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Astronomy - ब्रह्माण्ड का अध्यन हि Astronomy ( खगोलकी ) कहलाता है ।
ब्रह्माण्ड – दिखाई पडने वाले समस्त आकाशी पिण्ड को ब्रह्माण्ड कहते हे । ब्रह्माण्ड विस्तारित हो रहा है ब्रह्माण्ड में सर्वाधिक संख्या तारों की है ।
तारा – वेैसा आकाशिय पिंड जिसके पास अपनी उष्मा तथा प्रकाश हो तारा कहलाता है ।
– तारा बनने से पहले विरल गैस का गोला होता है ।
– जब विरल गैस केन्द्रित होकर पास आ जाते है तो घने बादल के समान हो जाते है जिन्हे निहारिका (Nebula) कहते है
– जबा इन Nebula में संलवन विधि द्वारा दहन की क्रिया प्रारम्भ हो जाती है तो वह तारों का रूप ले लेता है
– तरों मं हाईड्रोजन का संलयन He में होते रहता है ।
– तारा में ईधन प्लाज्मा अवस्था में रहता है
– तारों का भविष्य उसक प्रारम्भिक द्रव्यमान पर निर्भर करता है ।
– लाल दानव – जब तारा ( सुर्य ) का ईधन समाप्त होने लगता है ो वह लाल दानव का रूप ले लेता है और लाल दानव का आकार बडा होने लगता है ।
Case – 1 : यदि लाल दानव का द्रव्यमान सुर्य के द्रव्यमान के 1.44 गुणा से छोटा है तो वह श्वेत वामन बनेगा
श्वेत वामन ( White Dward ) - इसे जीवाश्म तारा कहते है । छोटा तारा अंतमि रूप से श्वेत वामन अवस्था में ही चमकता है ।
काला वामन ( Black Dward ) – श्वेत वामन जब चमकना छोड देता है तो वह काला वामन का रूप ले लेता है इस प्रकार छोटे तारों का अंत हो जाता है ।
Case – 2 : यदि लाल दानव का द्रव्यमान सूर्य के द्रव्यमान के 1. 44 गुणा से बडा है तो वह अभिनव तारा का रूप लेगा
अभिनव तारा ( Super Nova ) – इसमें कार्बन जैसे हल्के पदार्थ में परिवर्तित हाने लगता है जिस कारण ये विसोट करने लगते है अतः इसे विस्फोटक तारा कहते है ।
विस्फोटक के बाद यह न्युट्रोन तारा का रूप ले लेता है
न्युट्रॉन तारा – न्युट्रॉन तारा विस्फोट के बाद बनता है इसका धन्त्व उच्च हो जाता है और आकार छोटा हो जाता है ।
Pusser – यह तारा चमकता और बुझता रहता है इससे उच्च संख्या में विद्दुत चुम्बकीय तरंगे निकलती है
क्वेसर – ये तारो का लगभग अंतिम अवस्था होता है क्वेसर का चुम्बकीय क्षमता अति उच्च होता है ।
Black Hole – इसका घनत्व अति उच्च होता है । यह प्रकाश को भि गुजरने नहीं देता है इसकी खोज चन्द्रशेखर ने किया ।
इसकि चुम्बकीय क्षमता भी अधिक है ।
ये Black Hole श्वेत वामन और काला वामन को भी अपनी ओर खीच लेता है । अतः तारो का अंत Black hole के रूप में हो जाता है ।
चन्द्रशेखर सिमा – सुर्य के द्रव्यमान के 1.5 गुणा (1.44) द्रव्यमान को चन्द्रशेखर सीमा कहते है । लाल दानव के बाद तारों का भविष्य चन्द्रशेखर सीमा पर निर्भर करता है ।
– लाल दानव का आकार बहुत ही बडा हो जाता है
– सुर्य जब लाल दानव का रूप लेगा तो वह अपने समीप के चार ग्रहों का जला देगा ।
White Hole – वह एक परिकल्पना है जिससे यह मान लिय ाता है कि एक ही बिन्दु से आ रहे है ।
तारों का रंग उसके पृष्ठ ताप पर निर्भर करता है ।
– लाल रंग – निम्न ताप (6000c)
– सफेद रंग – मध्यम ताप
– नीला रंग – उच्च तापमान
Q1- तारा बनने से पहले क्या रहता है ॽ
ans - निहारिका (Nebula )
Q2. सुरज में इधन किस स्टेज में है
Ans - प्लाजमा
Q3. सुरज में इंधन के रूप में कौन– सी गैस है
Ans – हाईड्रोजन तथा हिलियम (हाईड्रोजन में संलयन होता ह ै )
Q4. चन्द्रशेखर शिमा कितनी होती है ॽ
Ans - सुर्य x 1.44
Q5. जिवाश्म तारा किसे कहते है ॽ
Ans - श्वेत वामन
Q6. सबसे ज्यादा धनत्व किस तारा का होता है ॽ
Ans - Black hole
Q7. सबसे तेज गति से घुमने वाले तारें ॽ
Ans - Pulsur & cusure
Q8. कितने अरब साल बाद सुरज लाल दानव बन जाऐगा ॽ
Ans - 5 अरब शाल
Q9. लाल दानव में इधन ज्याद होता है या कम ॽ
Ans - कम
Q10. लाल दानव का अकार बडा होता है या छोटा ॽ
Ans - बडा
Q11. विस्फोटक तारा किसे कहते है ॽ
Ans - अभिनव तारा या सुपर नोवा
Q12. बडे तारे विस्फोटक बनते है या छोटे
Ans - बडे ( 1.44 x sun )
Q13. किसी भि तारे का रंग किसपे डिपेंड करता है ॽ
Ans - पृष्ट तापमान
Q14. बहुत ज्यादा ताम वाले तारा का रंग कैसा होगा ॽ
Ans - Blue color
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