Bihar board class 11th Hindi Solution पद्खंड chapter - 12 मातृभूमि – अरूण कमल

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  Class 11 Hindi Book Solution    

Bihar board class 11 Hindi book solution  padyakhand chapter - 12 Saransh , (सरांश  )

कक्षा - 12वी  पद्खंड अध्याय - 11  

              मातृभूमि – अरूण कमल            


अरुण कमल आधुनिक काल के एक संवेदनशील कवि हैं। वे समय, समाज और संवेदना तीनों से सरोकार रखते हैं। मनुष्यता की रक्षा उनकी चिन्ता का विषय है। प्रस्तुत कविता 'मातृभूमि' में उन्होंने परम्परा से हटकर भारतमाता को एक माँ के रूप में कर अन्न उगाने वाले धरती - पुत्र किसानों द्वारा की जा रही आत्महत्या की त्रासदी को केन्द्र में रखा। इसलिए यह कविता पूर्ववर्ती कवियों द्वारा मातृभूमि पर लिखी गयी अन्य कविताओं से भिन्न है। अनुभव करते धरती की सेवा कवि वर्षा काल में संध्या समय खुले आसमान के नीचे स्वयं को भींगता हुआ अचानक अनुभव करता है कि यह धरती मेरी माँ है। अर्थात् मेघ में भींगते हुए उसकी अनुभूति में पहली बार माँ और मातृभूमि की अभिन्नता कौंधती है। वह पाता है कि धान के पौधों ने धरती को इस तरह ढंक लिया है कि मार्ग का अस्तित्व लुप्त हो गया है। जिस तरह समुद्र ज्वार में लहराता आवेग के साथ तट की ओर दौड़ता है मानो छाती के सारे बटन खोले कोई व्यक्ति दौड़ता है उसी तरह कवि उस बच्चे की तरह धरती की ओर दौड़ता है जो मेले में माँ से बिछुड़ जाता है और अचानक अपनी माँ को पाकर उसकी ओर दौड़ पड़ता है। कवि कई बिम्बों में माँ को, धरती माँ को अनुभव करता है। वर्षा की फुहार पड़ते ही सबसे पहले चरती हुई बकरियाँ भागती हैं और किसी पेड़ के नीचे छिप जाती हैं। वह सड़क पर भींगते एक साँढ़ को देखता है जो पूरी सड़क छेंककर खड़ा है। उसे देखकर कवि को सिन्धु घाटी से प्राप्त उपादानों पर अंकित साँढ़ या बैल के चित्र की स्मृति हो आती है और वह साँढ़ जो सड़क पर खड़ा है सिंधु घाटी के साँठ की तरह अनुभव होता है।

कवि बारिश में भींगकर काम करते मजदूरों की ओर दृष्टि डालता है तो लगता है कि वे मिट्टी के ढेले की तरह पानी सोख रहे हैं। इसी तरह घर के आँगन में नवविवाहिता स्त्री भींगती नाचती वर्षा का सुख लेती है। कवि वर्षा में भींगते कौवों के काले डैनों के नीचे के सफेद रोओं तक को भींगा हुआ पाता है। और फिर अचानक उसे इलायची के भीतर उसके छोटे-छोटे आपस में चिपके दाने प्यारे लगने लगते हैं। इस तरह इन सभी बिम्बों में उसे मातृभूमि की अनुभूति होती

कवि कई दिनों से भूखे प्यासे बच्चे की भाँति माँ को चारों तरफ ढूँढ़ रहा था। आज जब भीख में मुट्ठी भर अनाज दुर्लभ है तब उसे चारों तरफ गर्म रोटी की भाप फैलती अनुभव होती है। उसे लगता है कि उसकी माँ नक्काशीदार रूमाल से ढँकी तश्तरी में खुबानी, अखरोट, मखान और काजू भरे हाथ में गर्म दूध का गिलास लिए आ रही है। यहाँ कवि ने यथार्थ और आकांक्षा के बीच के गहरे अंतर को रेखांकित कर विषय को मार्मिक बनाने का प्रयास किया है।   कवि को अनुभव होता है कि यह धरती मात्र मिट्टी नहीं माँ है जो रसोई घर में है । रसोई घर की चौखट पर बच्चे कब से खड़े प्रतीक्षा कर रहे हैं वे भूखे हैं उन्हें माँ से भोजन पाने की प्रतीक्षा है। समय-चक्र का परिवर्तन क्रम जारी है। धरती का रंग हरा से सुनहला होता है, फिर धूसर होता है, छप्परों से धुँआ उठता है और गिर जाता है अर्थात् धरती फसल उगाती है, भोजन बनता है लेकिन घर से निकाले गये निर्धन भूखे बच्चे जहाँ के तहाँ धरती माँ के रसोई घर की देहरी पर सिर टेके सो रहे हैं, उनकी स्थिति पूर्ववत् है। ये बच्चे उन किसानों के बच्चे हैं जिन्होंने खेती में हो रही लगातार हानि और कर्ज लेते रहकर खेती करने से मुक्ति पाने हेतु आत्महत्या कर ली है। ये बच्चे देश के कालाहांडी, आंध्रप्रदेश, पलामू (झारखंड) आदि विभिन्न क्षेत्रों के बच्चे हैं। ये यतीम अर्थात् अनाथ बच्चे हैं, बंधुआ मजदूर बच्चे हैं। कवि धरती माँ से अनुरोध करता है कि इनके माथे पर हाथ फेर दो, इनकी भींगी लटों को सँवार दो, अर्थात् इनकी दशा बदल दो इनका अनाथपन दूर कर दो, इन्हें प्यार दो ।

कवि एक प्रश्न करता है तुम किसकी माँ हो मातृभूमि ? उसका स्पष्ट आशय है कि तुम सम्पन्नों की माँ हो या निर्धनों की ? कवि अपने विषय में बताता है कि मेरे थके माथे पर हाथ फेरती, प्यार से निहारती तुम्हीं तो हो। मैं भींग रहा हूँ मैं कील की तरह बीचोंबीच भींगता खड़ा हूं, धरती नाच रही है, आसमान नाच रहा है। कवि अपने को भींगने के केन्द्र में खड़ा कर यह बताना चाहता है कि मैं उन गरीब अनाथ भूखे बच्चों का प्रतीक हूँ, प्रतिनिधि हूँ। यह वर्षा नहीं तुम्हारी स्नेह-वर्षा है। तुम मात्र धरती नहीं, माता हो और इसलिए देश में भी जो भी अनाथ हैं, भूखे हैं उन सब की तुम माँ हो। वे सब तुम्हारी कृपा के याचक हैं, प्रतीक्षारत हैं। अतः मातृधर्मिता का आग्रह है कि तुम्हारा कोई पुत्र भूखा और अनाथ न रहे।

शब्दार्थ :-   कन्दरा = गुफा, खोह, नक्काशीदार = बेल बूटे बनाये हुए, फूल-पत्तियाँ आदि की आकृति जिस पर बनी हो, खुबानियाँ = एक खाद्य पदार्थ, धूसर= मटमैला। कालाहांडी, पट्टन, नरौदापटिया = विभिन्न स्थानों के नाम, यतीम = लावारिश, जिनके माताता-पिता न हों।

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Bihar board class 11 Hindi book solution padyakhand  chapter - 12 Objective (स्तुनिष्ठ प्रश्नोत्तर )


 

(i) मातृभूमि को कवि ने किस रूप में अनुभव किया है ?

(क) माँ 

(ख) बहन 

(ख) पत्नी  

(घ) बेटी

उत्तर –क

(ii) 'मातृभूमि' कविता के कवि हैं ?

(क) नागार्जुन

(ख) त्रिलोचन

(ग) अरुण कमल

(ग) केदारनाथ सिंह 

उत्तर – ग

(iii) मातृभूमि में वर्णित साँढ़ कहाँ का है ?

(क) कुल्लू घाटी

(ख) सिंधु घाटी

(ग) हल्दी घाटी

(घ) कहीं का नहीं।

उत्तर –ख

(iv) भींगती हुई नवोढ़ा आँगन में क्या कर रही है ?

(क) नृत्य

(ख) गायन

(ग) वादन

(घ) रुदन

(v) ढेला की तरह वर्षा को कौन सोख रहा है ?

(क) कवि 

(ख) मजदूर 

(ग) साँढ़ 

(घ) नवोढ़ा

उत्तर –ख

(vi) भोजन लेकर कौन आ रही है ?

(क) नौकरानी

(ख) माँ

(ग) बहन

(घ) पत्नी

उत्तर –ख

(vi) धरती - आसमान के बीच भींगता कौन खड़ा है ?

(क) किसान 

(ख) बच्चे

(ग) कवि

(घ) मातृभूमि

उत्तर – ग

'

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Bihar board class 11 Hindi book solution padyakhand chapter - 12 Very Short Quetion (अतिलघुउत्तरीय प्रश्नोत्तर )


(i) वर्षा में भींगने का सुख कौन-कौन ले रहे हैं ? 

उत्तर –  वर्षा में भींगने का सुख मजदूर, नवोढ़ा स्त्री, कौए और साँढ़ ले रहे हैं। स्वयं कवि भी यह सुख ले रहा है।

(ii) आंध्र के किसानों के बच्चे कैसे हैं ?

उत्तर – आंध्र के किसानों के बच्चे भूखे, यतीम और अनाथ हैं, बंधुआ हैं। 

(iii) कवि को रास्ता क्यों नहीं सूझ रहा है ?

उत्तर – धान के पौधों से धरती ढँकी है। बढ़े हुए पौधों ने अधिक फैलकर रास्तों को भी ढँक लिया है। इसलिए कवि को रास्ता नहीं सूझता है।

(iv) बच्चे रसोई घर की देहरी पर क्यों खड़े हैं ?

उत्तर – बच्चे यतीम और अनाथ हैं। इनके पास खाने के लिए कुछ नहीं है। अतः ये भोजन की आशा में रसोईघर की देहरी पर खड़े हैं।

(v) कवि मातृरूपा भूमि से बच्चों के विषय में क्या अनुरोध करता है ? 

उत्तर –  कवि मातृरूपा भूमि से बच्चों के माथे पर हाथ फेरने तथा इनके भींगे केशों को अपने श्यामल हाथों से सँवार देने का अनुरोध करता है।


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Bihar board class 11 Hindi book solution Padyakhand chapter - 12  Short Quetion (लघुउत्तरीय प्रश्नोत्तर )


प्रश्न - 1. यह कविता किसे सम्बोधित है ?

उत्तर- यह कविता एक साथ माँ और मातृभूमि दोनों को सश्लिष्ट रूप में संबोधित करती है।

प्रश्न - 2. कवि ने अपनी गति की तुलना समुद्र से क्यों की है ? 

उत्तर- मेले में खोया बच्चा राह ढूँढ़ने या बिछुड़े अभिभावक या माँ को खोजने के लिए कभी आगे जाता है कभी पीछे आता है। उसमें सीधी राह जाने की नहीं भटकाव की स्थिति होती है। समुद्र की लहरें भी बार-बार तट तक आकर पीछे लौटती हैं या इधर-उधर फैलती हैं। दोनों में भटकाव का तत्त्व प्रधान होता है। इसीलिए कवि ने ऐसी उपमा दी है। 

प्रश्न - 3. कवि ने मजदूरों की तुलना बारिश मिट्टी के ढेले से क्यों की है ? 

उत्तर- मजदूर बारिश में भींगते हुए भी काम करते हैं। उनकी नग्न देह पर गिरती बूँदें उन्हें भिंगोती हुई नीचे गिरती हैं। स्थूल कर्मठता के कारण कवि ने ढेले से उनकी उपमा दी है। 

प्रश्न - 4. उद्धृत काव्य-पंक्तियों का मर्म उद्घाटित करें। 

घर के आँगन में............. ये सब तुम्हीं तो हो ।

उत्तर - इन पंक्तियों में बारिश में भींगने के तीन चित्र हैं। प्रथम नवोढ़ा का है । वह आँगन में भींगती हुई बन्धन से मुक्ति के कारण नाच रही है। यह मुक्ति जन्य प्रसन्नता की अभिव्यक्ति है। दूसरी पंक्ति में एक तथ्य है। कौओं के घोंसले ऐसे नहीं होते कि उनकी रक्षा हो सके। अतः वे भींग जाते हैं। भींगने पर उनके पंख उड़ने की स्थिति में नहीं होते। अतः वे कहीं बैठकर निरन्तर भींगते रहते हैं और पंखों के नीचे उगे किंचिति हल्के रोओं तक भींग जाने की नियति झेलते हैं। अतः कौए के चित्र में भींगते जाने की विवशता का वर्णन है। तीसरे चित्र में कवि ने एक भिन्न चित्र दिया है। उसका सम्बन्ध वर्षा में भींगने से नहीं है। वहाँ प्यार में गुत्थम गुत्था दाने सहज एकता भाव को व्यक्त करते हैं। जो राष्ट्रीय एकता की व्यंजना करता है

प्रश्न-5 कविता में किस तरह की भाप का संकेत है ? इस भाप के इतना फैलने में किस तरह की व्यंजना है ?

उत्तर- मुट्ठी भर अनाज दुर्लभ होना 'निर्धनता का सूचक है। जबकि गर्म रोटी की भाप फैलना अमीरी का प्रतीक है। अतः यह भाप आर्थिक सुविधाओं की विषमता के फैलाव की भाप है। 

प्रश्न - 6. कई दिनों से भूखे-प्यासे कवि को माँ किस रूप में दिखलाई पड़ती है ? कवि ने किन स्थानों के बच्चों का उल्लेख किया है और क्यों ? 

उत्तर – (i) कवि को माँ नक्काशीदार और रुमाल से ढँकी तश्तरी में खूबानी, अखरोट, काजू भर कर और हाथ में गर्म दूध का ग्लास लिए आते हुए दिखायी पड़ती है। (ii) कवि ने कालाहांडी (उड़ीसा) आंध्रप्रदेश और पलामू के पट्टन नरौदा पटिया के बच्चों का उल्लेख किया है। मखाना

प्रश्न - 7. उद्धृत पंक्तियों का अर्थ लिखें। कवि ने यहाँ 'भींगे केश' क्यों लिखा है ? ये यतीम ये अव्यय......... श्यामल हाथों से। 

उत्तर - कवि ने कालाहांडी आदि जिन स्थानों के बच्चों का उल्लेख किया है वे अभावग्रस्त बच्चे भिखमंगों के बच्चों की तरह यतीम या अनाथ हैं। ये जहाँ तहाँ बंधुआ मजदूर की तरह काम करने को विवश हैं। चूँकि धरती धनी-गरीब, अनाथ-सनाथ सबकी माँ है। अतः सबको प्यार पाने का हक है और माँ का स्वभाव होता है सभी बच्चों को बिना भेद भाव के स्नेह देना। इसलिए कवि मातृभूमि से अपने श्यामल हाथों से इनके केश सँवार देने की प्रार्थना करता है। प्रसंग बारिश का है और बच्चे अनाथ हैं अत: इधर-उधर बेघर भटकने के कारण इनके केश भींगे हैं। अभावग्रस्तता और से उत्पन्न रूदन के कारण भी केशों के भींगने की बात सोंची जा सकती है।

प्रश्न - 8. 'तुम किसकी माँ हो मातृभूमि' इस प्रश्न का मूल भाव आपके विचार में क्या है ?

उत्तर- इस पंक्ति में प्रश्न का आशय है कि क्या तुम केवल अमीरों की मातृभूमि हो ? यतीम और गरीब किसान-मजदूरों की माँ नहीं हो क्या ? इसका व्यंग्यार्थ है कि तुम भूखे और अनाथ लोगों की भी माँ हो । उनका भी तुम पर हक है। कवि के प्रगतिवादी चिन्तन से जोड़ने पर यह धरती पर गरीबों के हक का उद्घोषक कथन है।

प्रश्न - 9. 'और मैं भींज रहा हूँ' पंक्तियों का आशय लिखें।

उत्तर- कवि वर्षा में भींग रहा है। उसे लग रहा है कि धरती नाच रही है, आसमान नाच रहा है और वह दोनों के बीचोंबीच भींग रहा है। संभव है वह स्वयं को नाचता अनुभव कर रहा हो और इसी मन के नृत्य को उसने धरती और आकश पर प्रक्षेपित कर दिया हो जिसके कारण उसे दोनों नाचते प्रतीत हो रहे हों।

प्रश्न - 10. कवि ने स्वयं को 'भींजना' कहा है और अन्य को 'भींगना'। ऐसा क्यों ? 

उत्तर- इसका एकमात्र कारण यही हो सकता है कि वह बिहार का निवासी है। यहाँ भींगना की जगह भींजना का ही प्रयोग जन सामान्य द्वारा किया जाता है।

प्रश्न - 11. शब्दों के प्रयोग में कवि अपनी पीढ़ी में अतिशय सावधान है। इस सन्दर्भ में कुछ उदाहरण कविता से चुनकर दें।

उत्तर- 

     ऐसे कुछ सावधान प्रयोग ये माने जा सकते हैं. 

     सिंधु घाटी का चौड़े पट्टेवाला साँढ 

     मिट्टी के ढेले की तरह बारिश सोखना 

    शंखध्वनि कन्दराओं के अन्धकार को हिलोरती 

    नवौढ़ा भींगती नाचती 

     प्यार से गुत्थमगुत्था 

     नक्काशीदार रूमाल 

     गर्म रोटी की भाप

     देश सँवारना इत्यादि

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Bihar board class 11 Hindi book solution padyakhand chapter - 12  Hindi  Grammar  (भाषा की बात )


प्रश्न - 1. वचन परिवर्त्तन करें। 

उत्तर-  

  • पौधों = पौधा 
  • रास्ता = रास्तों
  • बकरियाँ = बकरी
  • पेड़ = पेड़ों 
  • मजदूर = मजदूरों  
  • तश्तरी = तश्तरियाँ, 
  • गिलास = गिलासों, 
  • छप्परों = छप्पर, 
  • देहरी = देहरियों, 
  • हाथों = हाथ 
  • किसानों = किसान

प्रश्न - 2. अनाथ शब्द में कौन सा समास है ? 

उत्तर - अनाथ शब्द में नञ समास है।

प्रश्न - 3. कविता की निजवाचक सर्वनाम वाली पंक्तियाँ लिखें

(i) तब अचानक मुझे लगता है। 

(ii) मुझे रास्ता तक नहीं सूझता। 

(iii) मेरी माँ मेरी मातृभूमि 

(iv) मेरी माँ आ रही है। 

(v) अपने श्यामल हाथों से

(vi) किसकी माँ हो मेरी मातृभूमि ? 

प्रश्न - 4. पर्यायवाची शब्द लिखें 

उत्तर-

  • आसमान = आकाश, गगन, नभ
  • धरती = भू, धरा, पृथ्वी धरित्री
  • समुद्र = जलधि, उदधि, सागर, सिन्धु
  • पेड़ = वृक्ष, तरू
  • माँ = जननी, माता 
  • दूध = पय, क्षीर


प्रश्न - 5. विशेषण चुनें -

उत्तर - 

(क) काले, सफेद 

(ख) गर्म, इतनी, चारों

(ग) हरा, सुनहला, धूसर 

(घ) भींगे, श्यामल (ङ) थके




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