथ्य को लक्षित कर लेखक ने लिखा है कि निराशा की शक्ति विलक्षण होती है। वह आदमी को कुठित करने के बदले दूने जोश से भर देती है।
(2) भेड़िए जब भेड़ों के झुंड पर झपटते हैं, तब भेड़ों के प्राणों की जो दशा होती है, वही इस समय लोगों की थी।
प्रस्तुत पंक्ति ‘आँखों देखा गदर' पाठ से गृहीत है। अंग्रेजों ने लगातार आक्रमण कर झाँसी नगर की दीवार को ढाह दिया और नगर में प्रवेश कर गये। उस समय अंग्रेज सैनिकों के भय और आतंक से नगर की जनता उसी तरह भागने लगी जिस तरह से भेड़िये द्वारा आक्रमण ! २५ जाने पर भडें भागती हैं। उन्हें कुछ नहीं सूझता है वे केवल भागती हैं और प्राण बचाना चाहती हैं। पलटकर आक्रमण करने की क्षमता उनमें नहीं होती। यही दशा जनता की थी। सब भाग रहे । प्राणरक्षा के सिवा उनके सामने कोई लक्ष्य न था।
(3) आत्महत्या करना पाप है।
प्रस्तुत पंक्तियाँ ‘आँखों देखा गदर' पाठ से गृहीत हैं। जब अंग्रेज शहर की दीवार तोड़कर झाँसी नगर में घुस आये तब जनता भेड़ों की तरह भागने लगी। अंग्रेज बेरहमी से लूटने और कत्ल करने लगे। रानी लक्ष्मीबाई ने किले की छत पर जाकर शहर देखने लगीं। यह दृश्य उन्हें विचलित कर गया। वे रोने लगी और इस कत्लेआम के लिए अपने को दोषी मानकर किले में आग लगाकर मर जाने के लिए उद्यत हुईं। इसी पर वृद्ध सरदार ने समझाया कि आत्महत्या पाप है। इसमें समस्या का समाधान नहीं होगा। उल्टे जनता का मनोबल टूटेगा। अत: आप वीर हैं आपका आत्महत्या की बात नहीं सोचनी चाहिए। आप धैर्य धारण कर गंभीरतापूर्वक सोचिए और इस संकट से मुक्ति का उपाय सोचिए। वृद्ध सरदार के इस कथन में उनका अनुभव बोलता है। यह बतलाता है कि काया और कमजोर लोग संकट पड़ने पर आत्मसमर्पण कर देते हैं जबकि वीर साहसपूर्वक इससे निपटन का उपाय करते हैं।
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Bihar board class 11 Hindi book solution chapter - 3 Hindi Grammar (भाषा की बात )
प्रश्न-1. निम्नलिखित वाक्यों से विशेषण चुनें
(i) दूरबीन से बेचूक निशाना साधकर तोप में पलीता लगाया और तीसरे धमाके में ही अंग्रेजों के उत्तम गोलंदाज को ठंडा कर दिया।
(ii) ये लाल भड़के गोले रात्रि के अंधकार में गेंद की तरह इधर-उधर आसमान में उड़ते हुए बड़े विचित्र लगते थे।
(iii) उस दिन महलों पर ही अंग्रेजी तोपों की शनि दृष्टि थी।
(iv) बहुत से पुराने तजुर्बेकार पल्टनी लोग अपने प्राणों के भय से पल्टनें छोड़कर चले गए थे।
(v) राव साहब ने कहा कि शत्रु का शहर है, महलों में बड़े धोखे होंगे।
(vi) इस तरह बड़ी राजी-खुशी से श्रीमंत राव साहब ने वहाँ अठारह दिन बिताए।
(vii) शहर का प्रबंध बहुत अच्छा कर रखा था।
(viii) कारीगर भी बड़े ही चतुर और काम में निपुण थे।
उत्तर-
(i) बेचूक, तीसरे, उत्तम, ठंढा
(ii) लाल, बड़े
(iii) शनि
(iv) पुराने, तजुर्वेकार, बहुत
(v) बड़े
(vi) बड़ी, अठारह
(vii) बहुत, अच्छा
(viii) बड़े चतुर, निपुण।
प्रश्न-2. निम्नलिखित शब्दों से वाक्य बनाएँ
हलचल, हौलदिली, नाकाबंदी, जर्जर, बुर्ज, भाग्य, दूरबीन, मंजिल, भिक्षुक, किला, धूल
उत्तर-
- हलचल-हलचल मच गयी।
- हौलदिली-सब लोग हौलदिली से बेचैन थे।
- नाकाबंदी-अंग्रेजों ने किले की नाकाबंदी कर दी।
- जर्जर-गोलों के प्रहार से अनेक भवन जर्जर हो गये।
- बुर्ज-बुर्ज पर रखी तो आग उगलने लगीं।
- भाग्य-पता नहीं मेरे भाग्य क्या लिखा है।
- दूरबीन रानी दूरबीन से युद्ध देख रही थीं।
- मंजिल हम दोनों की मंजिल एक है।
- भिक्षुक एक भिक्षुक दरवाजे पर खड़ा है।
- किला-रानी ने किला छोड़ दिया।
- धूल-घोड़ों की टाप से धूल उड़ने लगी।
प्रश्न-4. 'सारी हकीकत सुनकर सबके पेट में पानी हो गया और हमारे प्राण भीतर ही भीतर घुटने लगे।' यहाँ ‘पेट में पानी होना' और 'प्राण घुटना' का क्या अर्थ है ? इन मुहावरों के प्रयोग के बिना इस वाक्य को इस तरह लिखें कि अर्थ परिवर्तित न हो।
उत्तर-पेट में पानी होना-भयभीत होना प्राण घुटना-मरने की स्थिति का अनुभव करना। सारी हकीकत सुनकर सब भयभीत हो गये और प्राण-भय से बेचैनी अनुभव करने लगे।
प्रश्न-5. 'सर कर लिया' मुहावरा का क्या अर्थ है ? पाठ से अलग वाक्य में प्रयोग
उत्तर-सर कर लिया-जीत लिया। अंग्रेजों ने अन्ततः क्रान्तिकारियों को सर कर लिया।
प्रश्न-6. 'सींग समाना' का क्या अर्थ है ? वाक्य में प्रयोग करें।
उत्तर-सींग समाना- लोग इस अचानक आक्रमण से घबरा गये और जिधर जिसका सींग समाया भाग चले।
प्रश्न-7. इस पाठ में प्रयुक्त मुहावरों का सावधानी के साथ चयन करें और पाठ के आधार पर उनका अर्थ स्पष्ट करें।
उत्तर-
- भूत लोटना-भयप्रद सन्नाटा होना।
- रंग फी का देखना-प्रभाव समाप्त अनुभव करना।
- मौका समझ जाना—कमजोर के गोपनीय तथ्य जान लेना
- दूना होना-बढ़ जाना
- शनि दृष्टि-वक्र-सी घातक दृष्टि
- आव उतरना-श्रीहीन होना।
- अकल गुम होना--किंकर्तव्यविमूढ़ होना।
- समय को लौटाना-संकट से उबरना।
- तलवार के पार उतारना-मार डालना
- हृदय भर आना-भावुक हो आना।
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