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Class 11 Hindi Book Solution
Bihar board class 11 Hindi book solution padyakhand chapter - 9 Saransh , (सरांश )
कक्षा - 11वी पद्खंड अध्याय - 9
गालिब–त्रिलोचन
लेखक : त्रिलोचन
त्रिलोचन का पूरा नाम है - वासुदेव सिंह त्रिलोचन | वे प्रगतिवादी चेतना के कवि हैं। नूतन भाव, नूतन भाषा और नूतन अभिव्यक्ति उनकी विशेषता है। उन्होंने कविता को जनता की जुबान दी है। इस कविता में उन्होंने उर्दू के प्रसिद्ध शायर गालिब को आलम्बन बनाया है। उनका मानना है कि भाव, विचार तथा भाषा की सहजता की दृष्टि से गालिब हिन्दी के आधुनिक कवियों के समीप बैठे अनुभव होते हैं। इसलिए वे कहते हैं मात्र मुसलमान होने और उर्दू भाषा का कवि होने के कारण गालिब को पराया नहीं कहा जा सकता। धर्म और भाषा बाहरी चीज है। भीतरी बात है चिन्तन, जन चेतना और जीवन-मूल्य | इस दृष्टि से विचार करने पर गालिब अपनों से भी अधिक अपने लगते हैं। अपनों से कवि का तात्पर्य हिन्दुओं और हिन्दी कवियों से है। कवि के अनुसार गालिब की बोली अर्थात् उनकी शायरी का कथ्य ही हमारी आज की कविता का कथ्य है। हमारी कविता की नयी पीढ़ी के कवियों की आँखों में जो सपने हैं अर्थात् वे जैसा काव्य-संसार और समान रचना चाहते हैं, उनमें जैसी नवीनता है पुरानेपन को ध्वस्त करने की आग है वही नवीन और आधुनिकता गालिब की रचनाओं में है। त्रिलोचन के अनुसार गालिब ने अपनी रचनाओं के माध्यम से जीवन की जटिल गाँठों को खोला है। उनकी उक्तियों में हलकापन नहीं है। उन रचनाओं में ऊपरी तौर पर जो लोग हलकापन अनुभव करते हैं वे गालिब को नहीं समझते। वस्तुतः गालिब ने सुख की आँखों से दुःख को देखा है और दुःख की गंभीरता को झटक कर दूर भगाने के लिए उससे ठिठोली की है। दुःख का परिहास कर अपने मन को बहलाया है। कवि के अनुसार गालिब निर्धन थे, धन-धाम रहित थे। वे दुनिया से कोई वास्ता भी नहीं रखते थे। लेकिन अपनी अनुभवी दृष्टि से संसार की हर गतिविधि को तोलते समझते रहते थे। इसलिए वे जब भी मुँह खोलते थे अर्थात् शायरी करते थे तब वे सच ही लिखते थे। उन्होंने जोत कर दुनिया छोड़ी अर्थात् उनकी शायरी दुनिया की परम्परित अनजोती जीवन-दृष्टि को जोतती रही अर्थात् उलटती-पलटती रही, ऊसर को उर्वर बनाने के लिए प्रयत्नशील रही ।
सारांशतः वे सही अर्थों में कवि थे। कवि जिसे 'मनीषी परिभूस्वयंभू' कहा गया है। उन्होंने अक्षर की महिमा को उजागर किया और अक्षर अर्थात् अनाशवान कविता लिखकर अमरत्व प्राप्त किया। कवि की दृष्टि में वे एक अमर शायर हैं जिनकी कविता का प्रभाव समय के साथ धूमिल नहीं होता बल्कि और चमकता है। त्रिलोचन जी की यह कविता काव्यत्व की दृष्टि से भी महत्त्वपूर्ण है। इसमें कवि ने नये मुहावरे गढ़कर काव्य-भाषा में नयापन लाने का प्रयास किया है। जैसे नवीन आँखें, जीवन की जटिल गाँठ, आप तुली, सुख की आँख से दुःख देखना, दुनिया जोतना, साँस साँस पर तोलना, अक्षर में अक्षर की महिमा जोड़ना। इन प्रयोगों में भाषा की लाक्षणिक शक्ति का चमत्कार स्पष्ट काव्य-रूप की दृष्टि से त्रिलोचन की यह रचना चतुर्दशपदी है। यह अंग्रेजी काव्य-रूप है जिसे सॉनेट कहा जाता है। त्रिलोचन ने सॉनेट रूप को सिद्ध किया है और वे अपने सॉनेटों के लिए अलग से स्मरणीय हैं।
समग्रतः यह रचना इस बात पर बल देती है कि कवि चाहे किसी भाषा में लिखे, किसी मजहब का हो, यदि वह मनुष्यता के लिए लिखता है, सच लिखता है, जनता की भाषा में बोलता है तो वह देश - काल से मुक्त और सर्वजनप्रिय होता है। उसकी कविता की चमक कभी कम नहीं होती है। कवि के अनुसार गालिब ऐसे ही कवि थे।
शब्दार्थ : अंटी = टेंट, जेब, धाम = घर, अक्षर वर्णमाला के वर्ण, जो क्षर न हो अर्थात् = अनाशवान।
Class 11 Hindi Book Solution
Bihar board class 11 Hindi book solution padyakhand chapter - 9 Objective (स्तुनिष्ठ प्रश्नोत्तर )
(1) गालिब कौन थे ?
(क) मुसलमान संत
(ग) शायर
(ख) बादशाह
(घ) योद्धा
उत्तर – ग |
(2) गालिब किस भाषा के शायर थे ?
(क) हिन्दी
(ख) उर्दू
(ग) फारसी
(घ) अरबी
उत्तर – ख |
(3) गालिब ने क्या खोली थी ?
(क) दुकान
(ख) जीवन की गाँठ
(ग) कमीज
(घ) विद्यालय
उत्तर – ख |
(iv) गालिब की अंटी में क्या नहीं था ?
(क) दाम
(ख) खैनी
(ग) कलम
(घ) किताब
उत्तर – क |
(v) गालिब क्या बोलते थे ?
(क) सत्य
(ख) असत्य
(ग) चापलूसी भरी बात
(घ) राजनीति की बात
उत्तर – क |
(vi) गालिब ने जोत कर क्या छोड़ी ?
(क) मिथिलांचल
(ग) भागलपुर
(ख) दुनिया
(घ) पटना
उत्तर – ख |
Class 11 Hindi Book Solution
Bihar board class 11 Hindi book solution padyakhand chapter - 9 Very Short Quetion (अतिलघुउत्तरीय प्रश्नोत्तर )
(1) गालिब गैर क्यों नहीं लगते हैं ?
उत्तर – गालिब दो कारणों से गैर नहीं लगते हैं। प्रथम उनकी भाषा हमारी आज की भाषा की तरह आधुनिक है। द्वितीय, उनके सपने वे ही हैं जो आज की नयी पीढ़ी के नये सपने हैं।
(2) गालिब द्वारा 'दुनिया जोतने' से कवि का क्या तात्पर्य है ?
उत्तर – दुनिया जोतने से कवि का तात्पर्य यह है कि गालिब की रचनाओं में जीवन के विभिन्न क्षेत्रों के यथार्थ अनुभवों का भंडार है।
(3) गालिब ने जब भी मुँह खोला सत्य कहा का तात्पर्य क्या है ?
उत्तर – गालिब ने अपनी रचनाओं में जो भी लिखा है वे सभी बिना किसी लाग लपेट के सत्य की तल्ख अभिव्यक्ति हैं।
(4) नवीन आँखों के नवीन सपने का क्या तात्पर्य है ?
उत्तर – कवि का तात्पर्य है कि गालिब ने जो कुछ लिखा है वह आज की नयी पीढ़ी की भावनाओं से पूर्णत: मेल खाता है।
(5) सुख की आँखों से दुःख देखा और ठिठोली की – इसका क्या अभिप्राय
उत्तर – गालिब गरीबी के बीच रहकर भी मस्त जीवन जीते रहे। दुःखों की कभी परवाह नहीं की।
Class 11 Hindi Book Solution
Bihar board class 11 Hindi book solution Padyakhand chapter - 9 Short Quetion (लघुउत्तरीय प्रश्नोत्तर )
प्रश्न - 1. 'गालिब गैर नहीं है, अपनों से अपने हैं' के द्वारा कवि ने क्या कहना चाहा है ॽ
उत्तर- गालिब को धराया न मानकर अपनों से अपना मानने का दो अभिप्राय ज्ञात होता है, प्रथम यह कि गालिब की भाषा ऐसी सामान्य बोलचाल की भाषा है जो हिन्दी भाषियों की समझ के समीप है। दूसरे, गालिब जीवन की जिन परिस्थितियों और संवेदनाओं को, विचारों और व्यापारों को काव्य का विषय बनाते हैं वे भारत के आम आदमी की जिन्दगी से जुड़े है किसी खास जाति या धर्म से नहीं, अतः उनको पढ़ते हुए लगता है कि वे हिन्दी-उर्दू की गंगा जमुनी संस्कृति के कवि हैं। इसलिए कवि उन्हें अपनों से अपना मानता है।
प्रश्न - 2. 'नवीन आँखों में जो नवीन सपने हैं' से कवि का क्या आशय है ?
उत्तरनवीन आँखों से कवि का अभिप्राय नयी पीढ़ी के रचनाकारों से है तथा नवीन सपनों से तात्पर्य इन नवीन रचनाकारों के काव्य के कथ्य, चिन्तन तथा कथन प्रणाली से है। इस तरह इसका आशय नयी पीढ़ी की रचना दृष्टि से है।
प्रश्न - 3. 'सुख की आँखों ने दुःख देखा और ठिठोली की' में किन दुःखों की ओर संकेत है ?
उत्तर गालिब के आरंभिक जीवन सुख से बीते जबकि परवर्ती जीवन दुख में बीते। अतः उनके सुखी जीवन को दुखों की चुनौती झेलनी पड़ी। ठिठोली करने से तात्पर्य है कि गालिब ने दुखों को सहा जरूर लेकिन उन्हें गंभीरता से नहीं लिया। वे उसे अपने परिहासों और व्यंग्यों से उड़ाते रहे।
प्रश्न - 4. गालिब ने अक्षर की महिमा किस तरह जोड़ी ?
उत्तर - अक्षर शब्द का दो अर्थ होता है। प्रथम जो क्षर अर्थात नाशवान नहीं है। द्वितीय अक्षर अर्थात् वर्ण जिनके योग तथा अर्थ के समाहार से कविता बनती है। इस तरह अक्षर से अक्षर की महिमा जोड़ी का अर्थ होगा कविता को अक्षर बनाकर उसे महिमा मंडित किया।
प्रश्न - 6. इस कविता के आधार पर गालिब के व्यक्तित्व की कौन कौन सी विशेषताएँ उभरकर सामने आती हैं ?
उत्तर- इस कविता से गालिब की निम्न विशेषताएँ उभर कर सामने आती हैं।
- (क) गालिब अपनी रचना दृष्टि की नवीनता के कारण नयी पीढ़ी के कवियों के लिए प्रेरक हैं।
- (ख) गालिब नपी तुली बात कहते थे। उनकी बातें बोलती थीं। अर्थात् उनकी कविता में ताकत है।
- (ग) गालिब ने सुख-दुख दोनों देखें परवर्ती काल में निर्धनता झेली मगर दुख को अपनी जिन्दादिली से अपने ऊपर हावी नहीं होने दिया।
- (घ) वे खरे सत्य के वक्ता थे। उनकी कविता में बनावटीपन नहीं था।
- (ङ) गालिब ने अक्षर को अक्षर बनाया। अर्थात् उनकी कविता अमर है।
प्रश्न - 7. 'गालिब होकर रहे' से कवि का क्या आशय है ?
उत्तर - गालिब शब्द में श्लेष है। एक अर्थ शायर गालिब है और दूसरा अर्थ जबरदस्त हैउन्होंने अपने नाम को सार्थक किया है। वे गालिब होकर रहे अर्थात् गालिबत्व यानी 'जबरदस्तशब्द को सार्थक किया।
सानेट के आस-पास
प्रश्न - 1. सानेट के विषय में जानकारी दें।
उत्तर - सानेट अंग्रेजी साहित्य का काव्यरूप है। हिन्दी में इसके लिए चतुर्दश पदी शब्द का प्रयोग होता है। इस काव्य रूप के विषय में निम्न बातें ध्यातव्य हैं।
- (i) इसमें चौदह पंक्तियाँ होती हैं, कम या अधिक नहीं।
- (ii) दो-दो पंक्तियों का युग्म या जोड़ा होता है जिसे कप्लेट ( Couplet) कहते हैं। ऐसे सात कप्लेट से एक सानेट बनता है।
- (iii) अंतिम कप्लेट में सानेट की विषयवस्तु से सम्बन्धित कोई महत्त्वपूर्ण तथ्य संदेश के रूप में प्रस्तुत किया जाता है।
प्रश्न - 4. शेर और गजल किसे कहते हैं ?
उत्तर- शेर और गज़ल दोनों उर्दू शायरी से सम्बन्धित काव्य रूप हैं। शेर में दो पंक्तियाँ होती हैं। इसका शाब्दिक अर्थ होता है एक लड़ी में पिरोना। गद्य को जब पद्य का रूप दिया जाता है तो वह बोर हो जाता है। इसमें दो चरण या पंक्तियाँ या मिसरे होते हैं। गजल - इसका अर्थ होता है प्रेमिका से बातचीत। यह ऐसा काव्य रूप है जिसमें पाँच से ग्यारह शेर अर्थात् दस से बाईस पंक्तियाँ होती हैं। कुछ लोग इसमें सात से चौदह मिसरे या पंक्तियाँ मानते हैं। इसमें हर शेर दूसरे से स्वतंत्र होता है। उसका मजमून या विषय अलग अलग होता है। दोनों पंक्तियों का एक प्रकार का तुक होता है। इसमें प्रेमिका के रूप, रंग, अदा तथा खूबियों का अधिकतर बढ़ा चढ़ा और प्रभावशाली वर्णन होता है।
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Bihar board class 11 Hindi book solution padyakhand chapter - 9 Hindi Grammar (भाषा की बात )
प्रश्न - 1. पाठ के आधार पर मुहावरों की सूची बनाएँ और उनका वाक्य में प्रयोग करें।
उत्तर–
- (क) अपनों से अपना (अधिक प्रिय ) – त्रिलोचन जी ने गालिब को अपनों से अपना माना है।
- (ख) अंटी में दाम (पास में पैसा होना) – जब अंटी में दाम न हो तो बाजार में रोब नहीं दिखाना चाहिए।
- (ग) गाँठ खोलना (रहस्य बतलाना ) – गालिब ने अपनी रचनाओं में जीवन की जटिल -गाँठों को खोलने का प्रयत्न किया है।
- (घ) ठिठोली करना ( परिहास करना, मजाक उड़ाना) – गालिब ने दुखों को गंभीरता से लेने के बदले उनसे ठिठोली की ताकि वे उन पर हावी न हो सकें।
- (ङ) गालिब होकर रहना ( का अर्थ होता है विजेता बनकर या जबर्दस्त बनकर या बलवान बनक रहना) – गालिब शब्द का शाब्दिक अर्थ है विजेता, बलवान, जबर्दस्त ।
उत्तर- महिमा, गरिमा, लघिमा, अणिमा, लालिमा, कालिमा, नीलिमा, भंगिमा
प्रश्न - 3. 'धन-धान' में कौन सा समास है ?
उत्तर- धन-धान का अन्वय होगा धन और धान (धान्य ) । अतः इसमें दोनों खंड प्रधान होने के कारण द्वन्द समास है।
प्रश्न - 4. 'सत्य बोलता था जब जब मुँह खोल रहे थे' में कर्ता कौन है ?
उत्तर- इस कथन में कर्त्ता गालिब है जो शब्द द्वारा कथित नहीं, अव्यक्त है।
प्रश्न - 5. 'बे' उपसर्ग लगाकर सात शब्द बनाएँ।
उत्तर- बेशक, बेसहारा, बेवाक, बेवजह, बेमानी, बेमेल, बेमतलब, बेइज्जती ।
प्रश्न - 6. 'अक्षर' शब्द के प्रयोग में श्लेष अलंकार है, कैसे ?
उत्तर - अक्षर शब्द का एक अर्थ है स्वर अथवा स्वर युक्त वयंजन जिससे शब्दों की रचना होती है। अक्षर शब्द को विभक्त करने पर रूप होता है अक्षर। अ का अर्थ हुआ नहीं और क्षर का अर्थ होता है नाशवान। इस तरह अक्षर का दूसरा अर्थ हुआ जो नाशवान नहीं है अर्थात् अनश्वर, अमर । इन दो अर्थों के कारण अक्षर शब्द में श्लेष अलंकार है, परिभाषा के अनुसार जहाँ श्लिष्ट (यानी अनेकार्थी) शब्दों के सहारे एक से अधिक अर्थों का कथन किया जाता है वहाँ श्लेष अलंकार होता है।
प्रश्न - 7. इस सॉनेट की सादगी और सरलता को आधार बनाकर त्रिलोचन की काव्य भाषा पर एक टिप्पणी कीजिए।
उत्तर - त्रिलोचन की भाषा की दो विशेषताएँ कही गयी हैं। प्रथम विशेषता है सरलता। इस दृष्टि से गालिब शीर्षक सानेट पर विचार करते हैं तो सामान्यतः हमें कोई ऐसा शब्द नहीं मिलता जिसका अर्थ जानने के लिए शब्दकोश की जरूरत हो । भाषा प्रयोग की दृष्टि से भी कहीं पदों की न्यूनता या व्याकरणिक उलझन नहीं मिलती। भाषा की दूसरी विशेषता कही गयी है चौड़ी गहरी नदी जैसी भाषा | चौड़ी इस अर्थ में है कि शब्दों को ग्रहण करने में तत्सम, तद्भव, देशज, विदेशी के प्रति कोई आग्रह या परहेज की प्रवृत्ति नहीं है। जो भी शब्द, जो भी मुहावरे, जो भी शब्द शक्ति, जो भी अलंकार कवि की बात को प्रेषित करें वे त्रिलोचन को ग्राह्य हैं। भाषा की गहराई का पता अर्थ व्यंजना से लगता है। अपनों से अपना, अंटी में दाम, ठिठोली करना, गाँठ खोलना आदि मुहावरों से सजी भाषा अर्थ की गहराई प्रमाणित करती है। इसी तरह नवीन आँखों में नवीन सपने, जटिल जीवन, सुख की आँखों ने दुख देखा। दुनिया से काम न था, मुँह खोलना, अक्षर में अक्षर की महिमा जोड़ना आदि प्रयोगों आयी है। कवि का अभिप्राय सरल भाषा के व्यंजक प्रयोगों द्वारा व्यक्त हुआ है। अतः त्रिलोचन की भाषा के विषय में यह टिप्पणी सर्वथा उपयुक्त है कि “उनकी भाषा में सादगी और सरलता दिखाई पड़ती है जो एक चौड़ी-गहरी नदी की तरह है।'
(8) गालिब का जीवन।
कवि त्रिलोचन के अनुसार गालिब गरीब थे। उनके पास घर नहीं था। उनकी जेब में पैसे नहीं थे। परिवार के नाम पर अपना कहने के लिए भी कोई नहीं था। उन्होंने सुख की आँखों से दुख को देखा था।
(9) गालिब का व्यक्तित्व |
त्रिलोचन के अनुसार गालिब का व्यक्तित्व दबंग था। वे वक्ता थे। वे दुःखों और कठिनाइयों से संघर्ष करते रहे। उन्हें दुनिया से कोई काम नहीं था लेकिन वे दुनिया को अपनी अनुभवी आँखों से सदा तौलते रहे। वे मनमौजी स्वभाव के मस्त व्यक्ति थे। उनकी आँखों में सदैव नये सपने पलते थे जिन्हें वे अपनी रचनाओं में व्यक्त करते थे।
(10) गालिब का कवि-कर्म ।
शायरी के क्षेत्र में गालिब सदा कुछ नया और दूसरे शायरों से कुछ अलग कहने के अग्रणी थे। उनकी रचनाओं में जीवन की जटिल गाँठें खोलने का प्रयत्न है। इसी कारण उनकी अभिव्यक्ति में हल्कापन नहीं है उनकी भाषा भी सहज और सम्प्रेषणीय है, इसलिए वह प्रभाव उत्पन्न करती है। वे जीवन के अनुभवों के कवि हैं। अतः उनकी रचनाओं में सत्य मुखर और बेलौस होकर बोलता है। दूसरे शब्दों में, वे सत्यम् के कवि हैं।
Class 11 Hindi Book Solution
Bihar board class 11 Hindi book solution Padyakhand chapter - 9 Hindi Grammar (व्यख्या )
(i) गालिब गैर नहीं.........................गालिब के सपने हैं।
'गालिब' शीर्षक सॉनेट की प्रस्तुत पंक्तियों में कवि त्रिलोचन कहना चाहते हैं कि मात्र भाषा और धर्म की भिन्नता के कारण गालिब को भिन्न नहीं माना जा सकता। वे हमारे समानधर्मा हैं। वे जिस प्रकार की भाषा में अपने भावों को व्यक्त करते हैं वही हमारी भी भाषा है। उनकी रचनाओं में जो व्यक्त हुआ है वही हमारी आज की नयी पीढ़ी के सपने हैं। यहाँ बोली का साधारण अर्थ नहीं है। यहाँ बोली से तात्पर्य कहने के ढंग और भाषा से है। सारांशतः कवि कहना चाहता है कि आधुनिक भाव - विचार का जो स्वरूप है वही गालिब में भी प्राप्त है। अतः वे हमारे समान धर्मा हैं, हमारे अपने हैं, अपने धर्म के लोगों और अपनी भाषा अर्थात् हिन्दी में लिखने वाले लोगों की तुलना में वे हमें ज्यादा अपने अनुभव होते हैं।
(ii) गालिब ने खोली गाँठ..............नाम नहीं था।
'गालिब' शीर्षक कविता की प्रस्तुत पंक्तियों में त्रिलोचन जी ने गालिब की कविताओं की विशेषता बतलाई है। उनके अनुसार गालिब की कविताओं में जीवन की जटिलता को अंकित करने और उसका रहस्य समझाने की चेष्टा है। उसमें कही गयी बात अर्थात् तथ्य और बोली अर्थात् कहने का ढंग और कहने के लिए अपनायी गई शैली दोनों तुली हुई है अर्थात् सटीक है। अर्थात् कथ्य को इस तरह तोलकर कहा गया है कि सीधे प्रभाव उत्पन्न करती है। उसमें ऊपरी तौर पर सरलता लगती है, लेकिन कथ्य और भाषा दोनों प्रभावशाली होने के कारण हलकापन नहीं है। अभिप्राय यह कि गालिब की कविता में बात वजनदार ढंग से कही गयी है।
(iii) सुख की आँखों ने दुख देखा............... धन-धान नहीं था।
प्रस्तुत पंक्तियों में गालिब के विषय में त्रिलोचन बताना चाहते हैं कि उन्होंने पहले सुख के दिन देखे। फिर दुर्दिन ने घेरा तो उन्हीं सुख देखने वाली आँखों से दुःख देखना पड़ा। तब लापरवाही और मस्ती के सहारे उन्होंने दुख के साथ ठिठोली की। इस तरह दुःख के साथ ठिठोली कर यानी उसे हल्केपन से लेकर हँसी-मजाक में उसके प्रभाव को नकार कर गालिब ने अपना जी बहलाया। उनके पास पैसे नहीं थे। दुनिया से कोई मतलब नहीं था लेकिन सतत् हर साँस वे संसार के लोगों, व्यवहारों को तौल रहे थे। उनके पास धन-धाम तो नहीं ही था अपना कहने के लिए भी कोई नहीं था। इसीलिए वे बेखौफ होकर सत्य को अपनी शायरी में अभिव्यक्त करते रहे। जब मुँह खोला अर्थात् जब कविता लिखी तो जीवन के सत्य को ही वाणी दी, न समझौता किया, न चापलूसी की। कवि के कहने का आशय यह है कि समय के प्रभाव और दुःखों की मार से गालिब विचलित नहीं हुए तथा सदा सच को वाणी दी।
(iv) गालिब हो कर रहे.................महिमा जोड़ी।
त्रिलोचन रचित 'गालिब' कविता प्रस्तुत पंक्तियाँ ली गयी हैं। यह उस सॉनेट की अंतिम पंक्तियाँ हैं जिनसे गालिब की कविता के प्रभाव को सूझ-रूप में उपस्थित किया गया है। प्रथम पंक्ति में कवि ने यह बताया है कि गालिब ने परिस्थितियों से जूझकर अपनी साहित्यिक पहचान बनायी और सारी दुनिया को जीतकर रख दिया। अर्थात् जीवन के विविध क्षेत्रों के जटिल और गंभीर तत्त्वों की व्याख्या अपने काव्य के माध्यम से की। अतः उनकी कविता जीवन के सच की व्याख्या है। दूसरी पंक्ति में यह कहा गया है कि वे कवि थे। कवि जो मनीषी होता है, द्रष्टा और स्रष्टा होता है। अक्षर जोड़ना अर्थात् कविता लिखना उनका कार्य था। उन्होंने इस अक्षर-कर्म के सहारे अक्षरत्व अर्थात् अमरत्व प्राप्त किया। कवि की दृष्टि में वे एक अनश्वर कवि हैं, उनकी कृतियाँ समय के साथ और चमकदार और प्रासंगिक होती गयी हैं। अतः अक्षर-साधना से उनको वह महिमा मिली है जो उन्हें अक्षर अर्थात् अनश्वर, अक्षर बनाती है।
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