Bihar Board Class 12 Hindi Book Solution गद् Chapter 7 - ओ सदानीरा

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 Class 12 Hindi Book Solution    

Bihar board class 12 Hindi book solution  chapter - 7 Saransh  (सारांश 


           ओ सदानीरा              

  लेखक : जगदीशचन्द्र माथुर


सारांश : जगदीशचन्द्र माथुर 'ओ सदानीरा' शीर्षक निबंध के माध्यम से गंडक नदी को निमित्त बनाकर उसके किनारे की संस्कृति और जीवन प्रवाह की अंतरंग झाँकी पेश करते हैं जो स्वयं गंडक नदी की तरह प्रवाहित दिखलाई पड़ता है। सर्वप्रथम चंपारण क्षेत्र की प्रकृति के वातावरण का वर्णन करते हुए उसके एक-एक अंग का मनोहारी अंकन करते हैं। जैसे छायावादी कविताओं में प्रकृति का मानवीकरण देखा जा सकता है उसी तरह इस निबंध में भी देखा जा सकता है। एक अंश देखिए-“बिहार के उत्तर-पश्चिम कोण के चंपारण, इस क्षेत्र की भूमि पुरानी भी और नवीन भी। हिमालय की तलहटी में जंगलों की गोदी से उतारकर मानव मानो शैशव-सुलभ अंगों और मुस्कान वाली धरती को ठुमक-ठुमककर चलना सिखा रहा है।'' इसके साथ माथुर जी को संस्कृति के गर्त में जाकर नदियों में बाढ़ आना लगता है जैसे उन्मत्त यौवन वीरांगना हो प्रचंड नर्तन कर रही हो। उन्हें साठ-बासठ को बाढ़ रामचरितमानस के क्रोधरूपी कैकेयी की तरह दिखलाई पड़ती है। वे बताते हैं नदियों में बाढ़ आना मनुष्यों के उच्छृखलता के कारण है। यदि महावन जो चंपारण से गंगा तट तक फैला हुआ था न कटता तो बाढ़ न आती। माथुर तर्क देते हैं कि वसुंधराभोगी मानव और धर्माधमानव एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। क्योंकि वसुंधरा भोगी मानव अपने भोग-विलास के लिए जंगलों की कटाई कर रहा है तो धर्माध मानव पूजा-पाठ के सड़ी गली सामग्री को गंगा नदी में प्रवाहित कर उसे दूषित कर रहा है। माथुर मध्ययुगीन समाज की सच्चाई भी बताते हैं कि आक्रमण के कारण या अपनी महत्वाकांक्षा की तृप्ति के लिए मुसलमान शासकों ने अंधाधुंध जंगलों की कटाई की। इसी तरह यहाँ अनेक संस्कृति आये और यहीं रच-बस गये। वे चंपारण के प्रत्येक स्थल पर प्राचीन युग से लेकर आधुनिक युग में गाँधी के चंपारण आने तक के पूरा इतिहास को अपनी लेखनी के माध्यम से अच्छे-बुरे प्रभाव को खंगालते हैं। इस परिचय के संदर्भ में कहीं भी कला, संस्कृति, उसकी भाषा उनकी आँखों से ओझल नहीं हो पाती। अंत में गंडक की महिमा का बखान करते हुए कहते हैं कि ओ सदानीरा ओ चक्रा ! ओ नारायणी। ओ महागंडक । युगों से दीन-हीन जनता इन विविध नामों से तुझे संबोधित करती रही है। फिर तेरे पूजन के लिए जिस मंदिर की प्रतिष्ठा हो रही है, उसकी नींव बहुत गहरी और मजबूत है। इसे तू ठुकरा न पाएगी।

Class 12 Hindi Book Solution    

Bihar board class 12 Hindi book solution  chapter - 7 ओ सदानीरा Objective Question  



1. ‘ओ सदानीरा’ निबंध किस पुस्तक से लिया गया है? 

(A) बिखरते क्षण से

(B) नीलकुसुम से

(C) बोलते क्षण से 

(D) हारे को हरिनाम से

Answer ⇒ C



2. “सरैयामन ताल” का जल कैसा है? 

(A) चंचल 

(B) स्थिर

(C) गहरा 

(D) गंदा 

Answer ⇒ B


3. वसुंधराभोगी मानव और धर्माध मानव–एक ही सिक्के के दो पहलू हैं यह पंक्ति किसके द्वारा लिखी गयी है?

(A) उदय प्रकाश 

(B) जे० कृष्णमूर्ति

(C) मलयज 

(D) जगदीशचंद्र माथुर

Answer ⇒ D


4. ‘गाँधीजी’ को महुए के पेड़ के नीचे किसने जगह दी? 

(A) मुखिया ने 

(B) ग्रामीण ने

(C) मठ के महंत ने

(D) उनके भाई ने

Answer ⇒ C


5. गाँधीजी की झोपड़ी को ……….. ने जला दिया था। 

(A) ग्रामीणों 

(B) युवकों

(C) एमन साहब के कर्मचारियों

(D) छात्रों 

Answer ⇒ C

 

6. ‘बहुजन-सम्प्रेषण के माध्यम’ पुस्तक किसने लिखी है? 

(A) जयप्रकाश नारायण

(B) जगदीशचंद्र माथुर

(C) मलयज 

(D) मोहन राकेश

Answer ⇒ B


7. ‘दस तस्वीरे’ के रचनाकार कौन है? 

(A) रामवृक्ष बेनीपुरी 

(B) जगदीशचंद्र माथुर

(C) देवेंद्र सत्यार्थी 

(D) महादेवी वर्मा

Answer ⇒ B



8. निम्नलिखित में कौन-सी रचना जगदीशचन्द्र माथुर की है? 

(A) सिपाही की माँ

(B) जूठन 

(C) ओ सदानीरा

(D) तिरिछ 

Answer ⇒ C


9. ‘ओ सदानीरा’ शीर्षक पाठ किस विद्या के अन्तर्गत आता है? 

(A) निबन्ध

(B) कहानी

(C) कविता 

(D) नाटक 

Answer ⇒ A


10. जगदीशचन्द्र माथुर मूलतः क्या थे? 

(A) निबन्धकार 

(B) कहानीकार

(C) नाटककार 

(D) उपन्यासकार

Answer ⇒ C



11. ‘ओ सदानीरा’ शीर्षक निबंध में वर्णित मन कैसे ताल हैं? 

(A) गहरे 

(B) छोटे और विशाल

(C) उथले और छिछले

(D) गहरे और विशाल

Answer ⇒ D


12. ‘ओ सदानीरा’ निबन्ध बिहार के किस क्षेत्र की संस्कृति पर लिखी गयी है?

(A) सारण 

(B) तिरहुत

(C) मिथिला 

(D) चंपारण 

Answer ⇒ D


13. चम्पारण क्षेत्र में बाढ़ का मख्य कारण क्या है? 

(A) जंगलों का कटना

(B) नदियों की अधिकता 

(C) नदियों की तीव्रधारा

(D) इनमें से कोई नहीं

Answer ⇒ A


14. माथुर जी किस राज्य के शिक्षा सचिव नियुक्त हुए? 

(A) मध्य प्रदेश 

(B) आन्ध्रप्रदेश

(C) बिहार 

(D) उत्तर प्रदेश

Answer ⇒ A


15. बारहवीं सदी के लगभग तीन सौ वर्ष तक किस वंश का शासन था? 

(A) मौर्य वंश 

(B) चालुक्य वंश

 (C) गुप्त वंश 

(D) कणोट वंश

Answer ⇒ D


16. अंग्रेज ठेकेदारों ने किस चीज की खेती का विस्तार किया? . 

(A) दलहन 

(B) नील

(C) गेहूँ 

(D) तिलहन 

Answer ⇒ B



17. राजा हरिसिंह देव को गयासहीन तुगलक का सामना कब करना पड़ा?

(A) 1225 ई० में 

(B) 1250 ई० में

(C) 1325 ई० में 

(D) 1350 ई० में

Answer ⇒ C


18. धांगड़ों को नील की खेती के सिलसिले में कब लाया गया? 

(A) 18वीं शताब्दी के अन्त में

(B) 17वीं शताब्दी के अन्त में 

(C) 19वीं शताब्दी के अन्त में

(D) इनमें से कोई नहीं

Answer ⇒ A


19. पुंडलीक जी कौन थे? 

(A) गाँव का मुखिया

(B) शिक्षक

(C) चिकित्सक 

(D) राजनीतिक नेता

Answer ⇒ B


20. निम्नलिखित में से कौन-सा नाटक जगदीशचन्द्र माथुर रचित है? 

(A) दीपक 

(B) आधे-अधूरे

(C) कोणार्क 

(D) ओ मेरे मन

Answer ⇒ C


21. निम्नलिखित में से कौन-सी उपाधि माथुर जी को मिली? 

(A) विद्या प्रदक्षिणा

(B) विद्या वारिधि 

(C) विद्या कामिनी

(D) इनमें से कोई नहीं

Answer ⇒ B


22. माथुर जी को भितिहरवा पहुँचने पर कौन मिले? – 

(A) गाँधी जी 

(B) गोखले जी

(C) पुंडलीक जी

(D) इनमें कोई नहीं

Answer ⇒ C


23. पुंडलीक जी ने निर्भिकता किससे सीखी? 

(A) गोखले जी से

(B) गाँधी जी से 

(C) कृपलानी जी से

(D) इनमें किसी से नहीं

Answer ⇒ B


24. बिहार के सुप्रसिद्ध सांस्कृतिक उत्सव ‘वैशाली महोत्सव’ का बीजारोपण किसने किया?

(A) जॉर्ज ग्रियर्सन ने

(B) सच्चिदानंद सिन्हा ने 

(C) जगदीशचंद्र माथुर ने

(D) डॉ.राजेन्द्र प्रसाद ने

Answer ⇒ A



25. कर्णाट वंश के राजा हरिसिंह को किसका मुकाबला करना पड़ा? 

(A) गयासुद्दीन तुगलक

(B) नादिरशाह 

(C) अलाउद्दीन खिलजी

(D) कुतुबुद्दीन ऐबक

Answer ⇒ A


26. गंडक नदी का जल सदियों से 

(A) शांत रहा है 

(B) चंचल रहा है

(C) गर्म रहा है 

(D) ठंडा रहा है ।

Answer ⇒ B


27. चंपारन में धांगड़ कहाँ से आए? 

(A) राँची 

(B) जमशेदपुर

(C) छोटानागपुर 

(D) आंध्र प्रदेश

Answer ⇒ C


28. गाँधीजी चंपारन में कब आए? 

(A) अप्रैल 1918 में

(B) अप्रैल 1920 में 

(C) 20 जून 1917 में

(D) अप्रैल 1917 में

Answer ⇒ D


29. “तीनकठिया’ प्रथा का संबंध है 

(A) ईख से 

(B) तम्बाकू से

(C) मसाला से

(D) नील से 

Answer ⇒ D


30. पंडई नदी कहाँ तक जाती है? 

(A) भिखनाथोरी 

(B) बगहा

(C) रामनगर 

(D) भितिहरवा 

Answer ⇒ A


31. बराज कहाँ बन रहा था? 

(A) बेलगाँव 

(B) भितिहरवा में

(C) अमोलवा में 

(D) भैंसालोटन में

Answer ⇒ D


32. आम्रपाली (अंबपाली) ने तथागत को क्या सौंपा था? 

(A) कदलीवन 

(B) आम्रवन

(C) दस हजार स्वर्णमुद्राएँ

(D) अपना भवन 

Answer ⇒ B


33. “रामपुरवा’ कहाँ है? 

(A) भितिहरवा के पास 

(B) नवगछिया के पास 

(C) राँची के पास

(D) इलाहाबाद के पास

Answer ⇒ A


34. मठ के महंत ने गाँधीजी को कहाँ शरण दी? 

(A) एक जामुन के पेड़ के नीचे

(B) अपने मठ में

(C) एक झोपड़ी में

(D) एक महुए के पेड़ के नीचे 

Answer ⇒ D



35. वैशाली महोत्सव का बीजारोपण किया- 

(A) ‘अज्ञेय’ ने 

(B) जगदीशचंद्र माथुर ने

(C) श्री कृष्ण सिंह ने

(D) अशोक वाजपेयी ने

Answer ⇒ B


36. कौन-सी कृति माथुरजी की नहीं है? 

(A) मेरी बाँसुरी 

(B) बंदी

(C) रेशमी टाई 

(D) कोणार्क 

Answer ⇒ C


37. जगदीशचंद्र माथुर का जन्म हुआ था- 

(A) 16 जुलाई 1917 को

(B) 16 जुलाई 1918 को 

(C) 17 अगस्त 1917 को

(D) 20 सितंबर 1917 को'

Answer ⇒ A


38. कौन-सी कृति माथुरजी की है? 

(A) जानवर और जानवर

(B) कहानी : नई कहानी 

(C) यायावर रहेगा याद

(D) भोर का तारा

Answer ⇒ D


39. ‘बोलते क्षण’ किस साहित्यिक विधा की कृति है? 

(A) निबंध 

(B) कहानी

(C) संस्मरण 

(D) आलोचना


Answer ⇒ A



40. ‘ओ सदानीरा’ किसको निमित बनाकर लिखा गया है? 

(A) गंगा 

(B) गंडक

(C) यमुना 

(D) महानदी 

Answer ⇒ B


41. ‘थारन’ शब्द किस शब्द से विकसित है? 

(A) थल 

(B) थार

(C) स्थल 

(D) स्थान

Answer ⇒ B


42. ‘ओ मेरे सपने’ क्या है? 

(A) उपन्यास 

(B) कहानी

(C) खंडकाव्य 

(D) नाटक 

Answer ⇒ D


43. गौतम बुद्ध का आविर्भाव कब हुआ था? 

(A) दो हजार वर्ष पहले

(B) ढाई हजार वर्ष पहले 

(C) तीन हजार वर्ष पहले

(D) पाँच सौ वर्ष पहले

Answer ⇒ B


44. राजा हरिसिंह देव को किसका मुकाबला करना पड़ा था? 

(A) गयासुद्दीन तुगलक का

(B) नादिरशाह का

(C) अहमदशाह का

(D) बाबर का 

Answer ⇒ A


45. ‘ओ सदानीरा’ के लेखक है 

(A) जगदीशचंद्र माथुर

(B) लक्ष्मीनारायण लाल 

(C) लक्ष्मीनारायण मिश्र

(D) जयशंकर प्रसाद

Answer ⇒ A


45. ‘कोर्णाक’ के नाटककार कौन है? 

(A) जयशंकर प्रसाद 

(B) जगदीशचंद्र माथुर

(C) हरेकृष्ण प्रेमी

(D) मैथिलीशरण गुप्त

Answer ⇒ B


Class 12 Hindi Book Solution    

Bihar board class 12 Hindi book solution  chapter - 7 ओ सदानीरा Subjective Question 




प्रश्न-1, चंपारण क्षेत्र में बाढ़ की प्रचंडता के बढ़ने के क्या कारण हैं ? 

उत्तर- चंपारण क्षेत्र में बाढ़ का प्रमुख कारण जंगलों का काटना है। जंगल के वृक्ष जल राशि को अपनी जड़ों में थामें रहते हैं। नदियों को उन्मुक्त नवयौवना बनने से रोकते हैं। उत्ताल वृक्ष नदी की धाराओं की गति को भी संतुलित करने का काम करते हैं। यदि जलराशि नदी की सीमाओं से ज्यादा हो जाती है, तब बाढ़ आती ही है, लेकिन जब बीच में उनकी शक्तियों को ललकारने वाले ये गगनचुम्बी वन न हो तब नदियाँ प्रचंड कालिका रूप धारण कर लती हैं। वृक्ष उस प्र!डका को रोकने वाले हैं। आज चंपारण में वृक्ष को काट कर कृषियुक्त समतल भूमि बना दी गई है। अब उन्मुक्त नवयौवना को रोकने वाला कोई न रहा, इसलिए अपनी ताकत का पासास कराती है। लगता है मानो मानव के कर्मों पर अट्टाहास करने के लिए, उसे दंड देने के लिए नदी में भयानक बाढ़ आते हैं।

प्रश्न-2. इतिहास की कीमिआई प्रक्रिया का क्या आशय है? 

उत्तर- कौमिआई प्रक्रिया पारे को सोने में बदलने की एक प्रक्रिया है, जिसमें पारे को कुछ विलेपनों के साथ उच्च तापक्रम पर गर्म किया जाता है। लेखक ने पाठ के संदर्भ में कीमिआई प्रक्रिया का आशय देते हुए कहा है कि जिस प्रकार पारा दूसरे प्रकार का पदार्थ है और उसके कुछ पदार्थों के संगम से बिलकुल भिन्न पदार्थ का उद्भव हो जाता है, उसी तरह सुदूर दक्षिण की संस्कृति और रक्त इस प्रदेश की निधि बनकर एक अन्य संस्कृति का निर्माण कर गए।

प्रश्न-3. धांगड़ शब्द का क्या अर्थ है ?

उत्तर- धांगड़ शब्द का अर्थ ओराँव भाषा में है-भाड़े का मजदूर। धाँगड़ एक आदिवासी जाति है, जिसे 18वीं शताब्दी के अंत में नील की खेती के सिलसिले में दक्षिण बिहार के छोटानागपुर पठार से चंपारण के इलाके में लाया गया था। घाँगड़ जाति आदिवासी जातियों-ओराव, मुंडा, लोहार इत्यादि के वंशज हैं, लेकिन ये अपने आप को आदिवासी नहीं मानते हैं। धांगड़ मिश्रित ओराँव भाषा में बात करते हैं और दूसरों के साथ भोजपुरिया, मधेसी भाषा में। धाँगड़ों का सामाजिक जीवन बेहद उल्लासपूर्ण है, स्त्री-पुरुष ढलती शाम के मंद प्रकाश में अत्यंत मनोहारी सामूहिक नृत्य करते हैं।

प्रश्न-4.थारूओं की कला का परिचय पाठ के आधार पर दें।

उत्तर- थारूओं की गृहकला अनुपम है। कला उनकी दैनन्दिन जिंदगी का अंग है। धान पात्र सींक का बनाया जाता है, आकर्षक रंगों और डिजायनों में सजाया जाता है। सींक और मूंज से घरेलू उपयोगिता के सामान बनाने में उनका कोई सानी नहीं है। उनके गृह सामानों में उनकी कला और उसके सौन्दर्य की झलक मिलती है। धवल सीपों और बीज विशेष से बनाए जाने वाले आभूषण जो उनकी संस्कृति की झलक दिखलाते हैं, जिनका उदाहरण लेखक ने नववधू के अपने प्रियतम को कलेउ कराने के संदर्भ में झंकृत होने वाली वेणियों से दिया है। उनकी कला उनकी मधुर और स्निग्ध संस्कृति की मनमोहक झलक दिखलाती है।

प्रश्न-5. अंग्रेज नीलहे किसानों पर क्या अत्याचार करते थे?

उत्तर- अंग्रेज नीलहे किसानों पर अमानुषिक अत्याचार किया करते थे। किसानों से जबरदस्ती नील की खेती कराई जाती थी। हर बीस कट्ठा जमीन में तीन कट्ठा नील की खेती करना हर किसान के लिए जरूरी था, जिसे तिनकोठिया प्रणाली भी कही जाती थी। नील की खेती जिस भूमि में की जाती थी, उसकी उर्वरा शक्ति लगभग समाप्त हो जाती थी और भूमि बंजर हो जाती थी। केमिकल रंगों के ईजाद होने के बाद तिनकोठिया से मुक्ति पाने के लिए किसानों को मोटी रकम गोरे ठेकेदारों को देना पड़ता था। जिस रास्ते पर साहब की सवारी जाती थी उसपर हिन्दुस्तानी अपने जानवर तक नहीं ले जा सकते थे। साहब के यहाँ कुछ भी होता तो सारा खर्चा रैयत को देना पड़ता था। साहब को हाथी खरीदना हो अथवा बीमार पड़ने पर इलाज करवाना सारा खर्च किसानों को देना होता था। इसके अलावे किसानों और रैयतों की झोपड़ी में आग लगा देना किसी को जेल में बंद कर देना उनका रोज का काम था।

प्रश्न-6. गंगा पर पुल बनाने में अंग्रेजों ने क्यों दिलचस्पी नहीं ली ? 

उत्तर- संवादों के प्रसार में आधारभूत सुविधाओं का बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान है। इन सुविधाओं में परिवहन का साधन अत्यंत ही महत्वपूर्ण है। अंग्रेज किसानों पर बेहद अत्याचार किया करते थे। बागी विचारों के संप्रेषण को फैलने से बचाने के लिए उन्होंने गंगा पर पुल बनाने में दिलचस्पी नहीं दिखाई। बिना परिवहन के साधन के विचारों का संप्रेषण नहीं हो पाता है, वह स्थानीय रह जाता है, जिसे आसानी से दमन किया जा सकता है। गंगा पर पुल बन जाने से अंग्रेजों को डर था कि दक्षिण बिहार के बागी विचार वहाँ न पहुँच जाएँ और शेष भग का सहयोग उन्हें न मिल जाए। यह उनकी सत्ता के लिए बहुत ही खतरनाक होता। इसलिए अंग्रेज गंगा नदी पर पुल नहीं बनाना चाहते थे।

प्रश्न-7. चंपारण में शिक्षा की व्यवस्था के लिए गांधीजी ने क्या किया ?

उत्तर- चंपारण में शिक्षा की व्यवस्था के लिए गांधीजी ने अनेकों काम किए। उनका विचार था कि ग्रामीण बच्चों की शिक्षा की व्यवस्था किए बिना केवल आर्थिक समस्याओं को सुलझाने से काम नहीं चलेगा। इसके लिए उन्होंने तीन गाँवों में आश्रम विद्यालय स्थापित किया बहहरवा, मधुबन और भितिहरवा। कुछ निष्ठावान कार्यकर्ताओं को तीनों गांवों में तैनात किया। वाहाका के विद्यालय को श्री बवनजी गोखले और उनकी पत्नी विदुषी अवतिकाबाई गोखले ने चलाया। मधुवन में नरहरिदास पारिख और उनकी पत्नी कस्तूरबा तथा अपने सेक्रेटरी महादेव देसाई को नियुक्त किया। भितिहरवा विद्यालय को वयोवृद्ध डॉक्टर देव और सोपन जी ने चलाया। बाद में पुंडलिक जी गए। स्वयं कस्तूरबा भितिहरवा आश्रम में रहीं और इन कर्मठ और विद्वान स्वयंसेवकों की देखभाल की। 

प्रश्न-8. गांधीजी के शिक्षा संबंधी आदर्श क्या थे ?

उत्तर- गाँधीजी शिक्षा का मतलब सुसंस्कृत बनाने और निष्कलुष चरित्र निर्माण समझते थे। अपने उद्देश्य की प्राप्ति के लिए आचार्य पद्धति के समर्थक थे अर्थात् बच्चे सुसंस्कृत और निष्कलुष चरित्र वाले व्यक्तियों के सान्थ्यि से ज्ञान प्राप्त करें। अक्षर ज्ञान को वे इस उद्देश्य की प्राप्ति में विधेय मात्र मानते थे। वर्तमान शिक्षा पद्धति को वे खौफनाक और हेय मानते थे क्योंकि शिक्षा का मतलब है-बौद्धिक और चारित्रिक विकास, लेकिन यह पद्धति उसे कुंठित करती है। इस पद्धति में बच्चों को पुस्तक रटाया जाता है ताकि आगे चलकर वे क्लर्क का काम कर सके, उनका सर्वांगीण विकास से कोई सरोकार नहीं है। गाँधीजी जीविका के लिए नये साधन सीखने के इच्छुक बच्चों के लिए औद्योगिक शिक्षा के पक्षधर थे। तात्पर्य यह नहीं था कि हमारे परंपरागत व्यवसाय में खोट है वरन् यह कि हम ज्ञान प्राप्त कर उसका उपयोग अपने पेशे और जीवन को परिष्कृत करने में करें।

प्रश्न-9. पुंडलीक जी कौन थे ?

उत्तर- पुंडलीक जी भितिहरवा आश्रम विद्यालय के शिक्षक थे। गाँधीजी ने उन्हें बेलगाँव से सन् 1917 में बुलाया था शिक्षा देने और ग्रामीणों के भयारोहण के लिए। पुंडलीक जी, गाँधी जी के आदर्शों को सच्चे दिल से मानने वाले बड़े ही निर्भय पुरुष थे। पहले एक कायदा था कि साहब जब आएँ तो गृहपति उसके घोड़े की लगाम पकड़े। एक दिन एमन साहब, जो उस समय बड़े अत्याचारी थे आए तो पुंडलीक जी ने कहा, 'नहीं, उसे आना है तो मेरी कक्षा में आए, मैं लगाम पकड़ने नहीं जाऊँगा।" पुंडलीक जी ने गाँधी जी से सीखी निर्भीकता गाँव वालों को दी। यही निर्भीकता चंपारण अभियान की सबसे बड़ी देन है। 

प्रश्न-10. गांधीजी के चंपारण आंदोलन की किन दो सीखों का उल्लेख लेखक ने किया है ? इन सीखों को आज आप कितना उपयोगी मानते हैं ?

उत्तर- गाँधीजी की दो सीख है पहली निर्भीकता और दूसरी सत्य का आचरण। निर्भीकता जीवन का बहुत महत्वपूर्ण आचरण है, जिसके ना होने से पशुता और मनुष्यता में फर्क कठिन हो जाता है। सत्य के लिए निर्भीकता निहायत जरूरी है। निर्भीक होने का अर्थ है, अपनी सच्ची बात पर अडिग रहना। निर्भीक होना और उदंड होना अलग है। उदंडता एक निषिद्ध आचरण है, जबकि निर्भीक होना निहायत जरूरी।सत्य का आचरण एक ऐसी चीज है, जिससे ना होने पर संसार का अस्तित्व ही संकट में हो जाए। बिना तथ्य की जानकारी के कोई बात कहना, अफवाह उड़ाना है। विश्वास की नींव सत्य के आचरण पर हौं टिकी है। गाँधीजी बिना कोई बात परखे, सत्यता की जाँच के नहीं कहा करते थे। यह उनके जीवन का संबल था। यही हमारे जीवन का भी होना चाहिए क्योंकि इसके न होने से हम मानव कहलाने का गौरव खो देते हैं और हमारा अस्तित्व जो विश्वास की बुनियाद पर खड़ा है, समाप्त हो जाएगा।


प्रश्न-11. यह पाठ आपके समक्ष कैसे प्रश्न खड़ा करता है?

उत्तर- हमारे जीवन का प्रत्येक क्षण एक प्रश्न, एक समस्या लेकर उपस्थित होता है। उसमें अपने जीवन के घटनाक्रमों से अनेक बातों को सीखने तथा समझने का अवसर मिलता है। ऐसे अनेक प्रश्न हमारे इर्द गिर्द मंडराते रहते हैं जिनसे निपटने के लिए अनर्थक तथा सार्थक प्रयास अपेक्षित है तथा इस दिशा में हमारा व्यावहारिक ज्ञान सहायक होता है। प्रस्तुत पाठ में हमारे समक्ष इसी प्रकार के कतिपय प्रश्न उपस्थित हुए हैं। पहली समस्या यह है कि हमारे अनुत्तरदायित्वपूर्ण रवैये से वनों का निरन्तर विनाश किया जा रहा है। चंपारण की शस्य श्यामला भूमि जो हरे-भरे वनों से आच्छादित थी, वहाँ एक लम्बे अरसे से वृक्षों का काटना जारी है। उसने हमारे पर्यावरण को तो प्रभावित किया ही है, हमारी नदियों में वर्षाकाल में अप्रत्याशित बाढ़ एवं तबाही का दृश्य प्रस्तुत किया है, वृक्षों के क्षरण से उनके तटों में जल-अवरोध की क्षमता का ह्रास हुआ है। वनों का विनाश कर कृषि योग्य भूमि बनाने, भवन, कल कारखानों एवं उद्योगों की स्थापना करने से इन सारी विपदाओं का सामना करना पड़ रहा है। वृक्षों की घटती संख्या तथा धरती की हरियाली में निरंतर हास से वर्षा की मात्रा भी काफी घट गई है।इस पाठ में चंपारण में प्रवाहित होने वाली गंडक, पंडई, भसान, सिकराना आदि नदियाँ किसी जमाने में वनश्री के ढके वक्षस्थल में किलकारती रहती थीं, अब विलाप करती हैं, निर्वस्त्र हो गई हैं। इससे अनेकों समस्याओं ने जन्म लिया है-नदियों का कटाव, अप्रत्याशित वीभत्स बाढ़ की विनाश लीला, पर्यावरण प्रदूषण, अनियमित तथा कम मात्रा में वर्षा का होना आदि। हमें इन समस्याओं से निदान हेतु वनों की कटाई पर तत्काल रोक तथा वृक्षारोपण करना होगा। सौभाग्य से गंडक घाटी योजना के अन्तर्गत सरकार द्वारा नहरों का निर्माण कर गंडक को दुरवस्था से मुक्ति दिलाने का प्रयास किया गया। इसी प्रकार की अनेक योजनाएँ.अन्य नदियों के साथ भी अपेक्षित हैं।


प्रश्न-12. अर्थ स्पष्ट कीजिए

(क) वसुंधरा भोगी मानव और धर्मान्ध मानव एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। 

उत्तर- प्रस्तुत पंक्तियों में जगदीशचन्द्र माथुर ने मनुष्य की पाश्विक प्रवृत्ति एवं दूषित मानसिकता का वर्णन किया है। एक तरफ मनुष्य जंगल काटे जा रहा है, खेतों को, पशु, पक्षियों आदि को नष्ट कर रहा है। नदियों पर बाँध बनाकर उसे नष्ट कर रहा है तो दूसरी ओर धर्मान्ध मानव गंगा को मइया कहता है पर अपने घर की नाली, कूड़ा-करकट पूजन-सामग्री जो प्रदूषण ही फैलाते हैं गंगा नदी में प्रवाहित करता है। इस प्रकार दोनों इस प्रकृति को नष्ट करने में लगे हुए हैं। इसलिए कहा जाता है कि वसुंधरा भोगी मानव और धाँधमानव एक ही सिक्के के दो पहलू हैं।

(ख) कैसी है चंपारण की यह भूमि ? मानो विस्मृति के हाथों अपनी बड़ी से बड़ी निधियों को सौंपने के लिए प्रस्तुत रहती है।

उत्तर- चंपारण की यह गौरवशाली भूमि महान है। यहाँ अनेक आक्रमणकारी तथा बाहरी व्यक्ति आए। उन्होंने या तो इस पावन भूमि को क्षति पहुँचाई या आकर बस गए। किन्तु धन्य है इसकी सहनशीलता एवं उदारता। इसने इन सबको भूला दिया, क्षमा कर दिया। ऐसा प्रतीत होता है कि इसने विस्मृति के हाथों अपनी बड़ी से बड़ी निधियों को सौंप दिया। इसने किसी प्रकार का प्रतिकार नहीं किया। स्वयं को उन आततायियों के हाथों में समर्पित कर दिया। उन्हें अपनी निधियों से समृद्ध किया।

प्रश्न-13. लेखक ने पाठ में विभिन्न जाति के लोगों के विभिन्न स्थानों से आकर चंपारण और उसके आस-पास बसने का जिक्र किया है। वे कहाँ-कहाँ से और किसलिए वहाँ आकर बसे?

उत्तर-चंपारण में विभिन्न जाति के लोग समय-समय पर भिन्न-भिन्न स्थानों से आकर बस गए। पाले पहल यहाँ कांह पंश के लोग आथे। ये दक्षिण से और यहाँ आकर इस प्रदेश रकत और निधि बने। कार वंश के लोग मिथिला और नेपाल विजय के लिए आए थे। चार और धागड़ जातियाँ यहाँ आजीविका की खोज में आई। यहाँ पगिहों को गोरे च और गम के तत्कालीन राजा नील की खेती के लिए लाए थे। दक्षिण बिहार के गया जिले से गुईया लोग भी इसी तरह नील को खेती के लिए हिमालय की तलारी में लाए गए। संभवत। ये मुसहर वर्ग के अंग है। राजकुत वंश के वंशज आक्रमणकारियों से त्रस्त होकर यहाँ आए। उस भूमि से संपला प्राप्ति करने के लिए पाही जमींदार और गोरे साहब ब्रिटिश सामाज्य के साये में वैभवशाली साम्राज्य स्थापित करने आए। पूर्वी बंगाल के शरणार्थी भी अस्त होकर यहाँ आए। यहाँ के अशोक स्तंभ स्पष्ट तौर पर बताते हैं कि यहाँ कभी मौर्य साम्राज्य का शासन रहा था।

प्रश्न-14. पाठ में लेखक नारायण का रूपक रचता है और वह सांग रूपक का पूरा विवरण प्रस्तुत कीजिए।

उत्तर- भारत वर्ष के रूपकों का सर्वथा पूर्व और प्रारंभिक रूप प्राग्वेद में प्रार्थना मंत्रों और संवादों के रूप में मिलता है। यह तो निश्चित रूप से नहीं कहा जा सकता कि भारत में नाट्य ने अपना पूर्ण-रूप किस समय धारण किया पर इसमें कोई संदेह नहीं कि उसका बीज भी वेदों में ही था। जैसा भरत मुनि के उल्लेख से स्पष्ट है अर्थात् अभिनय या नाट्य का मूल कर्मकांड के मंत्रों के संग्रह यजुर्वेद में मिलता है। यज्ञ-यागादि की क्रिया में स्वांग भरने (सांग भरना) की व्याख्या कई प्रसंगों में होती है। यही क्रिया धीरे-धीरे विकसित होकर अंकुरित और पल्लिवत हुई होगी।

किसी भी अवस्था के अनुकरण को नाट्य कहते हैं। यह अनुकरण चार प्रकार के अभिनयों द्वारा अनुकार्य और अनुक" की एकता प्रदर्शित करने से पूर्ण होता है। नाटक के पात्र के साथ एकता दिखाने के लिए अभिनेता को उठना-बैठना, चलना-फिरना इत्यादि सब व्यवहार, उसी के समान वस्त्राभूषण पहनने चाहिए और उसी के समान अनुभूति भी दिखलानी चाहिए। नाट्य शास्त्रकारों ने रूपक के सहायक उपकरण नृत्य और नृत्त भी माने हैं। किसी भाव को प्रदर्शित करने के लिए व्यक्ति विशेष के अनुकरण को नृत्य कहते हैं। इसमें आगिक अभिनय की प्रधानता रहती है। लोग इसे नकल या तमाशा कहते हैं। अभिनय रहित केवल नाचने को नृत्य कहते हैं। जब इन दोनों के साथ गीत और कथन मिल जाते हैं तब रूपक का पूर्ण रूप उपस्थित हो जाता है। शास्त्रकारों का कहना है कि नृत्य भावों के आश्रित और नृत्य ताल तथा लय के आश्रित रहते हैं और रूपक रसों के आश्रित रहते हैं। इस प्रकार रसों का संचार करने में अनुभाव, विभाव, आदि सहायक होते हैं, उसी प्रकार नाटकीय रसों की परिपुष्टि में नृत्य आदि भी सहायक का काम करते हैं। इन बातों को ध्यान में रखकर दो भेद किए गए हैं-1. रूपक तथा 2. उप रूपक। रूपकों में रस की प्रधानता रहती है। उपरूपक में नृत्य, नृत्त आदि की। नृत्य मार्ग में भिन्न-भिन्न देशों में भिन्न-भिन्न प्रकार का महत्व होता है। 

प्रश्न-15. नीलहे गोरों और गाँधीजी से जुड़े प्रसंगों को अपने शब्दों में लिखिए। 

उत्तर- चंपारण में रैयतों और किसानों पर नीलहे गोरों का अत्याचार चरमोत्कर्ष पर था। ये नीलहे-गोरे उनके साथ पशुवत् व्यवहार करते थे। पूरे चंपारण पर उन दिनों उनका साम्राज्य था। जिस रास्ते पर नीलहे साहब की सवारी जाती उस पर हिन्दुस्तानी अपने जानवर नहीं ले जा सकते थे। यदि किसी रैयत के यहाँ उत्सव या शादी विवाह होती तो साहब के यहाँ नजराना भेजना पड़ता था। यहाँ तक कि साहब के बीमार पड़ने पर उनके इलाज के लिए भी रैयतों से वसूली होती। अमोलवा कोठी के साहब एमन का भीषण आतंक चंपारण में व्याप्त था। किसी भी रैयत की झोपड़ी में आग लगा देना, किसी को जेल में ठूस देना उनका रोज का काम था। तत्कालीन शासक निलहे गोरों के हाथ का कठपुतला था। उनके प्रभाव का प्रमाण गंगा नदी पर पुल का नहीं बनना था, क्योंकि वे नहीं चाहते थे कि दक्षिण बिहार के बागी विचारों का असर चंपारण में जल्दी से पहुँचे। महात्मा गाँधी के कदम चंपारण की धरती पर सन् 1917 ई. के अप्रैल माह में पहले पहल पड़े। गाँधीजी चंपारण के रैयतो को भय और अत्याचार के चंगुल से बचाने के लिए वहाँ के कुछ स्थानीय व्यक्तियों के आग्रह पर यहाँ आए। उन व्यक्तियों में प्रमुख सर्व श्री रामदयाल साह, हरवंस सहाय, रामनौमी प्रसाद, राजकुमार शुक्ल आदि थे। श्री राजकुमार शुक्ल की मृत्यु सन् 1930 के आस-पास हो गई। महात्मा गाँधी ने वहाँ की ग्रामीण जनता की सामाजिक अवस्था के सुधार का कार्य किया। उन्होंने ग्रामीण बच्चों की शिक्षा की व्यवस्था करने का निश्चय किया। इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए उन्होंने तीन ग्रामीण विद्यालयों की स्थापना की, बड़हरवा, मधुबन और भितहरवा में तीनों विद्यालयों में गुजरात और महाराष्ट्र से कार्यकर्ता, विद्यालय संचालन के लिए आए। इनमें श्री बबन जी गोखले, श्रीमती अवन्तिका बाई गोखले, श्री देवदास गाँधी, श्री नरहरि दास पारिख तथा गाँधी जी के सेक्रेटरी श्री महादेव देसाई थे। महात्मा गांधी, कस्तूरबा तथा कृपलानी जी भी वहाँ कुछ दिनों तक रहे।

प्रश्न-16. चौर और मन किसे कहते हैं? वे कैसे बने और उनमें क्या अंतर है ? 

उत्तर- चंपारण में गंडक घाटी के दोनों ओर विभिन्न आकृतियों के ताल दिख पड़ते हैं। ये कहीं उथले तो कहीं गहरे हैं, सभी प्राय: टेढे-मेढ़े किन्तु शुभ्र एवं निर्भल जल से पूर्ण हैं। इन तालों को चौर और मन कहते हैं। चौर उथले ताल होते हैं जिनमें पानी जाड़ों और गर्मियों में कम हो जाता है। इनके द्वारा खेती भी होती है। मन विशाल और गहरे ताल हैं। 'मन' शब्द मानस का अपभ्रंश है। ये मन और चौर गंडक के उच्छंखल नर्तन के समय बिखरे हुए आभूषण हैं। जब बाढ़ आती है तो तटों का उल्लंघन कर नदी दूसरा पथ पकड़ लेती है। पुराने पथ पर रह जाते हैं ये चौर और मन, जिनकी गहराई तल को स्पर्श कर धरती के हृदय से स्रोत को फोड़ लाई।

प्रश्न-17. कपिलवस्तु से मगध के जंगलों तक की यात्रा बुद्ध ने किस मार्ग से की थी? 

उत्तर- लौरिया नंदनगढ़ से एक नदी रामपुरवा और भितिहरवा होते हुए उत्तर में नेपाल के निकट मिखना चोरी तक जाती है। उस नदी का नाम है 'पईड'। इसी के सहारे भगवान बुद्ध ने कपिलवस्तु से मगध तक की यात्रा की थी। लौरिया नंदनगढ़ में सम्राट अशोक द्वारा बनवाया हुआ कलापूर्ण सिंह स्तंभ है। 


Class 12 Hindi Book Solution    

Bihar board class 12 Hindi book solution  chapter - 7 ओ सदानीरा Grammar (भाषा की बात)


 प्रश्न-1. इन पदों के समास निर्दिष्ट करें - 

सदानीरा, शस्यश्यामला, नववधू, महानायक, तीर्थयात्रा, शिक्षाप्राप्त। 


उत्तर -  

  •  सदानीरा – बहुब्रीहि समास 
  • शस्यश्यामला – तत्पुरुष समास
  • नववधू – कर्मधारय समास 
  • महानायक – कर्मधारय समास 
  • तीर्थयात्रा – षष्ठी तत्पुरुष समास  
  • शिक्षाप्राप्त  – द्वितीय तत्पुरुष समास


प्रश्न-2. निम्नलिखित शब्दों का संधि विच्छेद करें

विक्रमादित्य, चित्रोपम, निष्कंटक, उल्लास, इत्यादि। ॽ

उत्तर- 

  • विक्रमादित्य –  विक्रम + आदित्य 
  • चित्रोपम – चित्र +उपम
  • निष्कटक – निः + कंटक 
  • उल्लास – उत् + लास
  • इत्यादि – इति + आदि।


प्रश्न-3. निम्नलिखित शब्दों से वाक्य बनाएँ

मलीन, कमाई, पुल, छत्रछाया, प्रबंध, आदर्श 

उत्तर- 

  • मलीन – उसका वस्त्र मलीन है। 
  • कमाई – आजकल नेताओं की कमाई अच्छी है।
  • पुल –  पुल चौड़ा है।
  • छत्रछाया –  आपकी छत्रछाया में मैं रहना चाहता हूँ।
  • प्रबंध – इस अस्पताल का प्रबंध बहुत अच्छा 
  • आदर्श  – गाँधीजी एक आदर्श पुरुष थे।



प्रश्न-4. रेखांकित उपवाक्यों की कोटि बताएँ – 

(क) सुल्तान घोडे से उतरा ओर तलवार से उसने एक विशाल विटप के तने पर आघात किया। 

(ख) उसके गिरते ही बिजली सी दौड गई उसके सैनिकों में, और हजारों तलवारे घने बन के वृक्षों पर टूट पड़ी ।

(ग) वे लगभग एक साल रहे और फिर अंग्रेज सरकार ने उन्हें जिले से निर्वासित कर दिया। 

उत्तर- 

(क) सुल्तान घोड़े से उतरा संज्ञा उपवाक्य 

(ख) उसके गिरते ही बिजली सी दौड़ गई क्रियाविशेषण उपवाक्या 

(ग) वे लगभग एक साल रहे क्रियाविशेषण उपवाक्य।


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