Astronomy (खगोलविज्ञान) Class- 1 By Khan sir || Foundation New Batch

UPSC || BPSC || SSC || RRB || BANK|| Geography || Astronomy 



Astronomy - ब्रह्माण्ड का अध्यन हि Astronomy ( खगोलकी ) कहलाता है । 

ब्रह्माण्ड – दिखाई पडने वाले समस्त आकाशी पिण्ड को ब्रह्माण्ड कहते हे । ब्रह्माण्ड विस्तारित हो रहा है ब्रह्माण्ड में सर्वाधिक संख्या तारों की है । 

तारा – वेैसा आकाशिय पिंड जिसके पास अपनी उष्मा तथा प्रकाश हो तारा कहलाता है । 

        – तारा बनने से पहले विरल गैस का गोला होता है । 

       – जब विरल गैस केन्द्रित होकर पास आ जाते है तो घने बादल के समान हो जाते है जिन्हे निहारिका (Nebula) कहते है 

      –  जबा इन Nebula  में संलवन विधि द्वारा दहन की क्रिया प्रारम्भ हो जाती है तो वह तारों का रूप ले लेता है 

      –  तरों मं हाईड्रोजन का संलयन He में होते रहता है । 

      –  तारा में ईधन प्लाज्मा अवस्था में रहता है 

      –  तारों का भविष्य उसक प्रारम्भिक द्रव्यमान पर निर्भर करता है । 

     –  लाल दानव – जब तारा ( सुर्य ) का ईधन समाप्त होने लगता है ो वह लाल दानव का रूप ले लेता है और लाल दानव का आकार बडा होने लगता है । 


Case – 1 :  यदि लाल दानव का द्रव्यमान सुर्य के द्रव्यमान के 1.44 गुणा से छोटा है तो वह श्वेत वामन बनेगा 


श्वेत वामन ( White Dward ) - इसे जीवाश्म तारा कहते है । छोटा तारा अंतमि रूप से श्वेत वामन अवस्था में ही चमकता है । 

काला वामन ( Black Dward )  – श्वेत वामन जब चमकना छोड देता है तो वह काला वामन का रूप ले लेता है इस प्रकार छोटे तारों का अंत हो जाता है । 

Case – 2 : यदि लाल दानव का द्रव्यमान सूर्य के द्रव्यमान के 1. 44 गुणा से बडा है तो वह अभिनव तारा का रूप लेगा 


अभिनव तारा ( Super Nova ) – इसमें कार्बन जैसे हल्के पदार्थ में परिवर्तित हाने लगता है जिस कारण ये विसोट करने लगते है अतः इसे विस्फोटक तारा कहते है । 

विस्फोटक के बाद यह न्युट्रोन तारा का रूप ले लेता है 

न्युट्रॉन तारा – न्युट्रॉन तारा विस्फोट के बाद बनता है इसका धन्त्व उच्च हो जाता है और आकार छोटा हो जाता है । 

Pusser – यह तारा चमकता और बुझता रहता है इससे उच्च संख्या में   विद्दुत चुम्बकीय तरंगे निकलती है 

क्वेसर – ये तारो का लगभग  अंतिम अवस्था होता है क्वेसर का चुम्बकीय क्षमता अति उच्च होता है ।

Black Hole – इसका घनत्व अति उच्च होता है । यह प्रकाश को भि गुजरने नहीं देता है इसकी खोज चन्द्रशेखर ने किया । 

इसकि चुम्बकीय क्षमता भी अधिक है । 

ये Black Hole श्वेत वामन और काला वामन को भी अपनी ओर खीच लेता है । अतः तारो का अंत Black hole के रूप में हो जाता है । 

चन्द्रशेखर सिमा – सुर्य के द्रव्यमान के 1.5 गुणा (1.44) द्रव्यमान को चन्द्रशेखर सीमा कहते है । लाल दानव के बाद तारों का भविष्य चन्द्रशेखर सीमा पर निर्भर करता है । 

– लाल दानव का आकार बहुत ही बडा हो जाता है 

– सुर्य जब लाल दानव का रूप लेगा तो वह अपने समीप के चार ग्रहों का जला देगा । 

 White Hole  – वह एक परिकल्पना है जिससे यह मान लिय ाता है कि एक ही बिन्दु से आ रहे है ।


तारों का रंग उसके पृष्ठ ताप पर निर्भर करता है । 

लाल रंग – निम्न ताप (6000c)

सफेद रंग – मध्यम ताप 

नीला रंग – उच्च तापमान 


 



Important Question - 

Q1-  तारा बनने से पहले क्या रहता है ॽ 

ans - निहारिका (Nebula ) 

Q2. सुरज में इधन किस स्टेज में है 

Ans - प्लाजमा 

Q3. सुरज में इंधन के रूप में कौन– सी गैस है 

Ans – हाईड्रोजन  तथा हिलियम (हाईड्रोजन में संलयन होता ह ै ) 

Q4. चन्द्रशेखर शिमा कितनी होती है ॽ 

Ans - सुर्य x 1.44 

Q5.  जिवाश्म तारा किसे कहते है ॽ 

Ans - श्वेत वामन 

Q6. सबसे ज्यादा धनत्व किस तारा का होता है ॽ 

Ans - Black hole 

Q7. सबसे तेज गति से घुमने वाले तारें ॽ 

Ans - Pulsur & cusure 

Q8. कितने अरब साल बाद सुरज लाल दानव बन जाऐगा  ॽ 

Ans - 5 अरब शाल 

Q9. लाल दानव में इधन ज्याद होता है या कम ॽ 

Ans - कम 

Q10. लाल दानव का अकार बडा होता है या छोटा ॽ 

Ans - बडा 

Q11.  विस्फोटक तारा किसे कहते है ॽ 

Ans -  अभिनव तारा या सुपर नोवा 

Q12. बडे तारे विस्फोटक बनते है या छोटे 

Ans - बडे ( 1.44 x sun ) 

Q13. किसी भि तारे का रंग  किसपे डिपेंड करता है ॽ 

Ans -  पृष्ट तापमान 

Q14. बहुत ज्यादा ताम वाले तारा का रंग कैसा होगा ॽ 

Ans - Blue color 


                                                                         Next Class            






कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

If you have any doubt please let me know