Bihar board class 11th Hindi Solution गद्खंड chapter - 10 सूर्य

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Bihar board class 11 Hindi book solution  chapter - 10 Saransh , (सरांश  )

कक्षा - 11वी गद्यखंड अध्याय - 10  

                     सूर्य                            

लेखक :   ओदोलेन स्मेकल

डॉ० ओदेलेन स्मेकेल हिन्दी प्रेमी विदेशी हैं। वे हिन्दी के प्राध्यापक तथा भारत में तेकोस्लोवाकिया के राजनयिक रहे हैं। साहित्यकार के रूप में वे हिन्दी के कवि और निबन्धकार हैं। प्रस्तुत निबन्ध में उन्होंने सूर्य और सूर्य पूजा की परम्परा का वैश्विक स्तर पर अनुशीलन प्रस्तुत किया है। इस निबन्ध के दो पक्ष हैं। प्रथम पक्ष सूचनात्मक है जिसमें उन्होंने इस तथ्य का सर्वेक्षण किया है कि विश्वभर में किन-किन देशों में किन किन रूपों में सूर्य की पूजा होती थी या होती है। दूसरा पक्ष भारतीय वाङ्मय विशेषकर वेदों में सूर्य की महिमा का आख्यान करता है। सूर्य भारत के जाग्रत देवताओं में से एक हैं। हमारे धार्मिक ग्रंथों में उनके तेज, महत्व तथा उनकी उपासना का व्यापक वर्णन है। सूर्य पूजा, सूर्य विद्या, सूर्य प्रतीक तथा सूर्योपासना के अनेक आख्यान तथा उनका शास्त्रीय विवेचन प्राप्त होता है। वेदों के अनुसार सूर्य एक पहिया वाले सुनहले रथ पर सवार होकर गमन करने वाले देवता हैं। इन्हें वेदों की आत्मा कहा गया है। सूर्य को त्रिदेवों का प्रतिनिधि माना गया है-प्रात:काल में ब्रह्मा, दोपहर में शिव तथा शाम को विष्णु। हमारी पौराणिक गाथाओं में सूर्य को अदिति माता और कश्यप पिता की संतान कहा गया है। ये आठ भाई हैं। इनकी शक्ल अंडे की तरह थी। उनका नाम मार्तण्ड अर्थात मृत अंडे का पुत्र पड़ा। बाद में वे आसमान में चले गये और अपनी विशेषताओं के कारण महिमामंडित हुए। दूसरी कथा के अनुसार अदिति के आठ पुत्रों में से अकेले सूर्य ने दिन और रात की रचना कर ब्रह्माण्ड का सृजन किया। सूर्य के जीवन-व्यापार की कथा भी प्रचलित है। इसके अनुसार इनका विवाह विश्वकर्मा की पुत्री संज्ञा से हुआ जिससे इन्हें तीन बच्चे हुए वैवस्वत मनु, यम और यमुना नदी। सूर्य का तेज सहन न करने के कारण संज्ञा ने अपनी काया सूर्य के पास छोड़ दी और स्वयं लुप्त हो गयी अश्विनी (घोड़ी) बनकर। छाया से भी सूर्य की तीन संतानें हुई-शनि, सावर्णि मनु और तपत्ति। लेकिन सूर्य संज्ञा को भूल न सके। उन्होंने उसे सर्वत्र ढूँढा और अन्त में उसके पास पहुँच गये। वहाँ उन्होंने अश्व का रूप धारण किया तथा संज्ञा यानी अश्विनी से दो पुत्र पैदा किए जो जुड़वाँ भाई अश्विनी कुमार के नाम से प्रख्यात है और देवताओं के चिकित्सक माने जाते हैं। सूर्य के संबंध में कई तथ्य प्रचलित हैं जिनमें उनके रूप तथा काम का उल्लेख मिलता है। जैसे सूर्य की बारहों महीने पूजा होती है और उनके प्रत्येक माह में अलग-अलग बारह नाम हैं। उसी तरह सविता के रूप में सूर्य हर वस्तु को उत्प्रेरित करते हैं, पूषण के रूप में कल्याण करते हैं तथा भग के रूप में वे अपकार करते हैं, दुष्ट हैं। हैं सूर्य सीधे-सीधे तो पूजित होते ही हैं, अन्य प्रतीकों द्वारा भी पूजे जाते हैं। गरुड़, कमल और स्वस्तिक उनके प्रतीक हैं। स्वस्तिक उनका सर्वाधिक लोकप्रिय प्रतीक है जो किसी-न-किसी रूप में विश्वभर में पूजा जाता है। सूर्य विविध नामों और रूपों में विश्वभर में पूजे जाते हैं या पूजे जाते थे। प्राचीन मिस्र, बेबीलोन, इरान तथा ग्रीक में सूर्य की पूजा होती थी। मिस्त्र में उगते सूर्य को 'होरूस' कहा जाता था तो फारस के लोग सूर्य को 'मिथरा' कहते थे जो स्पष्टतः सूर्य के वैदिक नाम मित्र का विकृत रूप है। सूर्यपूजकों का धर्म ‘मिथराई' कहलाता था और यह रोम तक फैला था। असीरिया, आवेदी, फिनिशियन लोगों के मुख्य देवता सूर्य ही थे। फारसियों के धर्मग्रंथ 'जेन्दावेस्ता' में सूर्य हवर' कहे गये हैं जो शायद स्वर का बदला हुआ रूप है। ग्रीकों के अपोलो सूर्य । मिथराइयों के अनुसार सूर्य का जन्म-दिन 25 दिसम्बर है। ईसाइयों ने मिथराइयों की धार्मिक मान्यताओं को तो अस्वीकार कर दिया लेकिन 25 दिसम्बर को क्रिसमस या बड़ा दिन मनाना उनमें आज भी प्रचलित है। भारत सूर्यपूजकों का देश है। यहाँ उड़ीसा में कोणार्क मंदिर है तो पाकिस्तान के मुल्तान शहर में सूर्य मंदिर का खंडहर है। पाकिस्तान-अफगानिस्तान सीमा पर एक स्थान है काफिरिस्तान जहाँ आर्यों की आबादी है और वे सूर्य की पूजा करते हैं। भारत में बिहार एकमात्र राज्य है जहाँ छठ व्रत के रूप में सूर्य की पूजा लोक पर्व के रूप में होती है।

निष्कर्षत: यह कहना उचित होगा कि प्रकाश के देवता सूर्य विश्व भर प्रायः में सभी जातियों और धर्मों में पूजित हैं। आर्य विशेष रूप से सूर्यपूजक रहे और विश्वभर में जहाँ जहाँ फैले सूर्य पूजा साथ ले गये। भारतीय मानसजन इस कल्याणकारी प्रकाश-देवता की उपासना करते अपनी श्रद्धा का पुष्प अर्पित करते हुए कहता है'

श्री सूर्य सहस्रांसो तेजो राशि जगत्पते। 

अनुकम्प्य माम भक्त्या गृहातुमर्थ्य दिवाकरः।"

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Bihar board class 11 Hindi book solution  chapter - 10 Objective (स्तुनिष्ठ प्रश्नोत्तर )


(i) उड़ीसा में सूर्य मंदिर का नाम क्या है ? 

उत्तर – कोणार्क

(ii) फारसी में सूर्य को क्या कहते हैं ? 

उत्तर – हवर 

(iii) ग्रीक में सूर्य देवता को किस नाम से पुकारा गया है ?

उत्तर – अपोलो

(iv) किस देश के निवासी सूर्य को 'मिथरा' कहते थे ? 

उत्तर – फारस

(v ) सूर्य की पत्नी के नाम बतायें। 

उत्तर – संज्ञा तथा छाया 

(vi) सूर्य के श्वसुर कौन थे ? 

उत्तर – विश्वकर्मा 

(vii) सूर्य के माता-पिता कौन थे ? 

उत्तर – अदिति तथा कश्यप

(viii) अश्विनी शब्द का क्या अर्थ होता है? 

उत्तर – घोड़ी 

(ix) मार्तण्ड का अर्थ बताइए। 

उत्तर – मृत अंडे का पुत्र 

(x) स्वस्तिक किसका प्रतीक है?

उत्तर – सूर्य का 

(xi) सूर्य कितने पहिये वाले रथ पर सवार होकर यात्रा करते हैं ? 

उत्तर – एक पहिया

(xii) मिथराइयों के अनुसार सूर्य का जन्म दिन क्या है?

उत्तर – 25 दिसम्बर 


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Bihar board class 11 Hindi book solution  chapter - 10 Very Short Quetion (अतिलघुउत्तरीय प्रश्नोत्तर )


प्रश्न-1. मैक्समूलर के अनुसार सूर्य का स्वरूप क्या है ? 

उत्तर-मैक्समूलर ने वेदों में वर्णित सूर्य पर विचार किया है और माना है कि एक प्रकाशमान तारा से सर्जक, रक्षक और शासक के रूप में उनका विकास हुआ है। 

प्रश्न-2. सूर्य पूजा के विषय में फ्रेजर का मन्तव्य क्या है ? 

उत्तर- फ्रेजर ने सिद्ध किया है कि प्राचीन काल में आर्य जहाँ-जहाँ गये सूर्य पूजा को भी साथ लेते गये।

प्रश्न-3. सूर्य पूजा के संबंध में ओदेलेन स्मेकल का मन्तव्य बताइए। 

उत्तर-स्मेकल के अनुसार इंसान में चेतना जगाने के साथ-साथ सूर्य की उपासना भी शुरू हो गयी।

प्रश्न-4, स्मेकल के अनुसार वेदों में सूर्य को क्या माना गया है ? 

उत्तर- स्मेकल के अनुसार वेदों में सूर्य को ऊर्जा और प्रकाश का अक्षय भंडार तथा इस धरती पर जीवन का संचालक बताया गया है।

प्रश्न-5. ऋग्वेद ने सूर्य के बारे में क्या सलाह दी है ? 

उत्तर- ऋग्वेद ने सूर्य को ईश्वर की सबसे खूबसूरत दुनिया कहते हुए सलाह दी है कि दैविक सूर्य की सम्प्रभुता का हम आदर करें।

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Bihar board class 11 Hindi book solution  chapter - 10  Short Quetion (लघुउत्तरीय प्रश्नोत्तर )


प्रश्न-1. वेदों में सूर्य के संबंध में क्या कहा गया है? पाठ के आधार पर उत्तर दें। 

उत्तर- वेदों में सूर्य को ऊर्जा और प्रकाश का अक्षय भंडार और धरती पर जीवन का संवाहक बताया गया है।

प्रश्न-2. भारतीय पौराणिक गाथाओं के अनुसार सूर्य के माता-पिता कौन थे? पाठ में सूर्य के जन्म के संबंध में दो कथाओं का उल्लेख है, उन्हें संक्षेप में लिखें। 

उत्तर- पौराणिक गाथाओं के अनुसार अदिति और कश्यप सूर्य के माता-पिता थे। पुराणों में सूर्य के संबंध में दो कथाएँ हैं। प्रथम कथा के अनुसार सूर्य अदिति के आठवें पुत्र थे। आठवाँ पुत्र अंडे की शक्ल का था। इसलिए उसका नाम रखा मार्तण्ड अर्थात् मृत अंडा और उसका परित्याग कर दिया। वह आसमान में चला गया और वहाँ स्वयं को महिमामंडित रूप में प्रतिष्ठित कर लिया। दूसरी कथा के अनुसार अदिति ने अपने पुत्रों से ब्रह्माण्ड का सृजन करने के लिए कहा। किन्तु सात पुत्र ऐसा नहीं कर सके। क्योंकि वे सिर्फ जन्म को जानते थे, मृत्यु को नहीं। तब अदिति ने सूर्य से कहा। सूर्य ने दिन और रात का सृजन किया जो जन्म और मृत्यु के प्रतीक थे। इस तरह सूर्य जीवन-चक्र का निर्माण कर ब्रह्माण्ड का सृजन करने में समर्थ हुए।

प्रश्न-3. दिन और रात किसके प्रतीक ?

उत्तर- दिन और रात क्रमश: जीवन और मृत्यु तथा प्रकाश और अन्धकार के प्रतीक हैं। 

प्रश्न-4. संज्ञा कौन थी ? छाया से उसका क्या संबंध है ? दोनों की संतानों के नाम लिखें।

उत्तर- संज्ञा विश्वकर्मा की पुत्री थी। उसका व्याह सूर्य से हुआ। छाया संज्ञा का प्रतिरूप थी। उसका निर्माण स्वयं संज्ञा ने सूर्य की सहचरी बनाने के लिए किया था, क्योंकि, वह स्वयं सूर्य का तेज सहने में अक्षम थी। संज्ञा और छाया को सूर्य से निम्नलिखित संतानें हुईं। संज्ञा से वैवश्वत मनु, यमराज और यमुना नदी जब अश्विनी रूप में धरकर चली गयी तो सूर्य उसके लिए विकल हो उसे खोजते रहे। मिलने पर उन्होंने भी अश्व का रूप धारण कर लिया इस बार दो पुत्र हुए-नासत्य और दस्र। ये दोनों अश्विनी कुमार कहलाते हैं। छाया से भी तीन पुत्र हुए-शनि, सावर्णि मनु और तपत्ति।

प्रश्न-5. विश्वकर्मा ने सूर्य की आभा के अंश को काट कर किन वस्तुओं का निर्माण किया ?

उत्तर- विश्वकर्मा ने सूर्य की आभा का अंश काटकर पाँच हथियार तैयार किए। विष्णु का सुदर्शन चक्र, शिव का त्रिशूल, यम का दण्ड, देव सेनापति स्कन्द (कार्तिकेय) का भाला तथा कुबेर की गदा।

प्रश्न-6. वर्ष के बारहों महीनों के आधार पर सूर्य के अलग-अलग नाम हैं। महीनों के नाम के साथ उन नामों को लिखें। साथ ही इन बारहों महीनों के तद्भव-देसी नाम भी लिखें। -

उत्तर – 

सूर्य के नाम  ⇒  माह के नाम  ⇒  माहों के तद्भव नाम 

 (i)  धाता     ⇒      चैत          ⇒   चैत        

(ii) अर्यमा    ⇒ वैशाख         ⇒    वैशाख

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प्रश्न-7. पाठ में सूर्य के कई कार्यों की जानकारी दी गई है। उन कार्यों के आधार पर सूर्य के अलग-अलग नाम हैं, उनकी सूची बनाएँ। 




प्रश्न-8. विभिन्न देशों और समाजों में सूर्य के अलग-अलग नाम प्रचलित हैं। नीचे एक सूची दी जा रही है। उसमें रिक्त स्थानों की पूर्ति करें। उत्तरदेश/समाज सूर्य के नाम





प्रश्न-9. रोम सम्राट ऑरीलिया ने सूर्य मंदिर को क्यों नष्ट नहीं किया ? 

उत्तर- रोम सम्राट ऑरीलिया ने सूर्य मंदिर को इसलिए नष्ट नहीं किया कि उसकी मान्यता के अनुसार सूर्य अजेय देवता हैं।


प्रश्न-10. मिथराइयों के अनुसार सूर्य का जन्म-दिवस कब है ? 

उत्तर-मिथराइयों के अनुसार सूर्य का जन्म-दिन 25 दिसम्बर है। इसी आधार पर 25 दिसम्बर को क्रिसमस पर्व मनाया जाता है।

प्रश्न-11. प्राचीन मिस्री चित्रों में शरद के सूर्य के सिर पर सिर्फ एक केश दिखाया जाता है। क्यों?

उत्तर- प्राचीन मिस्री चित्रों में शरद ऋतु के सूर्य के सिर पर एक केश इसलिए दिखाया जाता है कि इस ऋतु में वे कमजोर पड़ जाते हैं। वस्तुतः शरद ऋतु में शीत बढ़ने से सूर्य कमजोर पड़ जाते हैं जिसके कारण उनके बाल झड़ जाते हैं।

प्रश्न-12. सूर्य मंदिर के अवशेष भारत-पाकिस्तान में कहाँ-कहाँ मिले हैं ? 

उत्तर- भारत में ध्वस्त सूर्य मंदिर उड़ीसा राज्य में है जिसे कोणार्क कहा जाता है। पाकिस्तान के मुल्तान शहर में एक सूर्य मंदिर का खंडहर है।

प्रश्न--13. मैक्समूलर ने सूर्य के संबंध में क्या लिखा है ?

उत्तर- मैक्समूलर ने लिखा है कि वैदिक मंत्रों (ऋचाओं) में सूर्य धीरे-धीरे प्रकाशमान तारा से बदलकर क्रमशः सर्जक, संरक्षक और शासक में परिवर्तित हो गये। यह क्रमिक विकास का सूचक है। सूर्य सब कुछ देखता है और जानता है। इसलिए उससे आग्रह किया जाता है कि उसने जा कुछ देखा और जाना है उसे क्षमा कर दे और भूल जायें  । 

प्रश्न--16, मयूर कवि कौन थे ? उनकी रचना का क्या नाम है ? 

उत्तर- मयूर संस्कृत के एक प्रसिद्ध कवि थे। उनकी रचना का नाम है-सूर्य शतकम्। इसमें सूर्य की प्रार्थना से संबंधित एक सौ छन्द हैं।

प्रश्न--17, वेदों में सूर्य : विभिन्न वेदों में सूर्य से संबंधित अनेक मंत्र आये हैं। उन मंत्रों में कहीं सूर्य को रक्षक, कहीं सर्जक और कहीं शासक माना गया है। वेदों के अनुसार सूर्य एक पहियावाले सुनहरे रथ पर चलता है। वह ऊर्जा और प्रकाश का अक्षय भंडार है। धरती पर जीवन का संचालक है तथा अंधकार से मुक्ति दिलाने वाला है। इसलिए उसे वेदों की आत्मा और त्रिदेवों-ब्रह्मा, और शिव का प्रतिनिधि माना गया है तथा लोगों को सलाह दी गयी है कि इस दैविक सूर्य की विष्णु

प्रश्न--18 पुराणों में सर्या – , पुराणों में सूर्य मानवीय सत्ता है ‚ उनका परिवार है ‚ संततियाँ है तथा  माता-पिता हैं। पुराणों के अनुसार अदिति और कश्यप ऋषि उनके माता-पिता हैं। संज्ञा और छाया उनकी पत्नियाँ हैं तथा वैवस्वत मनु, सावर्णि मनु, यम, यमुना नदी, शनि, तपत्ति तथा दो अश्विनी कुमारों सहित उनकी आठ संततियाँ हैं। देवताओं के शिल्पी विश्वकर्मा उनके श्वसुर हैं। उन्होंने उनके तेज का एक अंश काटकर उससे विष्णु के चक्र, शिव के त्रिशूल, यम के दण्ड, देवसेनापति स्कंद के भाले तथा कुबेर की गदा का निर्माण किया था।


प्रश्न--19,  बिहार में सूर्य पूजा : बिहार में कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को सूर्य पूजा का पर्व पूरी निष्ठा और पवित्रता से मनाया जाता है। यह लोक पर्व है और सभी लोग करते हैं। इस पर्व में चतुर्थी को स्नान, पंचमी को खरना, षष्ठी को अर्घ्य तथा सप्तमी को अर्घ्य के साथ परना या समापन होता है। उपवास तथा पवित्रता इस पर्व का आधार है। इसमें पकवान (ठेकुआ), फल, केला, नींबू, सेव, सिंघारा तथा आदी, हल्दी, मूली आदि सहित अनेक सामानों से डूबते तथा उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। कामना के रूप में धन, सन्तान तथा शारीरिक आरोग्यता की याचना की जाती है। ऐसा विश्वास है कि सच्चे मन से की जानेवाली यह पूजा अनुकूल फल देती है।


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Bihar board class 11 Hindi book solution  chapter - 10  Hindi  Grammar  (भाषा की बात )


 प्रश्न-1. निम्नलिखित शब्दों के पर्यायवाची लिखें

       सूर्य, घोड़ा, धरती, दिन, रात, तालाब 

उत्तर – 

  • सूर्य-रवि, भानु, मार्तण्ड 
  • घोड़ा-अश्व, वाजि 
  • धरती-भू, पृथ्वी, अवनी 
  • दिन-दिवस, दिवा, वार 
  • रात-निशा, रजनी, रात्रि 
  • तालाब-पुष्कर, जलाशय 

प्रश्न-2. निम्नलिखित शब्दों के प्रत्यय निर्दिष्ट करें– 

प्रतिनिधित्व, पौराणिक, प्रसन्नता, वैज्ञानिक, स्वस्तिक, दैविक 

उत्तर- 

  • प्रतिनिधित्व-त्व 
  • वैज्ञानिक-इक 
  • पौराणिक-इक 
  • स्वस्तिक-इक 
  • प्रसन्नता-ता 
  • दैविक-इक 

प्रश्न-3. निम्नलिखित शब्दों के समास-विग्रह करें –

उत्तर- 

  • महिमामंडित-महिमा से मंडित-तत्पुरुष 
  • जीवन-चक्र-जीवन का चक्र-तत्पुरुष 
  • त्रिदेव-तीन देव-द्विगु 
  • सूर्यपूजा-सूर्य की पूजा-तत्पुरुष 
  • धीरे-धीरे-अव्ययीभाव -
  • सूर्यवंश-सूर्य का वंश-तत्पुरुष


प्रश्न-4. इस पाठ में बहुत सारे संज्ञा पद हैं। संज्ञा के विभिन्न भेदों को ध्यान में रखकर प्रत्येक के तीन-तीन उदाहरण चुनकर लिखें।



 

प्रश्न-5. पाठ में आए मिथरा, हवर, अहुर शब्दों के समरूप क्रमशः हैं-मित्र, स्वर और असुर। इनमें असुर शब्द प्राचीन वैदिक भाषा में देवता के लिए प्रयुक्त था जो अब बदलकर राक्षसों के लिए प्रयुक्त होने लगा है। आप ऐसे तीन शब्दों को खोजें जिनका अर्थ बदल गया हो? 


उत्तर- साहसी, कुशल, असुर



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Bihar board class 11 Hindi book solution  chapter - 10  Hindi  Grammar  (व्याख्या )

 (i) "वैदिक ऋचाओं में धीरे-धीरे सूर्य के प्रकाशमान तारा से बदलकर सर्जक, संरक्षक और शासक में तब्दील हो जाने के क्रमशः विकास को देखा जा सकता है।

प्रस्तुत गद्यांश ओदेलेन स्मेकल लिखित निबन्ध 'सूर्य' से उद्धृत हैं। यह कथन मेक्समूलर का है जिसे स्मेकल साहब ने उद्धृत किया है। वेदों में सूर्य से संबंधित जो ऋचाएँ हैं उनका सारांश मन्तव्य रूप में दिया गया है। वेदमंत्रों में सूर्य के विषय में जो कुछ कहा गया है उससे उनका सर्जक, संरक्षक और शासक रूप प्रकट होता है। वस्तुरूप में सूर्य एक विशालकाय तारा है जिन्हें ग्रह माना जाता है। एक प्रकाशमान पिंड को रक्षक, सर्जक और शासक बताने के मूल में सूर्य की वह क्षमता निहित है जो धरती के प्राणियों को जीवन, पोषण, सम्वर्द्धन देता है।

(ii) “अन्धकार से प्रकाश की ओर ले जाने के लिए सूर्य को नमस्कार करने का यह अनूठा पर्व आर्य और वैदिक संस्कृति को अक्षुण्ण बनाये हुए हैं।"

प्रस्तुत गद्यांश ओदेलेन स्मेकल लिखित निबन्ध 'सूर्य' से गृहीत है। स्मेकल साहब ने बिहार में मनाये जा रहे सूर्य पर्व या छठ व्रत को नमस्कार का अनूठा पर्व माना है। चूँकि हम संध्या एवं प्रात:काल में अर्ध्य के रूप में सूर्य को प्रणाम करते हैं। अतः यह सूर्य को नमस्कार करने का पर्व है। लेखक ने संध्याकालीन सूर्य को प्रकाश के प्रस्थापन और अंधकार के आगमन का सूचक माना है। यह स्थिति रातभर रहती है। प्रात:काल में हम उगते सूर्य को प्रणाम कर व्रत समाप्त करते हैं। अत: यह लेखक की दृष्टि में अन्धकार से प्रकाश की ओर यात्रा का पर्व है। चूंकि सूर्य वेदों में वर्णित देवताओं में सर्वाधिक तेजस्वी हैं। अतः इनकी पूजा वैदिक परम्परा को बनाये रखने का लोक उपक्रम है। इसलिए लेखक इस पर्व को वैदिक और आर्य संस्कृति का प्रतीक पर्व मानता है।





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